हल्द्वानी: मिट्टी के दीयों को 'रोशनी' का इंतजार

हल्द्वानी: मिट्टी के दीयों को 'रोशनी' का इंतजार

लक्ष्मण मेहरा, हल्द्वानी, अमृत विचार। दीपावली का त्योहार मिट्टी के दीयों के बिना अधूरा है। दीयों से न सिर्फ दीपावली रोशन होती है, बल्कि उनकी रोशनी से मन में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। लेकिन चाइनीज दीयों और झालरों की चकाचौंध रोशनी ने मिट्टी के दीयों की रोशनी छीन ली है। हर बार की तरह इस बार भी दीपावली पर मिट्टी के दीयों को रोशनी का इंतजार है।

बरेली रोड में मेडिकल कॉलेज के पास मिट्टी के दीयों की कई दुकानें सजी हैं। इन दुकानों में इक्का-दुक्का ही ग्राहक खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं। लोग दीयो के बजाय चाइनीज आइटमों से घरों को सजाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। कारण, चाइनीज आइटम बेहद सस्ते हैं और आकर्षक भी हैं। मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल सिर्फ शगुन के तौर पर हो रहा है।

हर बार कलाकार दीपावली से एक महीने पहले दीये बनाने में जुट जाते हैं। लोगों को आकर्षित करने के लिए रंग-बिरंगे दीयों के साथ आकर्षक मंदिर और भगवानों की मूर्तियां बनाई जाती हैं, जिनकी कीमत ज्यादा नहीं होती। फिर भी इन कलाकारों के चेहरे मुरझाए हुए हैं। क्योंकि, बिक्री बहुत कम है।

मांग घटती गई, खूबसूरती बढ़ती गई
एक ओर जहां मिट्टी के दीयों की मांग घट रही है। वहीं कलाकार अपनी मेहनत से दीयों की खूबसूरती को निखारने में जुटे हैं। इस बार दुकानों में मिट्टी के साधारण दीयों के अलावा कलरफुल दीये उपलब्ध हैं। जिनकी खूबसूरती देखते बनती है। एक दीये की कीमत मात्र 10 रुपये है। इसके अलावा भगवान लक्ष्मी-गणेश, शिव-पार्वती, हनुमान, काली मां की आकर्षक मूर्तियां भी दुकानों में उपलब्ध हैं।

बोले फड़ व्यवसाई

मिट्टी से बने दीये और मूर्तियां बाहर से लाते हैं और उन्हें बेचकर किसी तरह थोड़ा-बहुत मुनाफा कमाते हैं। मिट्टी महंगी होने के बावजूद दाम कम हैं। फिर भी ग्राहक मोलभाव करते हैं।
- जगन्नाथ


इस बार मिट्टी के आकर्षक दीये लाए हैं, लेकिन हालात देख बिक्री में बढ़ोत्तरी की उम्मीद नहीं लग रही है। जितने का सामान मंगाया है, उतने भी निकलने की उम्मीद नहीं है।
- नीलकंड प्रजापति

बोलीं गृहणियां
दीये तेल से जलेंगे और तेल के दाम आसमान छू रहे हैं। इसलिए रीति-रिवाज के अनुसार थोड़े से दीये जलाकर बाकि घर को लड़ियों से सजाते हैं।
- मंजू भट्ट तिवारी, गृहणी


दीपावली पर दीये जलाने की मान्यता है इसलिए थोड़े दीये जलाते हैं। तेल महंगा है। इसलिए घर को झालरों से सजाते हैं।
- अमिता वशिष्ठ, गृहणी

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