बरेली: दरगाह पर लगाया गया नक्काशी किया चांदी का गेट, जल्द ही गुंबद-ए-रजा पर लगाया जाएगा सोने का कलश

बरेली: दरगाह पर लगाया गया नक्काशी किया चांदी का गेट, जल्द ही गुंबद-ए-रजा पर लगाया जाएगा सोने का कलश

बरेली, अमृत विचार। 10 सितंबर से 105वें उर्स-ए-रज़वी का आगाज हो रहा है, जिसको लेकर काफी वक्त से तैयारियां चल रही हैं। वहीं उर्स-ए-रज़वी से पहले दरगाह को सजाने संवारने का काम भी जारी है। इस दौरान गुम्बद की नक्काशी, मजार शरीफ़ पर सफेद नक्काशी वाली जाली लगाई गई। वहीं दीवारों पर खूबसूरत टाइल्स और मजार के अंदर और गली में पत्थर लगाया गया। सभी काम पिछले एक साल से दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) की निगरानी में चल रहे थे। अब जल्द ही गुम्बद-ए-रज़ा पर सोने का कलश लगाया जाएगा।

इस बारे में मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हानी मियां ने अपनी सज्जादगी के दौरान दरगाह पर बहुत काम कराए हैं। दरगाह को भव्य और सुंदर बनाने के लिए अभी भी लगातार काम जारी है। ताकि देश विदेश से आने वाले जायरीन को रूहानियत का माहौल मिले। इसी कड़ी में देर रात दरगाह पर चांदी के दरवाज़े का उद्धघाटन दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हानी मियां ने सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां के साथ किया। इसके बाद सभी ने दरगाह पर फातिहा पढ़ी। वहीं सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने खुसूसी दुआ की।  

दरगाह के वरिष्ठ मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने बताया कि ये दरवाज़ा हज़रत मौलाना सुब्हानी मियां ने राजस्थान के उदयपुर के कारीगरों से तैयार कराया है। उदयपुर में लगातार 3 महीने 5 दिन इस दरवाज़े पर नक्काशी का काम किया गया। जिसमें 20 किलो शुद्ध चांदी का इस्तेमाल किया गया। अभी चौखट और दरगाह के छोटे दरवाजे पर चांदी का गेट लगना बाकी है। जिसे उर्स के बाद कराया जायेगा। इसमें कुल 32 किलो चांदी लगाई जाएगी। वहीं दोनों गेट पर गुम्बद-ए-रज़ा की नक्काशी की गई है उस पर सोने की पालिश कराई जाएगी।

गेट पर आला हज़रत के पोते और पूर्व सज्जादानशीन हज़रत मौलाना रेहान रज़ा खान(रहमानी मियां) का लिखा अशआर "रज़ा ओ हामिदो नूरी का गुलशन बहारों पर, शगुफ्ता इस चमन में खैर से रेहां रज़ा तुम हो।" इस अशआर में खानदान के सभी बुजुर्गों का नाम शामिल है। नालैन मुबारक की नक्काशी पर या मुफ्ती-ए-आज़म अल मदद लिखवाया गया है। वहीं गेट पर वा यादगारे हज़रत रेहान-ए-मिल्लत और जेरे एहतिमाम हज़रत सुब्हानी मियां लिखवाया गया है। 

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