बरेली: योग विवाद पर दरगाह परिवार में तीखे वार भी

नबीर-ए-आला हजरत अर्सलान मियां ने जारी किया फतवा, आज योग कर रहे हैं तो कल वंदे मातरम भी गाना पड़ेगा

बरेली: योग विवाद पर दरगाह परिवार में तीखे वार भी

बरेली, अमृत विचार। विश्व योग दिवस पर दरगाह आला हजरत स्थित मदरसा मंजर-ए-इस्लाम में योगाभ्यास के दौरान सूर्य नमस्कार जैसी मुद्रा पर विवाद के बाद दरगाह में एक बार फिर दो पक्ष दिखने लगे हैं। एक पक्ष जहां हमलावर है और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है, वहीं दूसरा पक्ष बचाव की मुद्रा में है। इस बीच रजवी दारुल इफ्ता की ओर से नबीर-ए-आला हजरत अर्सलान मियां ने फतवा जारी कर दिया है कि इस मामले में शरीयत के हिसाब से सख्त कार्रवाई की जाए। योग को दूसरे धर्म का रीतिरिवाज बताते हुए यह भी कहा गया है कि योग करते रहे तो वंदे मातरम भी गाना पड़ेगा।

अर्सलान मियां ने चार पन्नों के फतवे में दरगाह परिसर में मदरसे के छात्रों और शिक्षकों के योगाभ्यास को शरीयत और इस्लाम के ऊपर खुला हमला बताते हुए इस पर सख्त नाराजगी जताई गई है। योग को दूसरे धर्म का रीति-रिवाज बताते हुए कहा गया है कि सूर्य नमस्कार अगर कुफ्र और हराम है तो योग को भले ही कसरत बताया जाए, कई आसनों के कारण वह भी गलत माना जाएगा। ऐसे ही करते रहे तो कल वंदे मातरम गाना पड़ेगा और भारत माता की जय का नारा भी लगाना पड़ेगा। मदरसा शिक्षकों की ओर इशारा करते हुए कहा गया कि अगर कोई काम हराम किया गया है तो ऐसी नौकरी भी जायज नहीं होगी।

विश्व योग दिवस पर 21 जून को दरगाह में आला हजरत स्थापित मदरसा मंजर-ए-इस्लाम में भी योगाभ्यास किया गया था। गुंबद-ए-आला हजरत के सामने योग करते छात्रों की तस्वीरे वायरल हुईं तो देश-विदेश से उलमा की गुस्से भरी प्रतिक्रियाएं आने लगीं। इसके बाद दरगाह परिवार में भी इस पर जबर्दस्त विवाद शुरू हो गया। मुफ्ती सलीम नूरी को स्पष्टीकरण जारी कर सफाई देनी पड़ी कि मदरसा बोर्ड के आदेश पर योगाभ्यास कराया गया था। उन्हें और छात्रों को इस कार्यक्रम की वास्तविकता की जानकारी नहीं थी। इसी कारण गलती हुई।

उलमा के बीच योग पर एक राय कायम करने के बाद लिया जाएगा निर्णय
इस विवाद के बाद दरगाह में जिस तरह का माहौल है, उसे देखते हुए माना जा रहा है कि योग कराने वाले शिक्षकों पर बकरीद के बाद कार्रवाई की जा सकती है। कुछ और निर्णय भी लिए जा सकते हैं। हालांकि अभी इस मामले में कोई सार्वजनिक तौर पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है। दरगाह आला हजरत और मदरसा मंजर-ए-इस्लाम के पदाधिकारी बाहरी लोगों के फोन तक नहीं उठा रहे हैं।इस बीच बुधवार को दरगाह के सज्जादानशीन अहसन मियां ने मदरसा शिक्षकों और टीटीएस के पदाधिकारियों को बुलाकर इस मसले पर बातचीत की। दरगाह में भी यह मामला चर्चा का विषय बना रहा है। कहा जा रहा है कि योग को लेकर उलेमा की फिलहाल कोई स्पष्ट राय नहीं है। लिहाजा उलमा के बीच एक राय कायम कर मसले का हल निकालने की कोशिश की जाएगी। इससे पहले दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां भी सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए साफ कर चुके हैं कि ऐसी सरकारी मदद नहीं चाहिए जिसकी वजह से शरीयत पर कोई आंच आए।

वृक्षासन किया था मदरसे के छात्रों ने
मदरसा छात्रों को शिक्षकों ने जो आसन कराया, उसकी तस्वीरों पर सारा विवाद खड़ा हुआ है। कुछ लोग इसे सूर्य नमस्कार से जोड़कर देख रहे हैं, लेकिन योग विशेषज्ञों के मुताबिक यह सूर्य नमस्कार नहीं था। योगाचार्य मीना सोंधी के मुताबिक तस्वीर में छात्र जिस मुद्रा में खड़े हैं, वह वृक्षासन की तरह है। यह योग की ही एक क्रिया है। इस आसन को पैरों में कंपन से निजात पाने के लिए किया जाता है।

दरगाह अजमेर शरीफ के खादिम से मुलाकात पर घिरे थे सलमान मियां
पिछले सालों में ऐसे कई मौके आए हैं, जब दरगाह परिवार के लोग ही एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े दिखाई दिए हैं। जनवरी में अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स के दौरान बरेलवी जायरीन से मारपीट के बाद जमात रजा-ए-मुस्तफा के उपाध्यक्ष सलमान मियां के दरगाह अजमेर शरीफ के खादिम से मिलने पर तगड़ा विवाद खड़ा हो गया था। सलमान मियां को कुछ समय के लिए संगठन तक से हटा दिया गया था। उनकी मुख्यमंत्री योगी से गोपनीय मुलाकात की तस्वीर वायरल होने पर भी काफी विवाद हुआ था।

हटाए गए थे सुब्हानी मियां के दामाद
उत्तराखंड के पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान खटीमा से एआईएमआईएम के टिकट पर भाजपा के पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला करने पर दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां के दामाद आसिफ मियां भी विवादों से घिर गए थे। दरगाह से जुड़े रहकर सियासत में सीधा कदम रखने पर नाराजगी जताते हुए दरगाह के अधिकृत दीनी मजहबी और सामाजिक संगठन तहरीके तहफ्फुजे सुन्नियत (टीटीएस) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद के साथ दरगाह की सभी जिम्मेदारियों और पदों से हटा दिया गया था।

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