समुद्र तट पर ओलिव रिडले कछुओं के अंडा देने के स्थान को प्रस्तावित सड़क परियोजना से खतरा
5.jpg)
गुहागर (महाराष्ट्र)। कोंकण तट के एक शांत हिस्से में डाभोल ऊर्जा परियोजना के पास एक जगह है जहां ओलिव रिडले कछुएं अंडे देते हैं और अब एक प्रस्तावित सड़क की वजह से इसको खतरा उत्पन्न हो गया है। इसने पर्यावरणविदों के साथ ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी चिंतित कर दिया है। पर्यावरणविदों और आधिकारिक पत्रों के अनुसार हर साल अक्टूबर और मार्च के बीच, दर्जनों मादा ओलिव रिडले कछुए अंडे देने के लिए 6.5 किलोमीटर लंबे गुहागर समुद्र तट पर पहुंची हैं और इसके लिए वे कई मील तैरती हैं।
कार्यकर्ताओं और आधिकारिक पत्रों के अनुसार कछुओं के अंडा देने की जगह के संरक्षण के लिए शिंदे ने इस महीने की शुरुआत में सड़क परियोजना को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई का आदेश दिया था। समुद्र तट के साथ और भीतरी इलाकों में 12 मीटर सड़कों का एक बड़ा जाल बनाने के प्रस्ताव से पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील उस स्थल के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है जहां ये कछुए अपने अंडे देते हैं। इस पर पर्यावरणविदों ने पत्र लिखकर कहा है कि सरकार उस परियोजना पर आगे किसी भी कार्य को रोक दे जिसके बारे में 9 फरवरी को गुहागर नगर पंचायत द्वारा प्रकाशित एक मसौदा विकास योजना में विस्तृत परियोजना की जानकारी दी गई है।
महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री (और समवर्ती जिला मंत्री) उदय सामंत ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि योजना में ‘‘गुहागर शहर की पारिस्थितिकी और भौगोलिक स्थिति पर विचार नहीं किया गया।’’ पत्र की एक प्रति पीटीआई ने देखी है। इसमें कहा गया है कि स्थानीय लोगों ने शिकायत की है कि प्रस्तावित योजना ‘‘पर्यावरण को पूरी तरह से नष्ट कर देगी और क्षेत्र में वन्यजीवों को भारी क्षति पहुंचाएगी।’’ उन्होंने प्रस्तावित विकास योजना को रद्द करने की मांग की। अधिकारियों ने कहा कि इस पर ध्यान देते हुए शिंदे ने शहरी विकास के लिए अपने अतिरिक्त मुख्य सचिव से तुरंत कार्रवाई करने को कहा।
गुहागर समुद्र तट विभिन्न दुर्लभ पक्षियों और समुद्री जीवों का एक अभयारण्य है, जिसमें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची आई के तहत संरक्षित ओलिव रिडले कछुए भी शामिल हैं। ओडिशा तट ओलिव रिडले कछुओं के अंडा देने का सबसे बड़ा स्थल है और गुहागर इसके लिए एक छोटा स्थल है। गुहागर में, पर्यावरणविद् और स्थानीय लोग कछुओं के अंडा देने वाली जगह का संरक्षण करते हैं और लगभग 45-65 दिनों के बाद कछुओं के बच्चों के अंडों से बाहर आने के बाद उन्हें छोड़ देते हैं। पर्यावरणविद् बिट्टू सहगल ने सड़क योजना पर आश्चर्य व्यक्त किया जो कछुओं के अंडा देने के स्थल को नष्ट कर सकती है।
‘सैंक्चुअरी’ पत्रिका के संपादक सहगल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं रत्नागिरि के गुहागर समुद्र तट की सुनहरी रेत से परिचित हूं। यह उन अधिकांश समुद्र तटों से बेहतर है जिसे देखने के लिए लोग आधी दुनिया की यात्रा करते हैं। मैं यह सुनकर हैरान हूं कि गुहागर समुद्र तट के थोड़ा पूर्व में गुहागर नगर पंचायत द्वारा एक व्यापक तारकोल सड़क की योजना बनाई गई है, जो वस्तुत: समुद्र तट से लगती है। ऐसी सड़क तट पर आने वाले लुप्तप्राय ओलिव रिडले कछुओं को क्षति पहुंचाएगी।’’
ये भी पढ़ें- PM मोदी के खिलाफ 30 मार्च को देशभर में पोस्टर लगाएगी ‘आप’