मीडिया के संयमित प्रयोग पर युवा पीढ़ी को जागरूक करना समय की मांग

सिरसा। मीडिया के संयमित प्रयोग के बारे में युवा पीढ़ी को जागरूक करना तथा डिजिटल मीडिया साक्षरता समय की मांग है तथा डेटा का दोहन सोच समझ कर करना चाहिए। जन माध्यमों के संयमित प्रयोग के बारे में स्कूल, महाविद्यालय व विश्वविद्यालय स्तर पर जागरूकता लाना समय की मांग है।
उपरोक्त विचार गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय के मास मीडिया के प्रोफेसर विक्रम कौशिक ने मंगलवार को चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय, सिरसा के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित राष्ट्रीय युवा सप्ताह के दौरान आयोजित व्याख्यान श्रृंखला के तीसरे व चौथे तकनीकी सत्र के ऑनलाइन कार्यक्रम में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी की वजह से जहां एक और मानव जीवन सफल हुआ है, वहीं दूसरी ओर साइबर क्राइम की वारदातें भी बढ़ी है। मीडिया एंड सोशल ट्रांसफॉर्मेशन विषय पर आयोजित इस ऑनलाइन कार्यक्रम में प्रोफेसर विक्रम कौशिक ने बताया कि किस प्रकार तकनीक मानव जीवन पर हावी है।
उन्होंने बताया कि टेक्नोलॉजी की वजह से हमारी मीडिया यूजिंग हैबिट बदली है और साथ ही साथ उपभोक्तावाद को भी बढ़ावा मिला है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के प्रोफेसर शशिकांत ने अनेक केस स्टडीज का उल्लेख करते हुए लोकतंत्र में मीडिया के प्रभाव के बारे में प्रतिभागियों को अवगत करवाया।
सेंट्रल यूनिवर्सिटी पंजाब के डॉ परमवीर ने डिजिटल मीडिया की उपयोगिता एवं संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उड़ीसा से डॉ देवीलाल मिश्रा ने बताया कि किस प्रकार यूट्यूब तथा अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने समाज के अंदर जागृति लाने का कार्य किया है।
जे.सी. बोस विश्वविद्यालय, फरीदाबाद के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डॉ पवन मलिक ने अनेक एबरेविएशंस के माध्यम से पत्रकारिता एवं जनसंचार के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डाला। चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, मोहाली के मीडिया विभाग के प्रोफेसर त्रिषु शर्मा ने कहा कि भारतीय परिस्थितियों के अनुसार संचार मॉडल विकसित करना समय की मांग है।
विस्तार व्याख्यान श्रृंखला के चौथे तकनीकी सत्र में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कर्नाटक, दिल्ली, पंचकूला व हिसार से विषय विशेषज्ञों ने शिरकत करके प्रतिभागियों को मीडिया की वास्तविक स्थिति एवं बाजारवाद का मीडिया के ऊपर क्या प्रभाव पड़ा है, इसके बारे में विस्तार पूर्वक बताया।
इस सत्र में हिसार से प्रोफेसर उमेश आर्य ऑस्ट्रेलिया से सनी ठुकराल तथा विवके, न्यूजीलैंड से सेम खत्री, यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैसूर ,कर्नाटक से प्रोफेसर सपना, पंचकूला से डॉ चित्रा तंवर, दिल्ली से डॉ पदमिनी तथा श्वेता अरोड़ा ने अपने अनुभव सांझा किये।
विदेशों से जुड़े हुए रिसोर्स पर्सन ने फिल्म उद्योग, इ-कॉमर्स, एडवर्टाइजमेंट एंड मार्केटिंग तथा मीडिया एंड सोसाइटी विषयो के विभिन्न पहलुओं पर गहनता से प्रकाश डाला और कहा कि आने वाले 30 वर्षों में मीडिया उद्योग के अंदर उल्लेखनीय वृद्धि होनी है और रोजगार की संभावनाएं बढ़नी है। उन्होंने कहा कि विषय वस्तु के साथ-साथ तकनीक का भी विशेष महत्व है।
इसलिए विद्यार्थियों को वीडियो तथा ऑडियो के किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक पक्षों की भी जानकारी होनी चाहिए। इन वक्ताओं का स्वागत जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ अमित सांगवान द्वारा तथा धन्यवाद विभाग के प्रोफेसर सेवा सिंह बाजवा और डा. रविंद्र द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। सहायक प्रोफेसर डॉ टिम्सी मेहता तथा डॉ अनिल पांडेय द्वारा संयुक्त रूप से इन तकनीकी सत्रों में मॉडरेटर की भूमिका निभाई गई।
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