ऐतिहासिक क्षण

ऐतिहासिक क्षण

संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र की शुरुआत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संसद का ये सत्र छोटा है, लेकिन समय के हिसाब से ये बहुत बड़ा है। उन्होंने उन चार बड़े फैसलों का भी सदन में जिक्र किया, जो उनकी सरकार में लिए गए। अपने संबोधन में पुराने भवन से जुड़ी तमाम यादों को सदन के साथ साझा किया।

सोमवार को लोकसभा में ‘संविधान सभा से शुरू हुई 75 वर्षों की संसदीय यात्रा - उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री, पीवी नरसिम्हा राव व अटल बिहारी वाजपेयी समेत उनके बाद के नेताओं की दूरदर्शिता की सराहना की, लेकिन लोकसभा को ‘वोट के बदले नकद’ घोटाले की याद भी दिलाई। 

उन्होंने कहा, यह वह संसद है जहां पंडित नेहरू ने आधी रात को भाषण दिया था और उनके शब्द आज भी सभी को प्रेरित करते हैं। वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि नेहरू जी का मानना था कि मजबूत विपक्ष की अनुपस्थिति का अर्थ है कि व्यवस्था में महत्वपूर्ण खामियां हैं। अगर मजबूत विपक्ष नहीं है तो यह ठीक नहीं है।

सोमवार को संसद के विशेष सत्र की कार्यवाही पुराने भवन में शुरू हुई और गणेश चतुर्थी के अवसर पर मंगलवार से कार्यवाही नए भवन में होगी। प्रधानमंत्री के आज के संबोधन से लगा कि सरकार संसद से एक भवन से दूसरे भवन में स्थानांतरण को एक विशेष क्षण बनाना चाहती थी और इसे एक विशेष तरीके से करने की कोशिश की है। सरकार ने जब संसद का विशेष सत्र बुलाने की थी घोषणा की तो राजनीतिक क्षेत्रों में इसे एक आश्चर्य के रूप में देखा गया।  विपक्षी दलों ने एजेंडे का खुलासा किए बिना संसद का विशेष सत्र बुलाने के लिए सरकार की आलोचना की।

कहा जा रहा था कि इमारतें महत्वपूर्ण नहीं हैं लेकिन उनके अंदर की चर्चा महत्व रखती है। वास्तव में आज पूरा विश्व भारत में अपना मित्र खोज रहा है। देश के निर्माण में पिछले सात दशकों में विभिन्न लोगों ने योगदान दिया है।  संसद के पुराने भवन से नए भवन में जाना एक ऐसा पल है, जो हमें अतीत से भविष्य के साथ जोड़ रहा है। आज के दिन को भारत के ससंदीय लोकतंत्र के इतिहास में गौरवपूर्ण दिन के रूप में याद किया जाएगा। उम्मीद की जा सकती है कि यह ऐतिहासिक निर्णयों वाला सत्र साबित होगा।

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