कश्मीर में मनुष्यों और जानवरों के बीच संघर्ष की घटनाएं बढ़ीं, मुख्य कारण तेजी से शहरीकरण : विशेषज्ञ

श्रीनगर। कश्मीर में हालिया समय में मनुष्यों एवं जानवरों के बीच संघर्ष के मामलों में बढ़ोतरी हुई है और विशेषज्ञों ने इसके लिए वन्यजीवों के पर्यावास क्षेत्रों में मनुष्यों के हस्तक्षेप को मुख्य कारण बताया है। कश्मीर में क्षेत्रीय वन्यजीव वार्डन राशिद नकाश ने यहां ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ वर्षों में मानव-वन्यजीव संघर्ष निश्चित रूप से काफी बढ़ गया है।’’
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उन्होंने कहा कि 2006 से 2022 तक मनुष्यों और जानवरों के बीच संघर्ष की घटनाओं में 242 लोगों की जान गई और ऐसी घटनाओं में 2,940 लोग घायल हुए। नकाश ने कहा कि इन संघर्षों का मुख्य कारण वन्यजीवों के आवासों में मनुष्यों का हस्तक्षेप है। उन्होंने कहा, ‘‘वन्यजीवों के पर्यावास क्षेत्रों में बदलाव किये जाने के कारण मनुष्य और वन्यजीवों के बीच संघर्ष काफी बढ़ गया है।’’
यद्यपि संघर्ष के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन व्यापक जागरूकता के कारण पिछले साल हताहतों की संख्या में कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार, 2013 और 2014 में ऐसे मामलों में कुल मृतक संख्या 28 थी, जो 2022 में घटकर 10 रह गई। नकाश ने कहा कि हताहतों की संख्या कम होने के बावजूद वन्यजीवों के रिहायशी इलाकों में नजर आने की घटनाएं बढ़ी हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तरी कश्मीर में तेंदुओं द्वारा बच्चों को उठाए जाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभाग ने ऐसी घटनाओं से निपटने और उचित कदम उठाने के लिए कश्मीर के चारों ओर 22 बचाव नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं, जो चौबीसों घंटे सेवा में उपलब्ध हैं।
मध्य प्रभाग में वन्यजीव वार्डन अल्ताफ हुसैन ने कहा कि मानव आवास और वन क्षेत्रों के बीच दूरी कम होने के कारण इस प्रकार की घटनाएं बढी हैं। हुसैन ने कहा कि जानवर सीमाओं को नहीं समझते, इसलिए जो लोग जंगलों के करीब रहते हैं, उन्हें सावधानी बरतनी होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन उन्हें (मनुष्यों को) स्वयं कोई कदम उठाने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उन्हें हमें बुलाना चाहिए।’’ हुसैन ने कहा कि विभाग ने ऐसे क्षेत्रों में चौबीसों घंटे दल तैनात किये हैं, जहां इस प्रकार के मामले अकसर सामने आते हैं।
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