सीबीएसई संबद्ध स्कूलों में कक्षा 1-3 में लागू होगा समग्र रिपोर्ट कार्ड

सीबीएसई संबद्ध स्कूलों में कक्षा 1-3 में लागू होगा समग्र रिपोर्ट कार्ड

नई दिल्ली। बच्चों की प्रतिभा, गुणों, उनके व्यक्तित्व के मजबूत और कमजोर पक्षों का उल्लेख करते हुए सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में कक्षा 1-3 में बच्चों का समग्र रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जाएगा। इस पायलट परियोजना के पूरा होने पर इसे सीबीएसई से संबद्ध 27, 000 स्कूलों में कक्षा 1-3 में लागू किया जायेगा जिससे करीब 60 लाख बच्चे लाभान्वित होंगे। सरकार ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ की सिफारिशों के तहत स्कूली बच्चों की समग्र प्रगति रिपोर्ट कार्ड योजना को जल्द ही पूर्ण रूप से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से मान्यता प्राप्त स्कूलों में, कक्षा 1 से 3 में लागू किया जाएगा। 

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शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया,  अभी पायलट परियोजना के आधार पर सीबीएसई से संबद्ध 74 स्कूलों में कक्षा 1-3 में इस योजना को लागू किया जा रहा है। इनमें 25 केंद्रीय विद्यालय, 16 सरकारी स्कूल, 33 निजी स्कूल शामिल हैं। ‘ राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन के दो वर्ष’ विषय पर शिक्षा मंत्रालय की हाल ही में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि समग्र प्रगति रिपोर्ट कार्ड योजना (हॉलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड) तैयार करने की इस पायलट परियोजना पर दैनिक आधार पर नजर रखी जा रही है। इसमें कहा गया है कि बुनियादी एवं समरूप आंकड़ा एकत्र करने के लिये प्राचार्यो एवं शिक्षकों की राय एवं आकलन के प्रारूप को अंतिम रूप दिया गया है। इससे रिपोर्ट तैयार करने में मदद मिलेगी।

रिपोर्ट के अनुसार,  इसके बाद इसे जरूरत के अनुरूप अंगीकार करने के लिये राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा किया जायेगा। इसमें कहा गया है कि सीबीएसई द्वारा विकसित समग्र प्रगति रिपोर्ट कार्ड (हॉलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड) के प्रारूप को 9-12 वीं कक्षा के लिये ढांचागत तैयारी में उपयोग में लाया जायेगा। गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के आधार पर बच्चों के रिपोर्ट कार्ड के स्वरूप में बदलाव करते हुए समग्र मूल्यांकन पर आधारित समग्र प्रोग्रेस कार्ड तैयार किया जा रहा है।

इसके तहत हर कक्षा में जीवन कौशल परखने पर जोर होगा ताकि बच्चा जब 12वीं कक्षा पास करके निकलेगा तब उसके पास अपना पूरा पोर्टफोलियो होगा। बच्चों के इस पोर्टफोलियो में उसकी प्रतिभा, गुण, मजबूत एवं कमजोर पक्ष आदि का उल्लेख होगा। इस पद्धति में बच्चों के स्व: मूल्यांकन का आयाम भी जुड़ा होगा जिसमें वे खुद, उनके साथी, उनके अध्यापक और उनके अभिभावक शामिल होंगे। 

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