Year Ender 2022 : चीतों के पुनर्वास, श्रीमहाकाल लोक के लोकार्पण और अनेक राजनैतिक घटनाओं का साक्षी रहा मध्य प्रदेश 

Year Ender 2022 : चीतों के पुनर्वास, श्रीमहाकाल लोक के लोकार्पण और अनेक राजनैतिक घटनाओं का साक्षी रहा मध्य प्रदेश 

भोपाल। लगातार दो सालों तक वैश्विक महामारी कोरोना की भयावहता को देखने के बाद वर्ष 2022 में पूरे देश की भांति मध्यप्रदेश ने भी बड़ी संख्या में टीकाकरण के चलते राहत की सांस ली। इसी बीच प्रदेश में राजनीतिक स्थिरता के साथ ही पर्यटन और धार्मिक दृष्टि से दो बड़ी परियोजनाओं दक्षिण अफ्रीकी चीतों का कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पुनर्वास और महाकाल लोक के लोकार्पण की बदौलत प्रदेश के लिए ये साल सौगातों से भरपूर रहा।

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अगले वर्ष यानी 2023 के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव के पहले इस साल दोनों ही प्रमुख दलों ने निकाय चुनावों के रूप में 'चुनावी सेमीफाइनल' का सामना किया। इसी क्रम में भाजपा ने जहां विकास और आदिवासी समुदाय पर ध्यान केंद्रित रखा, वहीं कांग्रेस, भाजपा की नीतियों की आलोचना कर और अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत बनाने के प्रयास के साथ चुनावी तैयारियों को अंजाम देती नजर आई।

जनजातीय नायक बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर से मध्य प्रदेश में पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) (पेसा) नियम 2022 लागू कर दिए गए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मौजूदगी में आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बारे में घोषणा की। इसमें अनुसूचित क्षेत्रों की ग्रामसभा को सशक्त बनाया गया है। प्रदेश के आदिवासीबहुल क्षेत्रों में लंबे समय से पेसा अधिनियम लागू किए जाने की मांग जोरों पर थी।

मध्यप्रदेश को इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो मुख्य सौगात दीं, जिससे प्रदेश के आने वाले समय में पर्यटन की दृष्टि से बेहद सुदृढ़ क्षेत्रों की पंक्ति में शामिल होने की संभावनाओं को जन्म मिला। अपने जन्मदिन 17 सितंबर को मोदी ने प्रदेश के अपेक्षाकृत पिछड़े माने जाने वाले श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में दक्षिण अफ्रीकी देश नामीबिया से लाए गए तीन चीतों को बाड़े में औपचारिक तौर पर छोड़ा।

इसके साथ ही देश में करीब 70 साल बाद चीतों की बसाहट दर्ज हुई। नामीबिया से कुल आठ चीतों के आने के बाद मध्यप्रदेश को टाइगर और लेपर्ड स्टेट होने के साथ ही चीता स्टेट होने का भी दर्जा मिल गया है। प्रदेश को चीतों की सौगात देने के लगभग एक महीने बाद ही अक्टूबर में प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य के उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर के कॉरिडोर 'श्री महाकाल लोक' को देश को समर्पित किया।

भगवान शिव की विभिन्न लीलाओं से सुसज्जित इस बेहद भव्य कॉरिडोर के पहले चरण के लोकार्पण के बाद ये परिसर करीब 47 हेक्टेयर का हो गया है। श्रद्धालु इस लंबे कॉरिडोर के नयनाभिराम दृश्यों का अवलोकन करते हुए मंदिर परिसर तक पहुंचते हैं। उज्जैन में ही हाल में जियो ने अपनी 5जी सेवाओं की शुरूआत की। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' ने भी मध्यप्रदेश को देश भर में सुर्खियों में रखा।

लगभग 12 दिन की इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी की छवि जहां एक ओर ''सॉफ्ट हिंदुत्व'' की ओर झुकती हुई नजर आयी, वहीं उनकी यात्रा के दौरान कथित तौर पर देशविरोधी नारे लगने का मामला सामने आने के बाद भाजपा और कांग्रेस में आरोप प्रत्यारोप के दौर भी चले। प्रदेश के बुरहानपुर जिले से इस यात्रा ने महाराष्ट्र की सीमा से प्रवेश किया था और श्री गांधी छह जिलों से होकर गुजरे। 

उन्होंने प्रदेश के दोनों ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर और श्री महाकालेश्वर के दर्शन किए। साथ ही वे संविधान दिवस के अवसर पर डॉ भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली महू भी पहुंचे। हालांकि उनकी यात्रा के दौरान कन्हैया कुमार और स्वरा भास्कर जैसे लोगों की मौजूदगी के चलते भाजपा को उन पर हमले बोलने का अवसर भी मिल गया। यात्रा के दौरान पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे वाला कथित वीडियो भी विवादों का कारण बना। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री डॉ गोविंद सिंह की इस साल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर नियुक्ति हुई। इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ इस पद पर थे। कमलनाथ के इस पद को छोड़ने और डॉ सिंह की इस पर नियुक्ति को कांग्रेस ने पार्टी के 'एक व्यक्ति-एक पद' के सिद्धांत के तौर पर प्रचारित किया।

