सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2023 में 9.1 प्रतिशत रहने की उम्मीद: आर्थिक समीक्षा
नई दिल्ली। सेवा क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2022 में 8.4 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की है और चालू वित्त वर्ष में इसके 9.1 प्रतिशत की गति से बढ़ने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2022-23 में ये बातें कही गयी। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि इससे पिछले वित्त वर्ष में इसमें 7.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
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लोगों के गहन संपर्क वाले सेवा उप-क्षेत्र में अच्छी वृद्धि होने से ही सेवा क्षेत्र की यह तेजी संभव हो पाई है जिसमें 16 प्रतिशत की क्रमिक वृद्धि दर्ज की गई है। समीक्षा में बताया गया है कि भारत का सेवा क्षेत्र दमदार प्रदर्शन का एक अहम स्रोत है एवं इसमें और वृद्धि होना तय है। व्यापक निर्यात संभावनाओं वाली कम मूल्य वर्द्धित गतिविधियों से लेकर अधिक मूल्य वर्द्धित गतिविधियों तक में इस क्षेत्र में रोजगार एवं विदेशी मुद्रा का सृजन करने और भारत की बाह्य स्थिरता में बहुमूल्य योगदान करने की पर्याप्त गुंजाइश है।
प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार सेवा क्षेत्र में सकल मूल्य वर्द्धित (जीवीए) में वित्त वर्ष 2023 में 9.1 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है जो कि संपर्क-गहन सेवा क्षेत्र में 13.7 प्रतिशत की वृद्धि संभव हो पाएगा। समीक्षा में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सेवा पीएमआई बढ़कर दिसम्बर 2022 में 58.5 अंक हो गया, जो कि खुदरा महंगाई में समग्र रूप से कमी होने से ही संभव हो पाया है क्योंकि इसकी बदौलत कच्चे माल की कीमतों का दबाव घट गया।
सेवा क्षेत्र को बैंक ऋण में नवम्बर 2022 के दौरान वार्षिक 21.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जो कि पिछले 46 महीनों में दूसरी सर्वाधिक उच्चतम दर है। थोक एवं खुदरा व्यापार को बैंक ऋण में नवम्बर 2022 के दौरान क्रमश: 10.2 प्रतिशत एवं 21.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। एनबीएफसी को बैंक ऋणों में 32.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
समीक्षा में कहा गया है कि भारत से सेवा निर्यात काफी तेजी से बढ़ सकता है क्योंकि विकसित देशों में बढ़ती महंगाई के कारण वेतन बढ़ जाते हैं और स्थानीय स्तर पर इनकी प्राप्ति महंगी हो जाती है जिस वजह से भारत सहित कम वेतन वाले देशों को इनकी आउटसोर्सिंग करने के अवसर बढ़ जाती है। वर्ष 2021 में भारत के भी शीर्ष 10 सेवा निर्यातकों में शामिल होने के नाते यह सेवा व्यापार में काफी महत्वपूर्ण देश बन गया है।
अप्रैल-दिसम्बर 2022 के दौरान सेवा निर्यात में 27.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 20.4 प्रतिशत की वृद्धि हुयी थी। कुल सेवा निर्यात में सॉफ्टवेयर निर्यात कोविड-19 महामारी के साथ-साथ वर्तमान भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के दौरान भी काफी दमदार बना रहा है, जो कि डिजिटल सहयोग, क्लाउड सेवाओं की अच्छी मांग होने, और नई चुनौतियों का सामना करने के लिए अवसंरचना का आधुनिकीकरण करने से ही संभव हो पाया है।
इसमें अंकटाड की विश्व निवेश रिपोर्ट 2022 में भारत को वर्ष 2021 में शीर्ष 20 मेजबान देशों में प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआई) का सातवां सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता देश बताये जाने का उल्लेख करते हुये कहा गया है कि भारत में वित्त वर्ष 2022 के दौरान सेवा क्षेत्र में 84.8 अरब डॉलर का सर्वाधिक एफडीआई प्रवाह हुआ जिसमें 7.1 अरब डॉलर का एफडीआई इक्विटी प्रवाह भी शामिल है।
समीक्षा में कहा गया है कि निवेश में सुविधा के लिए सरकार ने विभिन्न उपाय किए हैं। समीक्षा में बताया गया है कि भारत की विशाल डिजिटल अवसंरचना ने प्रौद्योगिकी को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म भारत की डिजिटल बढ़त का आधार बनते जा रहे हैं।
