हल्द्वानीः आयकर वादों से मुक्ति दिलाएगा विवाद से विश्वास-2, जानियें- आम और खास लोगों की राय

हल्द्वानीः आयकर वादों से मुक्ति दिलाएगा विवाद से विश्वास-2, जानियें- आम और खास लोगों की राय

हल्द्वानी, अमृत विचार। केंद्र सरकार ने इस बजट में विवाद से विश्वास-2 की घोषणा की है हालांकि अभी तक इसकी नीति का खुलासा नहीं किया है। इसको लेकर बड़े आयकर दाताओं को खासी उम्मीद है।
आर्थिक जानकारों के अनुसार, केंद्र सरकार ने वर्ष-2020 में विवाद से विश्वास योजना शुरू की थी। इसकी खूबी यह थी कि यदि आयकरदाता इसमें पंजीकृत होता है तो उसको ऐसे मामले जो न्यायिक या अधिकारिक प्रक्रिया में लंबित हैं उनसे छुटकारा मिल जाएगा। फिर उक्त मामला हाईकोर्ट में ही लंबित हो। उस पर आर्थिक जुर्माने भी खत्म हो जाएंगे और सभी कार्रवाई संबंधी आदेश भी समाप्त हो जाएंगे। बस टैक्स व विवादित ब्याज का 25 प्रतिशत अदा करना होगा। 

बता दें कि कोविड-19 महामारी के बाद से आयकर के प्रधान आयुक्त की कोर्ट में अपीलों पर सुनवाई भी नहीं हुई है। ऐसे में कई करदाताओं को विवाद से विश्वास का लाभ मिला था। इस बजट में विवाद से विश्वास-2 का प्रावधान किया गया है जो कि बेहद सराहनीय पहल है। इससे सरकार को राजस्व मिलेगा, आयकर संबंधी विवादों का भी निस्तारण होगा। 

कोरोना से ‘संक्रमित’ हुई इकाइयों भी ‘उपचार’

आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक केंद्र सरकार कोविड-19 महामारी में असफल हुए स्टार्ट अप को भी 95 प्रतिशत राशि लौटाएगी। अर्थात किसी इकाइ ने केंद्र सरकार से अनुबंध किया और उसकी लागत भी लग गई लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से बिक्री नहीं हो पाई तो ऐसी इकाइयों को लागत में वापसी मिलेगी। उन्हें सिर्फ 5 प्रतिशत का ही नुकसान झेलना होगा। 

नौ सालों में बदला गया टैक्स का स्लैब

केंद्र सरकार ने नौ वर्षों बाद टैक्स स्लैब में बदलाव किया है। पूर्व में टैक्स स्लैब 0-2.5, 2.5-5, 5-7.5, 7.5-10, 10-12.5, 12.5-15 और 15 लाख से अधिक होते थे। पूरे नौ वर्षों बाद इन स्लैब में बदलाव किया गया है। इस बजट में यह स्लैब 0-3, 3-6, 6-9, 9-12, 12-15 और 15 लाख से अधिक किए हैं। माना जा रहा है कि स्लैब में बदलाव में निम्न व मध्यम वर्ग के करदाताओं का खासा लाभ होगा।   

पुरानी नहीं चुनी तो नई व्यवस्था खुद ब खुद होगी लागू 

आर्थिक पेशेवरों  के अनुसार फिलहाल आयकर की पुरानी व नई दोनों व्यवस्थाएं लागू रहेंगी। यदि करदाता पुरानी व्यवस्था का विकल्प नहीं चुनता है तो नई व्यवस्था खुद ब खुद लागू रहेगी। पेशेवरों की मानें तो बचत करने वालों के लिए पुरानी और नए व असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए नई व्यवस्था मुफीद है।

जानिए खास और आम लोगों की बात


बजट उत्साहजनक है, बीते नौ  सालों से आयकर स्लैब में बदलाव नहीं किया था । पिछले वर्षों में आयकरदाताओं की संख्या व आयकर दोनों में इजाफा हुआ है। इसलिए  आयकर में राहत की आस बढ़ना लाजिमी था। नया टैक्स सिस्टम ही डिफॉल्ट सिस्टम होगा, हालांकि लोग पुराने सिस्टम का भी इस्तेमाल कर पाएंगे, जो इस कर की खूबी है- मजहर अली, आयकर अधिवक्ता


