Bageshwar by-election: चर्चाओं में कई नाम, सरगर्मियां तेज, नामों को लेकर सुगबुगाहट शुरू

Bageshwar by-election: चर्चाओं में कई नाम, सरगर्मियां तेज, नामों को लेकर सुगबुगाहट शुरू

बागेश्वर, अमृत विचार। कैबिनेट मंत्री और विधायक चंदन राम दास के निधन के बाद रिक्त हुई बागेश्वर विधानसभा सीट पर चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के दावेदारों के नामों को लेकर सुगबुगाहट भी शुरू हो गई है।

भाजपा में चुनाव लड़ने के उम्मीदवार तो बहुत हैं, लेकिन उत्तराधिकारी के रूप में स्वर्गीय चंदन राम दास की पत्नी तुलसी दास का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। वहीं, कांग्रेस से एकमात्र नाम रंजीत दास का सामने आ रहा है।

 कैबिनेट मंत्री चंदन दास का विगत 26 अप्रैल को निधन हो गया था। बागेश्वर विधानसभा सीट पर छह माह के भीतर उप चुनाव होना है, ऐसे में दावेदारों ने अभी से पेशबंदी करनी शुरू कर दी है। कांग्रेस की बात करें तो उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे पूर्व विधायक स्वर्गीय गोपाल राम दास के पुत्र रंजीत दास को पार्टी भाग्य आजमाने का मौका दे सकती है। 

वहीं, भाजपा में पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय चंदन दास की पत्नी तुलसी दास के अलावा कोई दूसरा नाम प्रमुखता से सामने नहीं आया है। हालांकि, स्व. दास के ज्येष्ठ पुत्र गौरव दास और कनिष्ठ पुत्र भास्कर दास के नाम भी जनता के बीच चर्चा में हैं, लेकिन सूत्रों की मानें तो तुलसी दास को ही टिकट मिलने की प्रबल संभावना है। 

वहीं, भाजपा में ही कुछ अन्य नेता भी उप चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे हैं। इसके लिए ये अपने-अपने राजनैतिक आकाओं से संपर्क करने में लगे हैं। कुछ प्रत्याशियों ने तो टिकट पाने को लेकर लामबंदी करनी भी शुरू कर दी है। 

बताया जा रहा है कि कुछ प्रत्याशियों ने अपने आकाओं से कहा है कि यदि स्वर्गीय दास की पत्नी को पार्टी टिकट देती है तो वे अपना दावा वापस ले लेंगे परंतु अन्य के नाम पर विचार करने की स्थिति में वे अपना दावा मजबूती से रखेंगे।

इस बार कांग्रेस संगठन में टिकट हेतु रंजीत दास मजबूत दावेदार नजर आ रहे हैं। गत चुनावों में इस सीट पर बालकृष्ण टम्टा, रंजीत दास, भैरव नाथ टम्टा ने टिकट की दावेदारी की थी परंतु रंजीत दास को टिकट मिला था। 

जिसके बाद बालकृष्ण व भैरव नाथ टम्टा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा जिससे संगठन में उन्हें नुकसान हुआ व उन्हें कांग्रेस से निष्कासित किया गया था। इस बार रंजीत के सामने अन्य कोई मजबूत दावेदार नजर नहीं आ रहा है।

उपचुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी पर भी नजरें हैं। गत चुनावों में उद्योगपति बसंत कुमार द्वारा कभी बसपा तो कभी आप से चुनाव लड़कर रण का माहौल बदलने में भूमिका निभाई जाती रही है, परंतु इस बार बसंत कुमार पिछले चुनाव के बाद राजनैतिक रूप से शांत हैं। 

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