लखनऊ : पशु पालन के अधिकारियों ने कॉल कर की क्राॅस चेकिंग
अमृत विचार, लखनऊ । प्रदेश में 520 मोबाइल वेटरनरी यूनिट (एंबुलेंस) का संचालन कर रहीं पांचों कंपनियों पर पशु पालन विभाग का शिकंजा कसने लगा। यह मुद्दा अमृत विचार ने 27 मई को ''वेटिंग में पशुओं का इलाज, पुलिस को जाती काॅल'' शीर्षक से प्रमुखता से उठाया था। जिसका शासन और पशु पालन विभाग ने संज्ञान लेकर जांच शुरू कर दी है, जिससे मनमानी नहीं चलेगी।
शनिवार और रविवार को निदेशक स्तर की टीम ने कंपनियों के कंट्रोल रूम के बाहर से 1962 टोल फ्री नंबरों पर कॉल की। कहीं वेटिंग तो कहीं कॉल रिसीव हुई। वेटिंग पर कॉल न उठाने की आंशका पर कंट्रोल रूम के अंदर जाकर क्रास चेकिंग की तो कर्मी अन्य कॉल पर व्यस्त मिले। टेली कॉलरों ने एक कॉल पर 10-12 मिनट तक लगना बताया। जिसके कारण वेटिंग होना बताया। पांचों कंपनियों ने एक-एक कंट्रोल रूम बनाए हैं। जांच में पाया कि सभी में गाइडलाइन के अनुसार छह टेली कॉलर हैं। जो शिकायतों का देखते हुए कम हैं। जिनकी संख्या बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र भेज अनुमति मांगी गई है। रही बात कॉल न लगने की और बीच में 112 ट्रांसफर हाेने की जिसे दुरुस्त किया जा रहा है।
निदेशालय कैमरों से कंट्रोल रूम पर रखेगा नजर
पांचों कंपनियों के कंट्रोल रूम पर पशु पालन विभाग नजर रखेगा। जो निदेशालय पर कंट्रोल रूम बनाएगा और कंपनियों के कंट्रोल रूम पर सीसीटीवी कैमरे लगाकर जोड़ेगा। जिससे हर गतिविधियां अधिकारी देखते रहेंगे। उपचार और कॉल के पोर्टल भी निदेशालय के कंट्रोल रूम से लिंक होंगे। जिससे कंपनियां फर्जीवाड़ा नहीं कर पाएंगी। कॉल आने पर मौके पर गई एंबुलेंस की भी ट्रेसिंग की जाएगी।
कंपनी खा रही कर्मियों की कमाई, जांच के निर्देश
मोबाइल वेटरनरी यूनिट (एंबुलेंस) का संचालन कर रहीं कंपनियों पर आउटसोर्स पर रखे गए चिकित्सक व कर्मियों को निर्धारित वेतन से कम भुगतान करने की शिकायतें हैं। जिसे पशु पालन विभाग ने गंभीरता से लेकर जांच के निर्देश दिए हैं।
गाइडलाइन के अनुसार एक एंबुलेंस पर पशु चिकित्सक, मल्टी टास्किंग पर्सनल व चालक रखा है। पशु चिकित्सक का वेतन 55 हजार, मल्टी टास्किंग पर्सनल का 20 हजार व चालक का 15 हजार रुपये है। लेकिन, कंपनियां विभाग से पूरा वेतन लेकर अधिक कटौती कर दें रहीं हैं।
इसमें एक कंपनी ने मल्टी टास्किंग पर्सनल को 7200 रुपये, चालक को 6500 रुपये और इसी तरह चिकित्सक के वेतन में अधिक कटौती कर अप्रैल का भुगतान किया है। जो वेतन का आधा भी नहीं है। इससे कर्मचारी नौकरी छोड़ने की स्थिति में हैं। शायद इसी वजह से तमाम पदों पर भर्ती नहीं हो पाई है। ऐसे में तर्क सिक्योरिटी जमा कराने का है। जिसकी अनुबंध खत्म होने के बाद गांरटी नहीं है। वेतन भी कर्मियों को चार से पांच हजार कम बताया गया है। इस तरह की शिकायतें मिलने पर पशु पालन विभाग ने अफसरों की टीम गठित कर जांच के निर्देश दिए हैं।
ये भी पढ़ें - लखनऊ : लोकसभा चुनाव की तैयारी तेज, भाजपा का विशेष अभियान शुरू