भारत का रुख

भारत का रुख

भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बीच 22 अगस्त को ब्रिक्स देशों यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के शासनाध्यक्षों की मुलाकात होनी निर्धारित है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में इन देशों का बड़ा हिस्सा है। दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स देशों का 15 वां सम्मेलन 22 से 24 अगस्त तक होगा। इसमें शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाएंगे। दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स का मौजूदा अध्यक्ष है। ब्रिक्स देशों में दुनिया की 40 फीसदी से ज्यादा आबादी रहती है। इस बार ब्रिक्स का सम्मेलन कई कारणों से ख़ास होगा। करीब 30 देश ब्रिक्स की सदस्यता हासिल करने में रुचि दिखा रहे हैं।

चीन भी चाहता है कि ब्रिक्स का विस्तार होना चाहिए। भारत कह रहा है कि विस्तार हो तो किन सिद्धांतों पर हो, पहले उसे परिभाषित किया जाना चाहिए। फिर इसे चरणबद्ध तरीके से और सबकी सहमति से बढ़ाया जाए। सवाल यही है कि जब विस्तार करेंगे तो कौन से देश अंदर आएंगे? क्या वही देश आएंगे जो पश्चिम विरोधी हैं? इस मुद्दे पर इस बार के सम्मेलन में व्यापक चर्चा होगी और कुछ सिद्धांत तय होने की संभावना बनती नजर आ रही है।

सोमवार को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने ब्रिक्स देशों के व्यापार मंत्रियों की बैठक में कहा कि ब्रिक्स देशों के बीच सामूहिक प्रयासों के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा पारदर्शिता और जानकारी साझा करके विश्वास आधारित खुले माहौल में काम करना होगा। महत्वपूर्ण है कि जिस तरह से ब्रिक्स को लेकर बाकी देश दिलचस्पी दिखा रहे हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि ब्रिक्स समूह का भविष्य उज्ज्वल है। भविष्य में ब्रिक्स एक ताकतवर मंच बन सकता है। 

बहरहाल भारत ने साफ इरादा जताया है कि कोई खास ऊर्जा नहीं नजर आने पर भी ब्रिक्स को संचालित रखा जाए। भविष्य में वैश्विक हालात बदल सकते हैं और समूह दोबारा प्रासंगिक हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो ब्रिक्स के विस्तार का तार्किक रुख होना चाहिए। भारत यह नहीं चाहेगा कि ब्रिक्स चीन के समर्थक देशों का समूह बने। ऐसा होने से अंतर्राष्ट्रीय मामलों में चीन की पहुंच मजबूत होगी जो जरूरी नहीं कि भारत के हित में हो।

भारत की यही कोशिश रहेगी कि चीन और रूस मिलकर विस्तार के नाम पर ब्रिक्स को पश्चिमी विरोधी गुट न बना दें। भारत का रणनीतिक रुख फिलहाल अमेरिका और रूस के बीच संतुलन बनाकर चलने का है। भारत के हितों के हिसाब से भी कूटनीतिक तौर से ये उचित कदम है।

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