वर्ल्डपे एफआईएस की वैश्विक भुगतान रिपोर्ट के अनुसार भारत के ई-कॉमर्स बाजार में वर्ष 2025 तक सालाना 18 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। सरकारी ई-कॉमर्स (जेम) ने वित्त वर्ष 2022 के दौरान एक लाख करोड़ रुपये की वार्षिक खरीद दर्ज की, जो कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 160 प्रतिशत अधिक है।
ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा की गई पहलों ने हाल के वर्षों में ई-कॉमर्स के विकास में प्रमुख रूप से व्यापक योगदान किया है जिनमें डिजिटल इंडिया कार्यक्रम, यूपीआई, एक जिला – एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल, डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) इत्यादि शामिल हैं।
पर्यटन एवं होटल उद्योग में देश में विमानों की आवाजाही में अप्रैल और नवम्बर 2022 के बीच 52.9 प्रतिशत बढ़ी है, क्योंकि भारत ने वर्ष 2021-22 के आखिर तक पूरी क्षमता के साथ सभी नियमित अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की शुरुआत फिर से कर दी। महामारी का प्रकोप घटने से भारत का पर्यटन क्षेत्र एक बार फिर से तेज बढ़त दर्शा रहा है। चिकित्सा पर्यटन संघ द्वारा जारी वित्त वर्ष 2021 के चिकित्सा पर्यटन सूचकांक में भारत दुनिया के शीर्ष 46 देशों में 10वें स्थान पर है।
समीक्षा में कहा गया है कि भारत में अपना उपचार कराने के लिए भारत आने के इच्छुक पर्यटकों के लिए आयुष वीजा, सतत पर्यटन एवं उत्तरदायी यात्री अभियान के लिए राष्ट्रीय रणनीति शुरू करने, स्वदेशी दर्शन 2.0 योजना की शुरुआत होने और हील इन इंडिया जैसी हालिया पहलों से भारत को वैश्विक चिकित्सा पर्यटन बाजार में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने में काफी मदद मिल सकती है।
इसमें रियल एस्टेट का उल्लेख करते हुये कहा गया है कि आवास ऋणों पर ब्याज दरों में वृद्धि और संपत्ति मूल्यों में बढ़ोतरी जैसी मौजूदा बाधाओं के बावजूद इस क्षेत्र ने चालू वर्ष के दौरान दमदार वृद्धि दर्ज की है। वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में आवास बिक्री और नए मकानों की लॉन्चिग वित्त वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही के महामारी पूर्व स्तर को पार कर गई।
समीक्षा में कहा गया है कि इस्पात उत्पादों, लौह अयस्क, और इस्पात के मध्यवर्ती उत्पादों पर आयात शुल्क घटा देने जैसे हालिया सरकारी कदमों से निर्माण लागत कम हो जाएगी और इससे मकानों की कीमतों में हो रही वृद्धि थम जाएगी। समीक्षा में बताया गया है कि उभरती प्रौद्योगिकियों और अभिनव समाधानों पर आधारित डिजिटल वित्तीय सेवाओं से वित्तीय समावेश में तेजी आ रही है, सभी लोगों तक पहुंच संभव हो रही है और उत्पादों का निजीकरण (मानवीकरण) काफी तेजी से हो रहा है।
नवीनतम वैश्विक फिनटेक अनुमोदन सूचकांक के अनुसार भारत में फिनटेक अपनाने की दर 87 प्रतिशत होने के बल पर भारत इस क्षेत्र में अगुवाई कर रहा है, जो कि 64 प्रतिशत के वैश्विक औसत से काफी अधिक है। समीक्षा में बताया गया है कि नियो-बैंकिंग से एमएसएमई के साथ-साथ बैंकिंग सेवाओं से वंचित ग्राहकों और क्षेत्रों तक वित्तीय सेवाओं की उपलब्धता एवं पहुंच काफी आसान हो गई है। केन्द्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) की शुरुआत हो जाने से भी डिजिटल वित्तीय सेवाओं को काफी बढ़ावा मिलेगा।
विभिन्न दस्तावेजों के डिजिटलीकरण ने भी डिजिटल वित्तीय सेवाओं को काफी बढ़ावा देने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। समीक्षा में बताया गया है कि पिछले दो वित्त वर्षों के दौरान अत्यधिक उतार-चढ़ाव एवं कमजोरी दर्शाने वाले भारत के सेवा क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2023 में शानदार वृद्धि दर्ज की है।
विभिन्न उप-क्षेत्रों जैसे कि पर्यटन, होटल, रियल एस्टेट, आईटी-बीपीएम, ई-कॉमर्स इत्यादि के बेहतर प्रदर्शन के दम पर संभावनाएं काफी उज्ज्वल नजर आ रही हैं हालांकि, प्रदर्शन कमजोर होने का जोखिम बाहरी कारकों और विकसित देशों में कमजोर आर्थिक आउटलुक है जिससे व्यापार और अन्य जुड़ाव के जरिए सेवा क्षेत्र के विकास की संभावनाएं प्रभावित हो रही हैं।
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