पीएम आवास योजना के लिए बजट में 66% का इजाफा किया गया कुल 79 हजार करोड़ रुपए का फंड इस स्कीम के लिए जारी किया जाएगा। इससे भविष्य में कमजोर वर्ग के लोगों को फायदा मिलेगा। अभी पुरानी व नई व्यवस्था दोनों लागू है इसलिए तुलनात्मक अध्ययन भी जरूरी है- सुशील तिवारी, आयकर व सेल्स टैक्स अधिवक्ता

आयकर में 44 ए डी के अंतर्गत लिमिट को बढ़ाकर 3 करोड़ और 44 ए डी ए की लिमिट को बढ़ाकर 75 लाख किया है, जो  जोकि सराहनीय है । मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर तथा इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को मजबूती प्रदान करने के लिए इस बजट में काफी प्रयास किया गया है। यह अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की सफल कोशिश है- आईपी सिंह, आयकर एवं सेल्स टैक्स अधिवक्ता । 

बजट स्वागत योग्य है। गरीबों को एक वर्ष तक मुफ्त अनाज किसानों के खलिहान से होकर आता है। अतः किसान की आर्थिकी को दृष्टिगत रखते हुए बजट में कृषि यंत्रों पर जीएसटी में कमी तथा एमएसपी के माध्यम से किसानों को राहत देने का प्रावधान होना चाहिए था। बजट में प्राकृतिक खेती के लिए किया गया प्रावधान सीधे किसान के खातों तक पहुंचे तो सार्थक कहा जाएगा- नरेंद्र सिंह मेहरा, प्रगतिशील किसान


आम बजट से किसानों को कुछ खास राहत नहीं मिली है। बजट को पूरी तरह से लोक लुभावना बनाया गया है। किसानों के हित में जो भी योजना बनाई जाती हैं, धरातल पर आते-आते उसमें कुछ भी विशेष नहीं रहता है। बजट में मध्यम वर्ग का कोई ध्यान नहीं रखा गया है- अनिल पांडे, जैविक प्रशिक्षक

आम बजट से किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है। कृषि क्षेत्र के लिए नई तकनीकी पर जोर और स्टार्टअप को प्राथमिकता से निश्चित ही किसानों को लाभ होगा। साथ ही कृषि संयंत्रों की स्थापना में भी काफी मदद मिलेगी। पशु पालन, दुग्ध उद्योग और मछली पालन करने वाले किसानों को राहत दी गई है- प्रकाश बिष्ट, किसान

नए स्लैब के बाद सात लाख तक टैक्स नहीं देना है लेकिन इसके ऊपर होने पर 87 ए का लाभ नहीं मिलेगा। नए मध्यम वर्ग कर्मचारियों के लिए यह राहत भरा है। अभी नए व पुरानी व्यवस्थाएं लागू हैं, जो कि सराहनीय है। नए प्रावधान से बचत की योजनाओं पर असर होगा लेकिन अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी- पंकज कबडवाल, सीए

छोटे  करदाताओं को बड़ा  फायदा पर बजट में साहित्य अधिक सांख्यिकी कम है। इस निम्न मध्य वर्ग को कर में राहत के अलावा उत्तराखंड के लिए अलग से कोई घोषणा नहीं हुई।  पीएम कौशल विकास, मत्स्य पालन से युवा स्वरोजगार से जुड़ सकते हैं। बजट में मोटे अनाज को बढ़ावा देने से पहाड़ की फसल मड़ुवा की मांग बढ़ेगी। यह पर्वतीय किसानों के लिए अच्छी खबर रहेगी। पूरी विस्तृत सांख्यिकी परियोजना लागू होने के बाद ही सामने आ पाएगी- सरोज आनंद जोशी, सीए


बजट में स्वास्थ्य की रकम को घटाया गया है जबकि देश भर खासकर उत्तराखंड समेत अन्य हिमालयी राज्यों में इसके लिए अलग से प्रावधान होना चाहिए था। तभी आमजनता को इस बजट का लाभ मिलता। हालांकि नए वेतनभोगियों के लिए यह बजट काफी राहत देने वाला है- रविरंजन उपाध्याय, दवा व्यापारी

वर्तमान समय में महंगाई इस कदर हावी हैं की आम जन दो वक्त की रोटी के लिए जूझना पड़ रहा है। सरकार की ओर से बजट में खाद्य सामग्रियों के लिए रियायत देनी चाहिए थी लेकिन रोजमर्रा की वस्तुओं के रेट कम नहीं हुए जिसका सीधा असर गरीब वर्ग पर पड़ेगा- जय जोशी, किराना व्यापारी