Kanpur: पाइल्स, फिस्टुला व फिशर की डे केयर में सर्जरी, हैलट अस्पताल के सर्जरी विभाग में आई डायोट लेजर मशीन
कानपुर के हैलट अस्पताल के सर्जरी विभाग में आई डायोट लेजर मशीन।
कानपुर के हैलट अस्पताल के सर्जरी विभाग में डायोट लेजर मशीन आई। मरीजों को बड़े चीरे नहीं लगाने पड़ेंगे और रक्तस्त्राव भी नहीं होगा।
कानपुर, [विकास कुमार]। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में आने वाले पाइल्स, फिस्टुला व फिशर के मरीजों की सर्जरी अब बिना चीरा लगाए की जाएगी। मरीज 24 घंटे के बाद घर जा सकेंगे। यह संभव होगा लेजर विधि के ऑपरेशन से। इसके लिए सर्जरी विभाग में 10 लाख रुपये की डयोड मशीन स्थापित कर दी गई है।
धूम्रपान, तंबाकू का अधिक सेवन, मसालेदार भोजन, अनियमित खानपान, फास्ट फूड व जंक फूड अधिक खाने और तनाव भरी जिंदगी की वजह से बड़ी संख्या में लोग पाइल्स (बवासीर), फिस्टुला (भगंदर) व फिशर (नासूर) की चपेट में आ रहे हैं। इन तीनों ही बीमारियों से ग्रस्त लोगों को रक्तस्त्राव की समस्या का सामना करना पड़ता है। दर्द ज्यादा होने पर कई लोग सही से बैठ तक नहीं पाते हैं।
जीएसवीएम के हैलट अस्पताल में प्रतिमाह करीब दो हजार मरीज इन बीमारियों की गिरफ्त में आकर इलाज कराने पहुंचते हैं। दवा से आराम नहीं होने पर वर्तमान में प्रतिदिन चार से पांच मरीजों की सर्जरी की जाती है। यह सर्जरी मरीज के लिए काफी कष्टदायक होती है।
लेकिन अब पाइल्स, फिस्टुला व फिसर के मरीजों को सर्जरी कराने में दर्द नहीं होगा। उनका ऑपरेशन लेजर विधि से डयोड मशीन द्वारा किया जाएगा। डयोड मशीन पोलैंड की लेसोट्रोनिक्स कंपनी की है। लेजर मशीन की मदद से सर्जरी होने पर मरीज अस्पताल से 24 घंटे में घर जा सकेंगे।
घाव के हिसाब से अभी लगता चीरा
सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. जीडी यादव ने बताया कि पाइल्स, फिस्टुला व फिशर के प्रतिदिन चार से पांच मरीजों की सर्जरी की जाती है। अभी ऑपरेशन के दौरान मरीजों का घाव जितना गहरा होता है, उस हिसाब से चीरा लगाया जाता है। फिस्टुला के कुछ मरीजों को तीन से चार इंच व पाइल्स के मरीजों को चार से पांच इंच का चीरा लगाकर सर्जरी की जाती है। इसके बाद मरीज को 10 से 15 दिन तक भर्ती रहना पड़ता था। लेकिन लेजर विधि से सर्जरी काफी कारगर और सुविधाजनक होगी।
मरीजों का हो सकेगा सस्ता इलाज
लेसोट्रोनिक्स कंपनी के निदेशक विकास यादव ने बताया कि लेसोट्रोनिक्स की डयोट लेजर मशीन की मदद से पाइल्स, फिसर, फिस्टुला व पिलोनिडल साइनस जैसी बीमारियों को डे केयर में ऑपरेट किया जाता है। यह देश की एकमात्र ऐसी डिवाइस है, जिसमें चार वेवलेंथ का कॉम्बिनेशन है। देश में लोगों का सस्ता इलाज हो, इसके लिए लेसोट्रॉनिक्स ने अपने फाइबर में किसी प्रकार का लॉकिंग सिस्टम नहीं रखा है।
आज कार्यशाला में 15 मरीजों की होगी सर्जरी
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग में लेसोट्रॉनिक्स कंपनी ओर से रविवार को लेजर प्राक्ट्रोलॉजी कार्यशाला का आयोजन सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक होगा। सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. जीडी यादव ने बताया कि दिल्ली में फोर्टिस अस्पताल के सर्जिकल डिसिप्लिन के निदेशक डॉ.एएस चिलाना आएंगे।
कार्यशाला में पाइल्स, फिस्टुला व फिशर तथा पाइलोनिडल साइनस बीमारियों से ग्रस्त करीब 15 मरीजों की सर्जरी लेजर विधि से करने का प्रशिक्षण देंगे। कार्यशाला में प्राचार्य प्रो. संजय काला, मुख्य आयोजक चेयरमैन डॉ.जीडी यादव, सचिव डॉ.प्रेमशंकर व प्रमुख अधीक्षक डॉ.आरके सिंह शामिल होंगे।