इतिहास रचने को तैयार पुस्तक भारतीय कला एवं संस्कृति
रांची। झारखंड के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव डा मनीष रंजन की एक और पुस्तक भारतीय कला एवं संस्कृति प्रकाशित हो गयी है और बाजार में उपलब्ध हो गयी है।काफी लम्बे अरसे से यूपीएससी और राज्य सेवा की तैयारी कर रहे छात्रों के बीच भारतीय कला और संस्कृति पर एक प्रमाणिक पुस्तक की प्रतीक्षा थी। ‘‘भारतीय कला एवं संस्कृति’’ पर प्रमाणिक अध्ययन सामग्री का हमेशा से अभाव रहा है।
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लेखक ने इस पुस्तक को तीन खण्डों भारतीय कला, भारतीय संस्कृति और भारतीय विरासत में पाठ्यक्रम के अनुरूप विभाजित करते हुए प्रत्येक खण्ड में अद्यतन जानकारी और आंकड़े, प्रमाणिक तथ्यों और नवीनतम शोधों को अंतर्लयित और समाहित किया गया है। भारत के इतिहास में कला संस्कृति दर्शन की अपार विविधता रही है।
भारत की चित्रकला, हस्तशिल्प, मूर्ति स्थापत्य और वास्तुशिल्प, नृत्य-ंउचयसंगीत एवं नाट्य, भाषा, साहित्य, शिक्षा, धर्म और दर्शन आदि के एतिहासिक विकासक्रम की विविधता और युगीन बोध को डा. रंजन ने बड़ी सरलता और सहजता से अपने पुस्तक में अभिव्यक्त किया है। यह पुस्तक मुख्य रूप से यूपीएससी और राज्य सेवा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए लिखी गयी है।
पिछले 20 वर्षों के यूपीएससी के प्रश्नपत्रों का अध्ययन और विश्लेषण कर तथ्यों को समाहित किया गया है। इसलिए प्रत्येक अध्याय की महत्वपूर्ण पंक्तियों को हाइलाइट भी कर दिया गया है। वस्तुनिष्ठ प्रश्न, तालिका और सारांश भी पुस्तक की विशिष्टता तो है ही छात्रों के लिए बहुत अत्यन्त उपयोगी भी है। डा रंजन स्वयं 2002 बैच के टॉपर और डायरेक्टर गोल्ड मेडल प्राप्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं।
छह जिलों में उपायुक्त रहे डा. रंजन को अपने उत्कृष्ट कार्य और नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री द्वारा लगातार दो वर्षों तक मनरेगा उत्कृष्टता पुरस्कार, राष्ट्र्रपति द्वारा निर्मल ग्राम पुरस्कार मिल चुका है। डा. रंजन आज भी अध्ययन और अध्येता के लिए विशेष रूप से जाने जाते रहे हैं। इन्हें एशियन फेडरेशन ऑफ इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटीज, जापान द्वारा स्टार राफ्ट पुरस्कार जैसे कई राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।
डा.रंजन हाल ही में तब चर्चा में आए थे जब उन्हें कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी द्वारा 100 अंकों में 107.5 प्रतिशत अंक दिया गया। डा. रंजन का कला प्रेम पुस्तकीय अभिव्यक्ति में तो हैं ही, परन्तु यह स्वयं एक उत्कृष्ट चित्रकार भी हैं। सैन फ्रांसिस्को में जेंडर असमानता पर इनकी चित्र प्रदर्शनी भी बहुत चर्चित रही है।
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