अदालत ने सीबीआई से कहा, एमसीडी के खिलाफ लोकपाल के आदेश पर आगे न बढ़ें
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और उसके अधिकारियों के खिलाफ लोकपाल द्वारा दिए आदेश पर आगे न बढ़ने का बुधवार को निर्देश दिया। गौरतलब है कि एमसीडी के अधिकारियों पर दिल्ली में अनधिकृत निर्माण के आरोप लगाए गए थे, जिसके बाद लोकपाल ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया।
एमसीडी ने लोकपाल के इस आदेश के खिलाफ पिछले साल दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने पहले याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई से मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था और इस मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया था।
न्यायाधीश ने कहा कि कानून के अनुसार, यह पता लगाने के लिए एक एजेंसी द्वारा प्रारंभिक जांच की जानी चाहिए कि क्या प्रथम दृष्टया मामला आगे बढ़ाने लायक भी है या नहीं। उन्होंने कहा कि मौजूदा मामले में निर्देश देने से पहले लोकपाल या सीवीसी द्वारा कोई जांच नहीं की गई और किसी भी पक्ष के खिलाफ कोई विशेष आरोप भी नहीं लगाए गए हैं।
अदालत ने कहा, मौजूदा मामले में रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि सीवीसी को केवल एमसीडी से एक रिपोर्ट प्राप्त करने को कहा गया। सीवीसी ने एमसीडी की सतर्कता रिपोर्ट लोकपाल को भेजी। वास्तव में इस स्तर पर सीवीसी या लोकपाल द्वारा कोई जांच नहीं की गई। संबंधित अधिकारियों या एमसीडी और अन्य एजेंसियों के खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं लगाए गए। अदालत ने कहा, इस बीच सीबीआई जांच को आगे न बढ़ाए।
अदालत ने हालांकि स्पष्ट किया कि यदि लोकपाल को अन्य अधिकारियों या अनधिकृत निर्माणों के खिलाफ कोई विशिष्ट शिकायत मिलती है, तो कानून के अनुसार प्राधिकरण की कार्यवाही पर कोई रोक नहीं होगी। अदालत ने कहा कि वह केवल, प्रथम दृष्टया जो बात सामने आई है, उस पर अपना रुख स्पष्ट कर रही है।
सीबीआई के वकील ने कहा कि लोकपाल के आदेश के तहत मामले में एजेंसी द्वारा प्राथमिकी दर्ज किया जाना अभी बाकी है। लोकपाल के समक्ष यह कार्यवाही दिसंबर 2021 में समाजवादी युवजन सभा के पूर्व महासचिव विक्रम सिंह सैनी की शिकायत पर शुरू हुई, जिसमें आरोप लगाया गया था कि दक्षिण दिल्ली के एक क्षेत्र में कुछ अधिकारियों के अनुचित आचरण के कारण अवैध निर्माण हुए। इसके बाद लोकपाल ने मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए, जिसके खिलाफ एमसीडी ने उच्च न्यायालय का रुख किया।
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