पहाड़ की ये दाल है सेहत से भरपूर, एक बार खाएंगे तो खुद जान जाएंगे इसके फायदे

उत्तराखंड, अमृत विचार। अमूमन दालें प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत होती हैं पर पहाड़ की वादियों में मिलने वाली इस दाल की बात ही खास है। सर्द मौसम में गर्म तासीर वाली इस दाल को गहत के नाम से जाना जाता है। प्रोटीन तत्व की अधिकता से यह दाल शरीर को ऊर्जा देती है, साथ ही पथरी के उपचार की औषधि भी है।
यूं तो गहत आमतौर पर एक दाल मात्र है, जो पहाड़ की दालों में अपनी विशेष तासीर के कारण खास स्थान रखती है। वैज्ञानिक भाषा में डौली कॉस बाईफ्लोरस नाम वाली यह दाल गुर्दे के रोगियों के लिए अचूक दवा मानी जाती है। उत्तराखंड में 12,319 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इसकी खेती की जाती है। खरीफ की फसल में शुमार गर्म तासीर वाली यह दाल पर्वतीय अंचल में शीतकाल में ज्यादा सेवन की जाती है।
प्रोटीन तत्व की अधिकता से यह दाल शरीर को ऊर्जा देती है, साथ ही पथरी के उपचार की औषधि भी है। पर्वतीय क्षेत्र में गहत दाल दो प्रजातियां क्रमश: काली व भूरी के रूप मे प्रचलित है। इतना ही नहीं गर्म तासीर के कारण सर्द मौसम में इसकी दाल गुणकारी मानी जाती है और सर्दियों में ज्यादातर इस्तेमाल होती है।
थोड़ा पीछे जाकर इतिहास पर नजर डालें तो गहत का इस्तेमाल एक विस्फोटक के रूप में भी हुआ करता था। वर्तमान मे भले ही यह बात अटपटी लगे, मगर जानकारों के अनुसार यह प्रयोग 19वीं शताब्दी तक चला। चट्टान तोड़ने में वर्तमान में प्रयुक्त होने वाले डाइनामाइट की जगह इसी का इस्तेमाल होता था। इसका रस मात्र ही यह काम कर जाता था। कुमाऊंनी में इसे गहत व हिंदी मे कुल्थी नाम से जाना जाता है। जाड़े के मौसम मे इसकी दाल स्वास्थ्य के लिए विशेष लाभकारी है। सर्दी के मौसम में नवंबर से फरवरी माह तक इस दाल का उपयोग बहुतायत मे किया जाता है।
चिकित्सक बताते हैं कि गहत की दाल का रस गुर्दे की पथरी में काफी लाभकारी है। इसके रस का लगातार कई माह तक सेवन करने से स्टोन धीरे-धीरे गल जाता है। इसमें प्रोटीन की मात्रा भी पाई जाती है, जो कमजोर लोगों के लिए विशेष लाभदायी होता है।
वैज्ञानिक इसे एन्टीहायपर ग्लायसेमिक गुणों से भरपूर मानते हैं। इसके अलावा इसे Insulin के resistance को कम करने के लिए भी शानदार माना जाता है। गहत की दाल के बीज के छिलकों में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं। इसके अलावा इंडियन जरनल ऑफ मेडिकल रिसर्च में एक शोध प्रकाशित किया गया है। इस शोध के मुताबिक गहत की दाल किडनी स्टोन को डिजोल्व करने के गुणों से युक्त होती है। आयुर्वेदिक चिकित्सक भी इसकी दाल का प्रयोग अश्मरी, मूत्रल और Amenorrhea में करते हैं। खास बात ये भी है कि ये दाल वजन को नियंत्रित करने के गुणों से युक्त प्रभाव भी रखती है।