निकाय चुनाव : महापौर पद अनारक्षित प्रस्तावित होने से दावेदार खुश
अब तक सीट हमेशा सामान्य वर्ग के लिए रही, पिछड़े वर्ग के लोगों ने जताई थी आपत्ति
मुरादाबाद, अमृत विचार। लंबे इंतजार के बाद गुरुवार को शासन ने नगर निगम के महापौर, नगर पालिका के चेयरमैन और नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद का प्रस्तावित आरक्षण जारी कर दिया। इस पर एक सप्ताह में छह अप्रैल की शाम छह बजे तक आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है। इसके बाद अंतिम आरक्षण सूची जारी होगी। प्रस्तावित सूची में मुरादाबाद नगर निगम के महापौर का पद अनारक्षित होने से भाजपा में सर्वाधिक दावेदारी रहेगी। एक बार फिर निवर्तमान महापौर पर भाजपा दांव खेल सकती है या फिर किसी नये चेहरे को भी मौका दे सकती है। लेकिन अब चुनाव से पहले ही टिकट मिलना ही रोचक होगा।
नगर विकास विभाग की ओर से 17 नगर निगमों के महापौर के लिए जो प्रस्तावित आरक्षण सूची जारी की गई है। इसमें मुरादाबाद अनारक्षित है। इसके अलावा वाराणसी, प्रयागराज, अलीगढ़, बरेली, गोरखपुर, अयोध्या और मथुरा वृंदावन को अनारक्षित रखा गया है। मुरादाबाद नगर निगम के महापौर की सीट एक बार फिर अनारक्षित होने से भाजपा में ही सर्वाधिक दावेदारी बढ़ेगी।
हालांकि निवर्तमान महापौर विनोद अग्रवाल और उनके शुभचिंतक इसे अपनी जीत मान रहे हैं और इसका श्रेय भी खुद ले रहे हैं। लेकिन, असल स्थिति आपत्तियों के निस्तारण के बाद ही पता चलेगा। वहीं भाजपा के अन्य चेहरे भी अपनी धार तेज कर चुनाव के लिए दावेदारी करने में लगेंगे। नगर निगम के चुनाव में सबसे पहले महापौर का चुनाव 1995 में सपा के हुमायूं कदीर ने जीत कर सिरमौर बनने का गौरव हासिल किया था।
प्रस्तावित आरक्षण जारी होने पर निवर्तमान महापौर विनोद अग्रवाल का कहना है कि सीट अनारक्षित करने का प्रस्ताव सरकार ने किया है। जहां तक चुनाव लड़ने का सवाल है लंबे समय तक जनसेवा का अनुभव है। जनता की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से सेवा की है। टिकट देना, न देना पार्टी का निर्णय है। जो पार्टी का आदेश होगा वह शिरोधार्य होगा।
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