रामपुर : स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पत्रकार और शायर थे मौलाना मोहम्मद अली जौहर
नवाब काजिम अली खां ने इस्लामाबाद क्लब में आयोजित कार्यक्रम में प्रदान किया निशान–ए–इक़बाल का खिताब, मौलाना मोहम्मद अली जौहर का 1878 में रामपुर में हुआ था जन्म
रामपुर, अमृत विचार। मौलाना मोहम्मद अली जौहर की वंशज शुमाइला सिद्दीकी को रामपुर के शाही घराने के सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-इकबाल नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने इस्लामाबाद क्लब में आयोजित कार्यक्रम में दिया। मौलाना मोहम्मद अली जौहर का 1878 में रामपुर में हुआ था। जबकि, उनकी मृत्यु वर्ष 1931 में लंदन में हुई और फिलिस्तीन के यरुशलम में दफ्न हुए।
पूर्व मंत्री नवेद मियां के पीआरओ काशिफ खां ने बताया कि मौलाना मोहम्मद अली जौहर स्वतंत्रता सैनानी, विद्वान, पत्रकार और शायर थे। वह रामपुर रियासत के दौरान शिक्षा निदेशक भी रहे थे। उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुना गया था। एएमयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया की स्थापना में उनका योगदान था। रामपुर की कला, संस्कृति, धरोहरों और शैक्षिक विकास में मौलाना मोहम्मद अली जौहर और उनके परिवार की खिदमात को फरामोश नहीं किया जा सकता। उनके प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हुए नवाब काजिम अली खां द्वारा शुमाइला सिद्दीक़ी को रामपुर के शाही घराने के सर्वोच्च सम्मान निशान–ए–इक़बाल से नवाज़ गया है।
शुमाइला सिद्दीक़ी पाकिस्तान की मशहूर शख्सियत हैं। निशान–ए–इक़बाल से सम्मानित शुमाइला सिद्दीकी ने नवाब काजिम अली खां का शुक्रिया अदा किया और रामपुर को लेकर लिखी जा रही अपनी किताब के बारे में भी बताया। इस्लामाबाद चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष अहसान जफर बख्तावरी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष फाद वहीद और शिक्षाविद् व आध्यात्मिक विद्वान डा. अफशां मलिक ने रामपुर के रियासती दौर की सराहना की। उन्होंने कहा कि रामपुर के शाही दस्तरख्वान के पाकिस्तान में बहुत चर्चे होते हैं। रामपुर के म्यूजिक, आर्ट, कल्चर और हेरिटेज से भी पाकिस्तान के लोग काफी प्रभावित हैं।
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