लखनऊ : नक्सल संगठन को विस्तार देने के प्रयास में पांच गिरफ्तार, एटीएस ने बलिया से दबोचा
लखनऊ, अमृत विचार। यूपी एटीएस ने प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) नक्सली संगठन से जुड़े पांच अभियुक्तों को बलिया से गिरफ्तार कर लिया है। एटीएस के मुताबिक आरोपी मुखौटा संगठनों के माध्यम से गोपनीय रूप से संगठन का विस्तार व पूर्वांचल में नक्सली गतिविधियों को बढ़ावा देने का कोशिश में थे और इस सिलसिले में जरूरी बैठक कर रहे थे जब उन्हें गिरफ्तार किया गया। एटीएस आरोपियों को रिमांड पर लेकर गहन पूछताछ करेगी।
एटीएस अफसरों के अनुसार शासन को सूचना मिली थी कि सीपीआई (माओवादी) नक्सली संगठन के कुछ बड़े सदस्य गोपनीय रूप से उत्तर प्रदेश के बिहार, झारखण्ड के बार्डर के जिलों में नक्सली गतिविधियों का विस्तार करने की मुहिम में नए सदस्यों की भर्ती व नक्सली विचारधारा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। इसके लिए उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती के जनपदो में मुखौटा संगठनो के माध्यम से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इन तत्वों की देश के अन्दर ही सशस्त्र विद्रोह खड़ा करने का प्रयास था ताकि माओवादी नक्सल विचारधारा का प्रत्यक्ष रूप से शासन स्थापित हो सके।
एडीजी एटीएस नवीन अरोड़ा ने इस मुहिम की कमान संभाली और मंगलवार को पांच लोग गिरफ्तार कर लिएगए। गिरफ्तार होने वालों में बलिया निवासी तारा देवी, उसका पिता लल्लू राम के अलावा सत्य प्रकाश वर्मा, राम मूरत और विनोद साहनी शामिल हैं। इनको बलिया के सहतवार थानाक्षेत्र के बसंतपुर गांव के पास एक झोपड़ी में संगठन की गोपनीय मीटिंग करते हुए पकड़ा गया।
संगठन में लगातार की जा रही थीं भर्तियां
एडीजी एटीएस ने बताया कि सीपीआई (माओवादी) नक्सली संगठन के केंद्रीय कमेटी के प्रमुख नेता संदीप यादव उर्फ रूपेश उर्फ बड़का भइया की मृत्यु के बाद प्रमोद मिश्रा उर्फ बुढ़ऊ उर्फ बन बिहारी उर्फ डाक्टर साहब उर्फ गिरी द्वारा पूर्वांचल में एडहाक कमेटी बनाई थी। इसके गठन के बाद संगठन के सचिव बलिया निवासी संतोष वर्मा उर्फ मंतोष के माध्यम से लगातार संगठन के विस्तार हेतु पूर्वांचल के अलग अलग जिलों में मूवमेंट करते हुए महिला एवं पुरुषों की भर्ती की जा रही थी। पूर्वांचल में किसी सरकार विरोधी आंदोलन को चुनकर उसको सशस्त्र आंदोलन में बदलने की कोशिश की जा रही थी तथा कुछ लोगों को जंगल भेजकर नक्सल का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा था। गिरफ्तार महिला सदस्य कई नक्सली घटनाओं में रह चुकी है शामिल
एडीजी ने बताया कि महिला दस्ते की सक्रिय सदस्य तारा देवी उर्फ मंजू उर्फ मनीषा वर्ष 2005 से ही संगठन से जुड़ी है व कई नक्सली घटनाओं में शामिल रह चुकी है। वह नए तथा पूर्व के अंडर ग्राउण्ड सदस्य जो कभी भी पकड़े नहीं गए के साथ मिल कर नए लोगों की भर्ती में जुटी थी। नक्सल विचार धारा के लोगों को एकत्र कर शस्त्र विद्रोह कर सरकारी व्यवस्था को उखाड़ फेंकने और अपनी सरकार स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा था। वह पार्टी के लिए चंदा व लेवी वसूलने तथा हथियार जमा करने का काम कर रही थी। तारा देवी ने चर्चित मधुबन बैंक डकैती कांड नक्सलियों के साथ मिलकर की थी जिसमें पहली बार नक्सलियों ने शहर में आकर अत्याधुनिक असलहों से अंधाधुंध फायरिंग करते हुए बैंक और बाजार लूटा था। इस घटना में बिहार पुलिस के दो जवान शहीद हुए थे तथा कई घायल हुए थे। इस काण्ड में तारा देवी भी नक्सली सतीश उर्फ राम प्रवेश बैठा उर्फ रवि जी के साथ पकड़ी गई थी।
मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते हैं नक्सली
पूछताछ में पता चला कि मुखौटा संगठनों के संचालक व केंद्रीय कमेटी के मुख्य सदस्य मोबाइल या अन्य किसी दूसरे माध्यम से सीधे सम्पर्क नहीं करते हैं। इनके बीच हमेशा कोई ना कोई संदेश वाहक पर्ची, मैमोरी कार्ड, पैन ड्राइव के माध्यम से संदेशों को पहुँचाता है। प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) से संबन्धित साहित्य दस्तावेज, पम्पलेट, एक अदद पिस्टल 9 एमएम व कारतूस मिला है।
यह भी पढ़ें : प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश से कांग्रेस नेता को मिली राहत, मंदिर निर्माण का रास्ता साफ