नैनीताल: मेडिकल वेस्ट का निस्तारण न होने पर हाईकोर्ट ने पूछा नियमों का पालन क्यों नहीं...

नैनीताल, अमृत विचार। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिथौरागढ़ जिले में अस्पतालों का मेडिकल कचरा खुले में, नदी, नालों, गड्डों व नगर पालिका के कूड़े के डिब्बों में डाले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य प्रदूषण स्टेट पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड (एसपीसीबी), सचिव और महानिदेशक स्वास्थ्य से पूछा है कि नियमों का पालन क्यों नहीं किया और मेडिकल वेस्ट निस्तारण के लिए क्या कार्यवाही की गई, इससे 9 मई तक शपथपत्र देकर कोर्ट को अवगत कराएं।
मामले के अनुसार, पिथौरागढ़ निवासी डॉ. राजेश पांडे ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि पिथौरागढ़ जिले में मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए कोई सुविधा नहीं है, जिसकी वजह से सरकारी, प्राइवेट हॉस्पिटल व पैथ लैब का मेडिकल वेस्ट इनके द्वारा खुले में, नदी, नालों, गड्डों एवं नगर पालिका के कूड़े के डिब्बों में डाला जा रहा है, जिसकी वजह से बीमारी फैलने की संभावना बढ़ रही है। इस वेस्ट को जानवर खा रहे हैं और उनके स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। जिले में करीब 20 पैथ लैब संचालित हैं परन्तु इनका एसपीसीबी में रजिस्ट्रेशन तक नहीं है।
सीएमओ पिथौरागढ़ ने भी स्वीकार किया है कि जिले में मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं हैं, जिसकी वजह से वेस्ट निस्तारण की समस्या का सामना कर रहे हैं और अन्य हॉस्पिटल भी कचरे को इधर-उधर डाल रहे हैं। याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई कि राज्य का सीमांत जिला होने के कारण पिथौरागढ़ में कॉमन मेडिकल वेस्ट सेंटर बनाने का आदेश राज्य सरकार को दिया जाए।