भारत-रूस साझेदारी

रूस, भारत के साथ अपने संबंधों में और विविधता लाना चाहता है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल बुधवार को दो दिवसीय यात्रा पर रूस गए थे। डोभाल ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की और भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को लागू करने की दिशा में काम जारी रखने पर सहमति व्यक्त की।
महत्वपूर्ण है कि डोभाल जी-20 के विदेश मंत्रियों की दिल्ली में कुछ सप्ताह बाद होने वाली बैठक से पहले रूस गए हैं। एनएसए की यात्रा से करीब तीन महीने पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस गए थे। इस बीच आतंकवादी समूह ‘इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवांत-खुरासान’ (आईएसआईएल-के) तालिबान और मध्य एवं दक्षिण एशिया क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के बीच संबंधों को कमजोर करना चाहता है।
संगठन ने अफगानिस्तान में भारत, ईरान और चीन के दूतावासों पर आतंकवादी हमले की धमकी दी है। यह खुलासा संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरस की एक रिपोर्ट में किया गया है। रूस में अफगानिस्तान पर बहुपक्षीय बैठक में अपने संबोधन में डोभाल ने कहा कि किसी भी देश को आतंकवाद के निर्यात के लिए अफगान क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और इस बात पर जोर दिया कि जरूरत के समय भारत अफगानिस्तान के लोगों को कभी नहीं छोड़ेगा।
भारत और रूस के संबंध काफी पुराने हैं। शीत युद्ध के दौरान, भारत और सोवियत संघ के बीच एक मज़बूत रणनीतिक, सैन्य, आर्थिक और राजनयिक संबंध थे। सोवियत संघ के विघटन के बाद, रूस को भारत के साथ अपने घनिष्ठ संबंध विरासत में मिले, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों ने एक विशेष सामरिक संबंध साझा किया।
रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता है। रूस भारत के लिए सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से एक रहा है। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद भी भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत बने रहे। कई पश्चिमी देशों में बढ़ती बेचैनी के बावजूद भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात पिछले कुछ महीनों में काफी बढ़ गया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत का रुख संतुलित रहा। भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है और यह कहता रहा है कि संकट को कूटनीति और बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।
इस मुलाकात पर दुनिया भर के देशों की नजर बनी हुई है। अमेरिका समेत कई देश यूक्रेन की मदद कर रहे हैं। जबकि रूस अकेला ही यूक्रेन पर भारी पड़ रहा है। ऐसे में कोई भी देश रूस से मुलाकात से बच रहा है लेकिन भारत के एनएसए ने रूस के राष्ट्रपति से मुलाकात की।