मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED की बड़ी कार्रवाई, पी चिदंबरम की पत्नी समेत लाभार्थियों की संपत्ति कुर्क

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED की बड़ी कार्रवाई, पी चिदंबरम की पत्नी समेत लाभार्थियों की संपत्ति कुर्क

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा कि उसने सारदा धनशोधन मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री एवं कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम, माकपा के पूर्व विधायक देबेंद्रनाथ बिस्वास और असम के पूर्व मंत्री दिवंगत अंजन दत्ता के स्वामित्व में रही एक कंपनी जैसे ‘‘लाभार्थियों’’ की छह करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां कुर्क की हैं।

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केंद्रीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत 3.30 करोड़ रुपये की चल संपत्ति और तीन करोड़ रुपये की अचल संपत्ति कुर्क करने का अस्थायी आदेश जारी किया गया है। इन संपत्तियों पर सारदा समूह और अन्य लोगों का स्वामित्व था, जो समूह द्वारा सृजित "अपराध की आय" के लाभार्थी थे। इसने कहा कि "लाभार्थियों" में नलिनी चिदंबरम, देबब्रत सरकार (ईस्ट बंगाल क्लब के अधिकारी), देबेंद्रनाथ बिस्वास (पूर्व आईपीएस अधिकारी एवं पूर्व माकपा विधायक) और असम के पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दत्ता के ‘‘स्वामित्व’’ में रही अनुभूति प्रिंटर एंड पब्लिकेशंस शामिल हैं।

ईडी ने पूर्व में कहा था कि इस मामले में नलिनी चिदंबरम की भूमिका एक टेलीविजन चैनल खरीद सौदा मामले में अदालत और कंपनी लॉ बोर्ड में उनकी पेशी के लिए कथित तौर पर सारदा समूह की ओर से 1.26 करोड़ रुपये के कानूनी शुल्क के भुगतान से जुड़ी थी। दत्ता को असम के दिवंगत मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का करीबी विश्वासपात्र माना जाता था और वह उनके मंत्रिमंडल में मंत्री थे। दत्ता के पास परिवहन सहित कई विभागों का प्रभार था।

उन्हें दिसंबर 2014 में असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और 2016 में अपने निधन तक वह इस पद पर रहे। धनशोधन का मामला 2013 तक पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा में सारदा समूह द्वारा कथित चिट फंड घोटाले से संबंधित है। समूह पर अपनी अवैध योजनाओं में निवेश पर असामान्य रूप से उच्च रिटर्न का वादा करके हजारों जमाकर्ताओं को धोखा देने का आरोप है।

ईडी ने समूह और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ कोलकाता पुलिस की प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद 2013 में एक आपराधिक मामला दर्ज किया था। ईडी ने कहा, "इस समूह की कंपनी द्वारा जुटाए गए कुल धन की मात्रा लगभग 2,459 करोड़ रुपये है, जिसमें जमाकर्ताओं का अब तक ब्याज राशि को छोड़कर लगभग 1,983 करोड़ रुपये का बकाया है।" प्रवर्तन निदेशालय इस मामले में अब तक करीब 600 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर चुका है।

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