गैर सरकारी संगठन की चेतावनी, खतरनाक हो सकती है चारधामों में श्रद्धालुओं की अनियंत्रित आमद 

गैर सरकारी संगठन की चेतावनी, खतरनाक हो सकती है चारधामों में श्रद्धालुओं की अनियंत्रित आमद 

अमृत विचार। उत्तराखंड सरकार भले ही साल-दर-साल चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या से उत्साहित हो लेकिन यहां स्थित एक गैर सरकारी संगठन ने बृहस्पतिवार को चेतावनी दी कि तीर्थयात्रियों की अनियंत्रित आमद खतरनाक साबित हो सकती है। 

जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण, शहरीकरण और अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज (एसडीसी) फाउंडेशन’ ने यात्रा के दौरान चारधामों के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की दैनिक संख्या को नियमित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। 

आगामी 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के पर्व पर गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। केदारनाथ धाम के कपाट दो मई को जबकि बदरीनाथ के कपाट चार मई को खुल रहे हैं। 

खबरों के हवाले से राज्य सरकार के चारधामों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित न किए जाने के निर्णय के बारे में ‘एसडीसी फाउंडेशन’ के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि इससे गंभीर खतरा हो सकता है। नौटियाल ने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि प्रत्येक पंजीकृत श्रद्धालु को चारधामों में जाने की अनुमति होगी। हर गुजरते साल के साथ श्रद्धालुओं की बढ़ती जा रही आमद को देखते हुए उनकी संख्या को नियमित किया जाना बहुत जरूरी है। 

इन धार्मिक स्थलों की वहन क्षमता के आधार पर उनकी संख्या को नियमित किये बिना श्रद्धालुओं को आने की अनुमति दिये जाने से वहां जल्द ही भीड़भाड़ और कुप्रबंधन की स्थिति पैदा हो जाएगी जिससे श्रद्धालुओं और क्षेत्र के संवेदनशील पर्यावरण दोनों को नुकसान होगा।’ उन्होंने कहा कि एसडीसी फाउंडेशन सरकार से लगातार चारधाम स्थलों की वहन क्षमता पर विचार करने का आग्रह कर रहा है। 

जहां एक ओर सरकार सभी श्रद्धालुओं को मंदिरों में जाने की अनुमति दिये जाने की बात कह रही है वहीं अनेक लोगों को अपने निर्धारित दिनों पर आनलाइन पंजीकरण ‘स्लॉट’ भरे हुए मिल रहे हैं। उदाहरण के लिए यमुनोत्री में 18 मई तक के ‘स्लॉट’ भर चुके हैं। नौटियाल कहा कि सरकार ने पूर्व में आनलाइन और आफलाइन पंजीकरण के लिए क्रमश: 60:40 का अनुपात तय किया था। 

उन्होंने कहा कि अगर कोई श्रद्धालु यह सोचकर उत्तराखंड आ जाता है कि सभी को दर्शन की अनुमति मिलेगी और फिर उसे ‘स्लॉट’ पूरे होने के कारण बिना दर्शन वापस भेजा जाता है तो इससे प्रदेश की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा और अराजक स्थिति बन जाएगी। नौटियाल ने कहा कि चारधाम यात्रा में रिकार्ड तोड़ श्रद्धालुओं की आमद पर जश्न मनाने की बजाय अब तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा, स्थानीय पारिस्थितिकी और इन धामों पर निर्भर करने वाले समुदायों के कल्याण पर बल दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा का सार इसके धार्मिक और भावनात्मक मूल्य में निहित है जो भक्तों को ईश्वर से जोड़ता है और आध्यात्मिक नवीकरण प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि जब श्रद्धालुओं की गणना पर जोर दिया जाता है तो यह इस अनुभव को केवल सांख्यिकीय उपलब्धि तक सीमित कर देता है। नौटियाल ने कहा कि बढ़ती हुई भीड़ स्थानीय बुनियादी ढांचे पर दबाव डाल रही है, नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रही है और धार्मिक स्थानों की पवित्रता को भी बाधित कर रही है 

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