बड़ा फैसला

बड़ा फैसला

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि से अलग अवसरों की कमी के कारण रोज़गार विविधीकरण और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसरों की कमी हमेशा चुनौती रही है। मौजूदा सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन के मुद्दे पर लगातार तात्कालिक उपायों के साथ दीर्घकालिक उपाय कर रही है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ को मंजूरी दे दी।

पांच साल की अवधि के लिए 13 हजार करोड़ रुपये की वित्तीय लागत वाली इस योजना के शुरू में जिन पारंपरिक व्यापारों को कवर किया जाएगा, उनमें बढ़ई, नाव बनाने वाले, लोहार, हथौड़ा और टूल किट व ताला बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाले, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी-चटाई-झाड़ू बनाने वाले-कॉयर वीवर, पारंपरिक तौर पर गुड़िया और खिलौने बनाने वाले, नाई, माला बनाने वाले, धोबी, दर्जी और मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले शामिल हैं।

गौरतलब है कि मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की, कि 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती पर इस योजना को लांच किया जाएगा। चुनौतियों से निपटने के लिए परंपरागत व्यवसायों में कौशल उन्नयन आवश्यक है। इसी के मद्देनजर सरकार ने  योजना को मंजूरी प्रदान की है। इसके माध्यम से गुरु-शिष्य परंपरा के तहत कौशल कार्यों को बढ़ाने वाले कामगारों का कौशल विकास किया जाएगा तथा उन्हें ऋण सुविधा एवं बाजार पहुंच प्रदान करने में मदद की जाएगी।

उम्मीद की जा सकती है कि योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित होगी। योजना से छोटे व्यवसायों और श्रमिकों को अपना व्यापार बढ़ाने और आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी। इससे बड़ी संख्या में स्व रोजगार पैदा होगा। पहले पांच वर्ष में लगभग 30 लाख परिवार लाभान्वित होंगे। विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों और शिल्पकारों को ‘पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र’ और आईडी कार्ड के माध्यम से पहचान प्रदान की जाएगी।

उन लोगों को पांच प्रतिशत की रियायती ब्याज दर के साथ एक लाख रुपये (पहली किश्त) और दो लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक की ऋण सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। हालांकि विश्वकर्मा योजना में राज्य सरकारें मदद करेंगी, लेकिन सारा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। जानकार इसे स्किल इंडिया योजना का विस्तार बता रहे हैं।

जरूरत महसूस की जा रही थी कि पुश्तैनी कारोबारियों को कौशल बढ़ाने का प्रशिक्षण व आधुनिक उपकरण प्रदान कर दें तो वे बाजार में अपनी पैठ कायम रख सकते हैं। महत्वपूर्ण है कि सरकार परपंरागत कौशल को तकनीक के साथ जोड़ना चाहती है।

ताजा समाचार

Gonda News: गोकशी मामले में चौकी प्रभारी समेत तीन पुलिसकर्मी निलंबित, विभागीय जांच के आदेश जारी
संभल: प्रेम-प्रसंग के बीच आई पत्नी तो लगा दिया ठिकाने, पति ने हत्या कर शव खेत में फेंका
संभल: सवाल सुनकर बदलते रहे सांसद बर्क के चेहरे के भाव, SIT ने सवालों को लेकर की थी पूरी तैयारी
सिंगापुर के स्कूल में आग में बाल-बाल बचा पवन कल्याण का बेटा, 10 साल की मासूम ने गवाई जान
'प्रशासन नहीं कर रही मदद 2018 से....' बोले- चंद्रिका देवी मंदिर विकास समिति के महामंत्री
रायबरेली की मनीषा से पीएम ने पूछा कुछ ऐसा सवाल... लोग रह गए दंग, सुनिए क्या बोली यंग इंटरप्रेन्योर