प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश से कांग्रेस नेता को मिली राहत, मंदिर निर्माण का रास्ता साफ

अपनी ही जमीन पर मंदिर नहीं बना पा रहे थे कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम, अखिलेश सरकार में डीएम ने लगाई थी रोक

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश से कांग्रेस नेता को मिली राहत, मंदिर निर्माण का रास्ता साफ

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निजी संपत्ति पर मंदिर बनाने के अधिकार के मामले में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 द्वारा निजी संपत्ति पर मंदिर बनाने का अधिकार संरक्षित है और ऐसा निर्माण किसी अन्य समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचा सकता है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह (प्रथम) की खंडपीठ ने प्रसिद्ध हिंदू संत आचार्य प्रमोद कृष्णम जी महाराज द्वारा दाखिल याचिका का निस्तारण करते हुए दिया।

याचिका में वर्ष 2016 और 2017 में जिला मजिस्ट्रेट, संभल द्वारा पारित आदेशों को चुनौती दी गई थी, जिसमें संत को बिना जिला प्रशासन की अनुमति के उनके निजी भूखंडों पर कोई भी निर्माण करने से रोक दिया गया था। दरअसल याची ने गांव में कुछ संपत्तियां खरीदीं थीं और नवंबर 2016 में गांव में कल्कि धाम मंदिर की नींव रखने की योजना बनाई थी। मुस्लिम किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा इस संबंध में एक अभ्यावेदन दिया गया कि मंदिर के शिलान्यास समारोह का मुसलमानों द्वारा विरोध किया जाएगा। जिस पर संबंधित जिला मजिस्ट्रेट ने याची को निर्माण करने से रोक दिया। इसके बाद उक्त आदेश को वापस लेने के लिए याची ने अक्टूबर 2017 में संभल के डीएम के समक्ष एक आवेदन दाखिल किया, जिसे खारिज कर दिया गया। 

डीएम के आदेश को चुनौती देते हुए याची ने हाईकोर्ट में मौजूदा याचिका दाखिल की। याची के अधिवक्ता का तर्क है कि डीएम ने अनुमानों के आधार पर आदेश पारित किया है। इसके साथ ही याची को भूखंड पर मंदिर का निर्माण करने से रोकने के लिए उक्त आदेश में बताए गए तथ्यों तथा कारणों के समर्थन में भी कोई सबूत नहीं दिया गया। इस पर न्यायालय ने कहा कि जिन भूखंडों पर प्रस्तावित मंदिर का निर्माण किया जाना है, उस पर याची के स्वामित्व के संबंध में कोई विवाद नहीं है। इसके साथ न्यायालय ने यह भी नोट किया कि मुस्लिम समुदाय मंदिर निर्माण के विरोध में है, यह सिद्ध करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई तथ्य मौजूद नहीं है। न्यायालय ने आगे कहा कि मंदिर के निर्माण के बाद सांप्रदायिक अशांति अगर होती है तो जिला प्रशासन द्वारा सीआरपीसी की धारा 144 के तहत उसे नियंत्रित किया जाना चाहिए। अंत में कोर्ट ने याची द्वारा प्रस्तुत मानचित्र पर जिला पंचायत को अपने उपनियमों के अनुसार उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया, साथ ही जिला मजिस्ट्रेट के आदेश को अप्रासंगिक घोषित करते हुए मौजूदा याचिका निस्तारित कर दी।

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