बरेली: नगर निगम... यहां घर फूंककर तमाशा कौन देखे
भुगतान न कर पाने की हालत में न होने से ठेकेदारों का मोहभंग, शहर में अटक गए तमाम काम
बरेली, अमृत विचार। बड़े-बड़े दावे आधुनिक राजनीति का हिस्सा हैं, लेकिन असलियत यह है कि नगर निगम अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। पुराना बकाया भुगतान न कर पाने की वजह से ठेकेदार अब कोई नया काम हाथ में लेने को तैयार नहीं हैं, इस वजह से शहर में तमाम काम अटक गए हैं। कोई वक्त था जब नगर निगम के टेंडरों के लिए ठेकेदारों में भीषण मारामारी होती थी लेकिन अब करोड़ों के कामों के बार-बार टेंडर निकाले जा रहे हैं लेकिन कोई उनमें दिलचस्पी दिखाने को तैयार नहीं है।
28 बेसिक स्कूलों का 1.28 करोड़ से कायाकल्प, अब पांचवीं बार टेंडर
बेसिक शिक्षा परिषद के 28 स्कूलों का एक करोड़ से कायाकल्प कराने के लिए नगर निगम अप्रैल से अब तक चार बार टेंडर निकाल चुका है लेकिन कोई ठेकेदार टेंडर लेने नहीं आया। अब पांचवीं बार निकाला गया जो शनिवार को खुलना है। इसके तहत आईवीआरआई कंपोजिट स्कूलों के कमरों में टाइल्स और समरसेबिल पंप, हजियापुर प्राइमरी स्कूल में दिव्यांग शौचालय, बालक-बालिका टॉयलेट और उनमें टाइल्स लगाने, बेनीपुर चौधरी स्कूल की बाउंड्री, कमरे में टाइल्स, सूफीटोला के कंपोजिट स्कूल में टाइल्स, सुभाषनगर के स्कूल-2 में फ्लोर, टाइल्स और हैंडवाश सिस्टम लगाने का काम होना है। बाकी स्कूलों में भी ऐसे ही काम होने हैं। इन पर 1.28 करोड़ से ज्यादा रकम खर्च होगी।3.20 करोड़ से नाला सफाई और सड़कों का पैचवर्क, कोई टेंडर डालने के मूड में नहीं
नगर निगम को नालों की सफाई के साथ सड़कों पर पैचवर्क कराना है। इन दोनों काम की लागत 3.20 करोड़ की है लेकिन ठेकेदार इसमें भी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। ये टेंडर 27 जुलाई को खुलने हैं।
डेढ़ करोड़ से ज्यादा के ये काम भी अटके
साहूकारा के सराफा बाजार मे बूचड़खाने की जगह 8.34 लाख से साइकिल स्टैंड और शौचालय निर्माण होना है। परसाखेड़ा औद्योगिक क्षेत्र में विमल रेवाड़ी फैक्ट्री रोड पर दोनों ओर 5.65 लाख से टाइल्स लगनी है। शहर में 94 लाख से सड़कों के पैचवर्क और गड्डामुक्ति के साथ 63 लाख से नाला सफाई का टेंडर निकाला गया है जो 27 जुलाई को खुलना है।
ये लॉलीपॉप अब नहीं चलेगा
नगर निगम से ठेकेदारों काे 65 करोड़ का पुराना भुगतान नहीं मिला है। नगर निगम की वित्तीय हालत भी फिलहाल यह भुगतान करने की नहीं है क्योंकि खजाना खाली है। ठेकेदार अब कोर्ट जाने के मूड में हैं। अफसर काम कराने के लिए लॉलीपॉप भी दे रहे हैं। उन ठेकेदारों की सूची बनाई जा रही है जिनके काम अधूरे हैं। उनके रनिंग बिल में कुछ भुगतान करने का आश्वासन देकर उनसे नया काम करने को कहा जा रहा है लेकिन ठेकेदारों का कहना है कि निगम जितना भुगतान करेगा, उससे ज्यादा उनका पैसा नए काम में लग जाएगा इसलिए पिछला भुगतान किए बगैर वे काम नहीं करेंगे।
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