चुनाव सुधार: सुप्रीम कोर्ट निर्देशों का अनुपालन नहीं किये जाने संबंधी याचिका पर दो जनवरी को करेगा सुनवाई
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय चुनाव सुधारों पर 2018 में जारी अपने निर्देश का अनुपालन नहीं करने को लेकर कानून एवं न्याय मंत्रालय में विधायी विभाग के एक सचिव के खिलाफ अवमानना कार्रवाई का अनुरोध करने वाली एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है।
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न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पीठ अब दो जनवरी को इस विषय की सुनवाई करेगी। पीठ ने 11 नवंबर को सचिव को नोटिस जारी किया था। एनजीओ लोक प्रहरी की ओर से खुद पेश हुए याचिकाकर्ता एस.एन. शुक्ला ने अपनी अवमानना याचिका में दलील दी है कि 16 फरवरी 2018 को शीर्ष न्यायालय में कई निर्देश जारी किये थे, लेकिन बगैर किसी वैध या बाध्यकारी कारणों को लेकर उनका अनुपालन नहीं किया गया है।
अपनी याचिका में, शुक्ला ने इस बात का जिक्र किया कि केंद्र ने उन एमपी/एमएलए/एमएलसी (सांसद/विधायक/विधानपरिषद सदस्यों) के मामलों में जांच करने के लिए एक स्थायी तंत्र गठित नहीं किया है, जिनकी संपत्ति अगले चुनाव तक 100 फीसदी से अधिक बढ़ जाएगी।
अवमानना याचिका में कहा गया है कि केंद्र सभी संबद्ध पक्षों के संज्ञान में यह नहीं लेकर आया कि कानून के अनुसार, उम्मीदवारों एवं उनके सहयोगियों की संपत्ति तथा आय के स्रोत का खुलासा नहीं करना एक भ्रष्ट आचरण होगा, जो जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 123(2) के तहत परिभाषित ‘अनुचित प्रभाव’ की श्रेणी में आएगा।
याचिका में कहा गया है कि फॉर्म 26 में संशोधन नहीं किया गया जबकि आदेश में इसकी जरूरत बताई गई थी। संशोधन के जरिये यह प्रावधान किया जाना है कि उम्मीदवार इस बारे में सूचना प्रदान करेंगे कि वह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के किसी प्रावधान के तहत कोई अयोग्यता नहीं रखते हैं।
शीर्ष न्यायालय ने 16 फरवरी 2018 को कहा था कि चुनाव लड़ने के लिए नेताओं को, उनके पति/पत्नी और आश्रितों की आय के स्रोत, संपत्ति घोषित करनी होगी। उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में चुनाव प्रक्रिया में सुधार के लिए कई निर्देश जारी किये थे।
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