हल्द्वानी: कातिलों, डकैतों और लुटेरों का गढ़ ऊधमसिंहनगर

सर्वेश तिवारी, हल्द्वानी, अमृत विचार। ऊधमसिंहनगर पुलिस के ही आंकड़े उन्हीं की पुलिसिंग पर सवाल खड़े कर रहे हैं। आंकड़ों के हिसाब से ऊधमसिंहनगर कुमाऊं में अपराध और अपराधियों का गढ़ बना हुआ है। फिर वो हत्या हो, लूट या फिर डकैती। अन्य अपराधों में भी ऊधमसिंहनगर का ग्राफ अन्य जिलों की अपेक्षा में सबसे ऊंचा है।
इस वर्ष जून माह तक पूरे कुमाऊं में 51 हत्याएं हुईं। इनमें आधे से ज्यादा हत्याएं सिर्फ ऊधमसिंनगर में हुईं। बता दें कि ऊधमसिंहनगर में 6 माह में 23 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। जबकि नैनीताल जिले में 8 लोगों की हत्या हो चुकी है। इस मामले में पिथौरागढ़, नैनीताल जिले से आगे हैं।
सिर्फ हत्याएं ही नहीं, ऊधमसिंहनगर में अन्य तरह के अपराधों का ग्राफ भी ऊंचा है और ये ग्राफ गुजरे सालों की अपेक्षा वर्ष 2023 में कहीं ज्यादा है। वर्ष 2022 में यूडीएन में 31 हत्याएं हुईं थीं और इस वर्ष सिर्फ 6 माह में ही 23 हत्याएं हो चुकी हैं। अनुमान है कि ऐसे में वर्ष के अंत तक 2023 का यह ग्राफ 2022 के ग्राफ को पीछे छोड़ सकता है।
इस वर्ष ऊधमसिंहनगर में एक डकैती भी हुई, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 3 थी और वर्ष 2021 में ऊधमसिंहनगर में एक भी डकैती का मामला सामने नहीं आया। हालांकि नैनीताल में डकैती के मामले कम हो रहे हैं। वर्ष 2021 में यहां डकैती के 3 मामले आए थे और गुजरे दो सालों में 1-1 मामला सामने आया है। लूट के मामले में ऊधमसिंहनगर में अब तक 20 हो चुके हैं और पिछले साल यह संख्या 29 थी। इस लिहाज से नैनीताल में इस साल सिर्फ 6 लूटें हुईं। यानी हर माह एक लूट। लूट के मामले में नैनीताल में कमी नहीं आई है और वो इसलिए कि पिछले साल इसके 10 और उससे पहले 13 लूटें नैनीताल जिले में हुईं थी।
ऊधमसिंहनगर के साथ कदमताल कर रहा नैनीताल
हल्द्वानी : कुमाऊं में दो ही जिले हैं, जहां सबसे ज्यादा अपराध है। इसमें सबसे ऊपर ऊधमसिंहनगर और उससे पीछे नैनीताल है। हालांकि दोनों के आंकड़ों में काफी अंतर है और ये अंतर लगभग आधे का है और कुछ मामलों में तो आधे से भी आधे का अंतर है। वाहन चोरी की घटनाओं को देख लें तो इस साल ऊधमसिंहनगर में 176 मामले दर्ज किए गए। जबकि नैनीताल में 35, अल्मोड़ा में 0, पिथौरागढ़ में 2, बागेश्वर में 0 और चम्पावत में 3 मामले दर्ज हुए।
पिथौरागढ़ भी दे रहा है ऊधमसिंहनगर को टक्कर
हल्द्वानी : पहाड़ी जिलों में पिथौरागढ़ इकलौता जिला है, जहां अपराध अन्य पहाड़ी जिलों की अपेक्षा सर्वाधिक है। इस साल जून तक पिथौरागढ़ में 10 हत्याएं हो चुकी हैं। जबकि वर्ष 2022 में 3 और 2021 में हत्या की सिर्फ 2 घटनाएं हुईं थीं। अच्छी बात यह है कि गुजरे 3 सालों में पिथौरागढ़ में एक भी डकैती नहीं हुई। हालांकि 2022 में लूट की 3 घटनाएं जरूर हुईं। इस जिले में वाहन चोरी, चोरी और बलवा का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है।
अपराध और अपराधियों की धर-पकड़ लिए सभी जिलों की लगातार समीक्षा की जाती है। काम न कर पाने वालों को दंडित भी किया जाता है। हाल में हुई बैठक में भी सभी जिलों का अपराध पर नकेल कसने की सख्त हिदायत दी गई है। अपराध के खिलाफ रेंज स्तर से भी टीमें लगातार काम कर रही हैं।
-डॉ. निलेश आनंद भरणे, आईजी कुमाऊं