Black Box : सब मर जाते हैं...हवाई जहाज जलकर राख हो जाता, लेकिन ब्लैक बॉक्स सही सलामत बच जाता, जानिए इसके बारे में

Black Box : सब मर जाते हैं...हवाई जहाज जलकर राख हो जाता, लेकिन ब्लैक बॉक्स सही सलामत बच जाता, जानिए इसके बारे में

नई दिल्ली। नेपाल में 72 लोगों को ले जा रहा एक विमान 15 जनवरी रविवार को हादसे का शिकार हो गया। अब तक मलबे से 68 शव निकाले जा चुके हैं, जबकि 4 लोग अभी भी लापता हैं। अब इस विमान हादसे पर सवाल उठ रहा है कि आखिर इस प्लेन में ऐसी क्या गड़बड़ी थी कि यह साफ मौसम होने के बाद भी हादसे का शिकार हो गया। बताया जा रहा है कि इस विमान का ब्लैक बॉक्स मिल गया है और कुछ ही समय में इसकी मदद से हादसे के सही कारणों का पता लगाया जा सकेगा। हम आपको बताएंगे कि आखिर यह ब्लैक बॉक्स होता क्या है और इसका काम क्या होता है। सबसे बड़ी बात कि जब पूरा प्लेन क्रैश होने के बाद राख के ढेर में तब्दील हो जाता है, उसके बावजूद भी यह ब्लैक बॉक्स हर बार हर हादसे में कैसे बच जाता है।

आखिर ब्लैक बॉक्स है क्या?
ब्लैक बॉक्स एक फ्लाइट रिकार्डर की तरह काम करता है। यह प्लेन की हर क्षण की जानकारी रखता है। यह किसी भी प्लेन में उड़ान के दौरान होने वाली सभी गतिविधियों को बारीकी से रिकॉर्ड करने वाला इक्विपमेंट है। यह प्लेन में पिछले हिस्से लगा होता है। दरअसल, ये बॉक्स टाइटेनियम का बना होता है जो काफी मजबूत धातु मानी जाती है। ब्लैक बॉक्स को टाइटेनियम के डिब्बे में बंद कर रखा जाता है। इसी कारण अगर ब्लैक बॉक्स काफी ऊंचाई से गिरता है तो भी उसे किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता है।

कैसे हुई ब्लैक बॉक्स की खोज
साल 1953-54 में हवाई हादसों की बढ़ती हुई संख्या ने प्लेन बनाने वाली कंपनियों ने की नींद हराम कर दी थी। ऐसे में वो प्लेन में ऐसे किसी उपकरण लगाने पर विचार कर रहे थे कि जो हादसों के सही कारण को बता सके ताकि भविष्य में हादसों से सीख कर बचा जा सके। इसके लिए ब्लैक बॉक्स का आविष्कार किया गया। ब्लैक बॉक्स का अविष्कार डेविड रोनाल्ड वॉरेन ने किया था। ब्लैक बॉक्स का रंग लाल होता है, इसलिए शुरुआत में इसे 'रेड एग' नाम दिया गया। लेकिन सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान 1958 में इसका नाम बदल कर ब्लैक बॉक्स रख दिया गया। इसके भी पीछे का तर्क है कि ब्लैक बॉक्स की भीतरी दीवार को काला रखा जाता था इसीलिए इसे ब्लैक बॉक्स कहा गया।

कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर
ब्लैक बॉक्स में लगा यह रिकार्डर फ्लाइट की उड़ान के 2 घंटे तक समय की आवाज रिकार्ड करता है। यह इंजन की आवाज, इमरजेंसी अलार्म की आवाज, केबिन की आवाज और कॉकपिट की आवाज और फ्लाइट कंट्रोल के बीच की बातचीत रिकार्ड करता है। जिससे पता चल सके हादसे के पहले प्लेन में कैसा माहौल था।

फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर
इसमें प्लेन की दिशा, ऊंचाई, फ्यूल कितनी है, गति, हलचल, केबिन का टेम्परेचर आदि समेक 88 प्रकार के आंकड़े रिकॉर्ड होते हैं। यह 25 घंटों से ज्यादा की रिकार्डेड जानकारी रखता है। ब्लैक बॉक्स 11000°C के तापमान को एक घंटे तक झेल सकता है और उसके भीतर लगा उपकरण 260°C के तापमान को 10 घंटे तक सहन कर सकता है।

ऐसे खोजते हैं ब्लैक बॉक्स
ब्लैक बॉक्स 30 दिनों तक बिना बिजली के काम कर सकता है। जब यह विमान से अलग होता है तो हर सेकंड एक बीप की आवाज/तरंग निकालता है। ये तरंग 30 दिनों तक निकलती रहती है। जिसे खोजी टीम 2 से 3 किलोमीटर के दायरे में आसानी से खोज सकते हैं। ये 15,000 फीट गहरे समुद्र में से भी तरंगें भेजता है।

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