प्रयागराज : बांके बिहारी कॉरिडोर के लिए चिन्हित 300 भवनों को ध्वस्त करने का विरोध

प्रयागराज : बांके बिहारी कॉरिडोर के लिए चिन्हित 300 भवनों को ध्वस्त करने का विरोध

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट में मथुरा के वृंदावन स्थित विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर मामले में सोमवार को सुनवाई हुई। उत्तर प्रदेश सरकार काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर बांके बिहारी मंदिर के आस-पास 5 एकड़ में कॉरिडोर बनाना चाहती है, जिसके लिए लगभग 300 मंदिर और आवासीय भवन चिन्हित किए जा चुके हैं। जिनके आवासों पर मार्किंग हो चुकी है, वही लोग सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कॉरिडोर का विरोध कर रहे हैं। 

लोगों का आरोप है कि वृंदावन के मूल स्वरूप से खिलवाड़ किया जा रहा है। कॉरिडोर के विरोध में 36 घंटे बाजार बंद रखा गया। साथ ही प्रस्तावित कॉरिडोर के नक्शे को जलाकर विरोध प्रदर्शन किया गया। लोगों ने मुख्यमंत्री योगी को खून से चिट्ठियां भी लिखीं। हालांकि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार बांके बिहारी कॉरिडोर के डिजाइन में मंदिर के मूल स्वरूप को यथावत रखा गया है। केवल बाहरी परिसर को विस्तारित किया जाना है, साथ ही मंदिर में उसी शैली के लाल पत्थरों का इस्तेमाल होगा, जिस पत्थर से वृंदावन के अधिकांश मंदिरों का निर्माण हुआ है। मालूम हो कि बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने के प्रस्ताव की सुगबुगाहट शुरू होते ही स्थानीय पुरोहितों, गोस्वामियों, पुजारियों और समाजसेवियों ने विरोध करते हुए कहा कि सरकार कुंज गलियों को मिटाकर कॉरिडोर बनाना चाहती है, जबकि वृंदावन की पहचान कुंज गलियों से है। भगवान बच्चे के स्वरूप में इन्हीं गलियों में खेले हैं। गलियों का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। सभी स्थितियों व परिस्थितियों पर विचार करते हुए कोर्ट ने अगली सुनवाई आगामी 26 सितंबर को सुनिश्चित की है। बांके बिहारी मंदिर से जुड़ी अन्य कई याचिकाओं पर भी सुनवाई चल रही है। बांके बिहारी के भक्त अनंत शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर जानकारी मांगी थी कि बांके बिहारी में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सरकार क्या व्यवस्था कर रही है, जिस पर कोर्ट में बताया गया कि 5 एकड़ में कॉरिडोर बनाना प्रस्तावित है।

दूसरी ओर मंदिर के गोस्वामियों और समाजसेवी मधु मंगल शुक्ला की तरफ से भी याचिका दाखिल कर बताया गया है कि सरकार उनका पक्ष सुन ही नहीं रही। मंदिर में आए दान के पैसों को कॉरिडोर निर्माण में खर्च करना चाहती है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए मामले में पक्षकारों के बीच उठे विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थ की नियुक्ति करने के लिए कहा। कोर्ट ने इसके लिए महाअधिवक्ता से मध्यस्थ के नाम का सुझाव मांगा, साथ ही निर्देश दिया कि यूपी सरकार मध्यस्थ के लिए जिस नाम को प्रस्तावित करे वह राष्ट्रीय स्तर का और अनुभव वाला होना चाहिए, लेकिन इस मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बनी।

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