बरेली : कर्नाटक में मुसलमानों को दिए गए आरक्षण को समाप्त किए जाने पर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने नाराजगी जाहिर की 

बरेली : कर्नाटक में मुसलमानों को दिए गए आरक्षण को समाप्त किए जाने पर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने नाराजगी जाहिर की 

बरेली, अमृत विचार। कर्नाटक सरकार ने 24 मार्च, 2023 को नौकरी और शिक्षा से जुड़े आरक्षण को लेकर कुछ निर्णय लिए हैं। जिनसे कर्नाटक में आरक्षण का पूरा गणित बदल गया।  इन्हीं में से दो निर्णय ऐसे भी हैं जिन्हें साम्प्रदायिक भावना से प्रेरित बताया जा रहा है। पहला कि मुसलमानों को 2B कैटेगरी के तहत मिलने वाला 4% आरक्षण खत्म कर उन्हें आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की कैटेगरी यानी EWS में डाल दिया गयाऔर दूसरा कि इस 4% आरक्षण को वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय में बांट दिया गया।  

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के द्वारा मुसलमानों के आरक्षण को समाप्त किए जाने पर सख्त नाराजगी जाहिर की है। शहाबुद्दीन ने कहा, कर्नाटक मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार ने एक नया आरक्षण शुरू कर अनुसूचित जातियों के साथ हुए अन्याए को दूर करने की कोशिश में मुसलमानों को दिए गए चार फीसदी आरक्षण को समाप्त कर दिया है। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि कर्नाटक सरकार का आरक्षण समाप्त करने का ये फैसला सरासर नाइंसाफी पर आधारित है। 2014 में कर्नाटक सरकार ने मुसलमानों को आर्थिक रूप से कमजोर मानते हुए चार फीसदी आरक्षण दिया था।

उस वक्त से आज तक ये आरक्षण चला आ रहा था। मगर, चुनाव करीब आने से ठीक पहले मुसलमानों के आरक्षण की याद आ गई। सरकारों का काम सभी समुदाय व सम्प्रदाय के सामाजिक और आर्थिक हालात को सुधारना है, न कि कमजोर करना। मगर कर्नाटक की सरकार आरक्षण समाप्त करके मुसलमानों को सरकार की योजनाओं से दूर रखना चाहती है और आर्थिक रूप से भी कमजोर करना चाहती है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिये। सरकारों का काम जनता के साथ भलाई का काम करना और सभी के लिए जन कल्याणकारी योजनाएं चलाकर फायदा पहुंचाना होता है। 

मौलाना ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री का ये कहना कि मुसलमानों को दिया गया चार फीसदी आरक्षण संविधान के मुताबिक नहीं था, क्योंकि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है। मुख्यमंत्री को ये बात खूब अच्छे से समझना चाहिए कि ये आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं दिया गया था, बल्कि आर्थिक आधार पर दिया गया था। ये बात पूरा भारत जानता है कि मुसलमानों की बहुसंख्यक तादाद आर्थिक और शिक्षित रूप से बहुत कमजोर है।

मौलाना ने आगे कहा कि मुसलमानों को दिए गए चार फीसदी ओबीसी आरक्षण को खत्म करके वीरशैव, लिंगायत और वोक्कालिगा जैसे समुदायों में बांट दिया है। हमें इन समुदायों को आरक्षण देने पर कोई आपत्ति नहीं है, बल्कि हमें खुशी है कि भारत में कमजोर समुदायों को आरक्षण देकर मजबूत किया जा रहा है।

मगर हमें नाराजगी इस बात पर है कि मुसलमानों के आरक्षण को समाप्त करके चार फीसदी आरक्षण को दूसरे समुदाय में बांट दिया गया। जबकि अगर इन समुदायों को आरक्षण देना ही था तो बगैर चार फीसदी आरक्षण समाप्त किए नए तौर पर आरक्षण दिया जा सकता था। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कर्नाटक सरकार से मांग करते हुए कहा कि मुसलमानों को दिए गए चार फीसदी आरक्षण को बहाल किया जाए, ताकि बोम्मई सरकार कर्नाटक के मुसलमानों का भरोसा जीत सके।

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