मुरादाबाद : होली नजदीक, बाजार में नकली और मिलावटी मावा की खेप बढ़ी

खाद्य सुरक्षा विभाग ने अभी तक होली को देखते हुए नहीं चलाया अभियान, कारोबारी सामान का स्टॉक करने में जुटे

मुरादाबाद : होली नजदीक, बाजार में नकली और मिलावटी मावा की खेप बढ़ी

हरथला बाजार में एक दुकान पर बिक्री के लिए रखा मावा।

मुरादाबाद, अमृत विचार। होली में अब आठ दिन बाकी हैं। ऐसे में मिलावट के कारोबारी त्योहार के नाम पर लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने को तैयार बैठे हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग ने भी अभी तक जांच अभियान शुरू नहीं किया। इसका फायदा उठाकर मिलावटी और नकली मावा की खेप और सिंथेटिक दूध का स्टॉक ऐसे कारोबारी करने में जुटे हैं। 

होली, दिवाली, नवरात्रि, दशहरा पर बाजार में मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री कर कारोबारी खुद का हित साधने में जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हैं। बाजार में मिलावटी मावा लाने में रोडवेज की बसें भी सहायक बन रही हैं। चालक, परिचालक अपने थोड़े से लाभ के लिए इसकी बुकिंग या फिर निजी सामान बताकर गंतव्य तक पहुंचाते हैं। अमरोहा गेट पर लगने वाली मावा मंडी इन दिनों गुलजार है।

होली करीब आने पर खाद्य सुरक्षा विभाग की छापेमारी होने की संभावना को देखकर इसके कारोबारी बाहर से और देहात के क्षेत्र से मिलावटी और नकली मावा की खेप मंगाकर स्टॉक करने में लगे हैं। क्योंकि खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी सरकार के आदेश पर मार्च में ही अभियान शुरू करने की बात कर रहे हैं।  अभी बाजार में मावा 300-400 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। लेकिन, होली पर कारोबारी और कई लोग निजी स्तर पर भी प्रयोग के लिए मावा की अग्रिम बुकिंग कराने में लगे हैं। 

नकली मावा बनाने में इनका होता है प्रयोग
होली, दिवाली और अन्य  महत्वपूर्ण त्योहार पर मिलावट के कारोबारी सक्रिय हो जाते हैं। नकली मावा बनी मिठाई खाने से स्वास्थ्य के लिए खतरा होता है। कई बीमारी होने की संभावना चिकित्सक जताते हैं। नकली मावा बनाने में दूध में यूरिया के अलावा डिटर्जेंट पाउडर और निम्न गुणवत्ता का वनस्पति घी इस्तेमाल किया जाता है। इसके बनाने में सिंथेटिक दूध प्रयोग होता है। सिंथेटिक दूध बनाने में मात्र 10 ग्राम वॉशिंग पाउडर, 800 एमएल रिफाइंड तेल और सिर्फ 200 एमएल दूध को आपस में मिलाया जाता है। इसके प्रयोग से कम लागत में दूध तैयार होने से इससे बना मावा भी शुद्ध मावा से काफी सस्ता पड़ता है। इसे अधिक मुनाफे में बाजार में बेंचकर मोटी कमाई का खेल होता है। 

ऐसे परखें मिलावट 
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी बागीश मणि त्रिपाठी बताते हैं कि मावा मिलावटी या नकली है इसकी पहचान आसान है। सबसे पहले मावा में थोड़ी सी चीनी डालकर कढ़ाही में गर्म करने रख दें। अगर थोड़ी देर बाद यह पानी छोड़ने लगे तो इसका मतलब साफ है कि मावे में मिलावट है। सब स्टैंडर्ड की पहचान चिकनाई कम होना ही प्रमुख रूप से है। मैदा और स्वीट पोटैटो की मिलावट से नुकसान होता है। मावा में मिलावट की पहचान आयोडीन के प्रयोग से हो जाती है।  

अभी शासन से नहीं मिला आदेश
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि अभी सरकार की ओर से कोई आदेश नहीं आया है। आदेश आते ही होली पर मिलावट का कारोबार करने वालों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करेंगे। 

असली मावा की पहचान 
मावा असली है तो वह एक दम मुलायम व नर्म दिखेगा। यदि मावा खाने पर मुंह में चिपके तो इसका मतलब मावा नकली है। नकली मावा की लोइयां फटने लगती है। 

बोले चिकित्सक,  मिलावटी मावा व सिंथेटिक दूध नुकसानदेह
जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. एनके मिश्र का कहना है कि चाहे मिलावटी मावा, सिंथेटिक दूध और या कोई अन्य मिलावटी खाद्य पदार्थ हो सभी सेहत के लिए नुकसानदेय हैं। यूरिया, डिटर्जेंट मिलाकर दूध बनाने और फिर इससे बने मावा को खाने से पेट में दर्द, उल्टी, मरोड़ होता है। लंबे समय तक मिलावटी दूध और मावा के सेवन से पेट में अल्सर या कैंसर भी होने का खतरा बना रहता है।

ये भी पढ़ें :  मुरादाबाद : शहर में स्वच्छता को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की दी जानकारी