विशेषज्ञों ने कहा- WTO की विवाद निपटान प्रणाली को पूरी तरह कामकाज में लाना कठित चुनौती
नई दिल्ली। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य देशों के सामने इस बहुपक्षीय निकाय की विवाद निपटान प्रणाली को 2024 तक पूरी तरह कार्यात्मक बनाने की कठिन चुनौती है। विशेषज्ञों ने यह राय व्यक्त की।
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उन्होंने कहा कि चीन और यूरोपीय संघ जैसे देशों द्वारा प्रस्तावित अलग-अलग दृष्टिकोण के कारण ऐसा करना कठिन होगा। जी20 नेताओं ने नौ सितंबर को डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान प्रणाली को 2024 तक पूरी तरह कार्यशील बनाने पर बातचीत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। दिसंबर, 2019 से गैर-कार्यात्मक अपीलीय निकाय के कारण डब्ल्यूटीओ का विवाद निपटान तंत्र पटरी से उतर गया है।
शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘जी20 सदस्य डब्ल्यूटीओ सुधारों को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए हैं। विशेष रूप से 2024 तक सभी सदस्यों के लिए सुलभ एक कार्यात्मक विवाद निपटान प्रणाली बनाने का लक्ष्य है। अमेरिका, यूरोपीय संघ, चीन, भारत और अन्य देशों द्वारा प्रस्तावित भिन्न दृष्टिकोणों को देखते हुए सदस्यों के लिए यह एक कठिन काम होगा।’’
व्यापार विशेषज्ञ और हाई-टेक गियर्स के चेयरमैन दीप कपूरिया ने कहा कि जी20 नेताओं द्वारा डब्ल्यूटीओ सुधारों को आगे बढ़ाने की बात दोहराना डब्ल्यूटीओ सचिवालय के लिए बेहद जरूरी राजनीतिक प्रोत्साहन है। ऐसा इसलिए है क्योंकि डब्ल्यूटीओ ने अब 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की तैयारी शुरू कर दी है।
उन्होंने कहा कि 2024 की समयसीमा देने से डब्ल्यूटीओ और उसके सदस्यों पर एक ऐसी प्रणाली बनाने का दबाव बनेगा, जो सभी के लिए स्वीकार्य हो। श्रीवास्तव ने कहा कि भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि अपीलीय निकाय एक स्वतंत्र और निष्पक्ष निकाय रहे। अपीलीय निकाय में इस समय सात सदस्य हैं। कुछ देशों ने सदस्यों की संख्या घटाकर पांच या तीन करने का प्रस्ताव दिया है।
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