साल के अंत में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह की अगुवाई में कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके एक-एक बिंदु को लेकर विधानसभा में जवाब दिया और इन्हीं जवाबों के माध्यम से कांग्रेस की पूर्ववर्ती 15 महीने की सरकार को जमकर घेरा।

मुख्यमंत्री के जवाब के बाद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से खारिज हो गया। प्रदेश में इस साल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण का मुद्दा राजनीतिक तौर पर चर्चाओं में रहा। उच्चतम न्यायालय ने 10 मई को सरकार को ओबीसी आरक्षण के बिना ही पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव कराने को कहा था, जिसके बाद प्रदेश सरकार ने संशोधन याचिका दायर की।

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रदेश के पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को हरी झंडी दे दी। इस मुद्दे को लेकर भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत समूची भाजपा ने कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया। प्रदेश में इस साल जुलाई महीने में हुए नगरीय निकाय चुनाव सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए एक झटके के तौर पर देखे गए।

पिछले चुनाव में जहां राज्य की सभी 16 नगरनिगम भाजपा के खाते में रहीं थीं, वहीं इस बार सिर्फ नौ भाजपा के खाते में रहीं। पांच कांग्रेस के, एक आम आदमी पार्टी के और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने भाजपा से छीन लीं। नगर निगम चुनाव प्रदेश में 'आप' और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के लिए भी प्रवेशद्वार साबित हुए।

सिंगरौली नगर निगम जहां आप के खाते में चली गई, वहीं दो नगर निगम के तीन पार्षद पदों पर एआईएमआईएम के प्रत्याशियों ने जीत हासिल कर ली। नगर पालिकाओं में 76 में 57 पर भाजपा ने और कांग्रेस ने 18 पर कब्जा जमाया, जबकि निर्दलीय के खाते में एक सीट रही।

इसके अलावा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस को जोर दिखाने का अवसर मिला। हालांकि पंचायत चुनाव राजनैतिक आधार पर नहीं होते हैं, लेकिन इन राजनैतिक दलों से जुड़े प्रत्याशी ही चुनावी रण में उतरते हैं। राज्य में नए मुख्य सचिव के लिए कई नामों पर लगातार चल रहीं अटकलों के बीच मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के कार्यकाल को इस साल नवंबर में उनके कार्यकाल के अंतिम दिन छह महीने का विस्तार दे दिया गया।

वहीं अगले साल विधानसभा चुनाव के पूर्व 1987 बैच के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सुधीर सक्सेना को पुलिस महानिदेशक के तौर पर नियुक्ति भी इसी वर्ष दी गई। साल की पहली तिमाही में भाजपा ने भी अपने संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव किया। वरिष्ठ प्रचारक सुहास भगत के स्थान पर हितानंद शर्मा नए संगठन महामंत्री बनाए गए। शर्मा इसके पहले सह संगठन महामंत्री के तौर पर काम कर रहे थे।

क्षेत्रीय संगठन महामंंत्रियों और संगठन महामंत्रियों का प्रवास भी इस बार अपेक्षाकृत सघन तरीके से देखा गया, जिसे राजनीतिक हलकों में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की चुनावी तैयारियों से जोड़ा गया। इसी साल कांग्रेस ने भी प्रदेश के संगठन में बदलाव किया। वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक को हटा कर पार्टी के अपेक्षाकृत लो प्रोफाइल नेता जयप्रकाश अग्रवाल को मध्यप्रदेश संगठन प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया गया।

साल 2022 की शुरुआत कोरोना के साए के बीच में हुई, हालांकि बाद में कुछ शर्तों के साथ फरवरी में पाबंदियां हटाई गई, जिससे धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौटी। इसमें टीकाकरण का भी बड़ा योगदान रहा। प्रदेश में लगातार टीकाकरण के महाअभियान चलाए गए। 12 से 18 साल के किशोरों के टीकाकरण में भी मध्यप्रदेश ने अहम सफलता हासिल की। 

दुर्घटनाओं के लिहाज से ये साल कई हादसों के लिए याद किया जाएगा। साल के दो बड़े हादसे मानसून के समय में हुए। 18 जुलाई को खरगोन और धार जिले की सीमा पर महाराष्ट्र के पुणे जा रही एक यात्री बस नर्मदा नदी में गिर गई, जिससे उसमें सवार करीब 12 लोगों की मौत हो गई। बस इंदौर से पुणे जा रही थी।

इस हादसे के ठीक एक महीने बाद धार जिले स्थित कारम बांध में रिसाव और उसके फूटने की आशंकाओं ने प्रदेश के बड़े हिस्से में दहशत फैला दी। आनन-फानन में सेना ने मोर्चा संभाला और करीब डेढ़ दर्जन गांवों को रातोंं-रात खाली कराया गया। कई दिन की प्रशासनिक अमले की मशक्कत के बाद स्थितियों में सुधार आया, लेकिन कारम बांध के तौर पर विपक्ष को विधानसभा के सत्र में सरकार को घेरने का एक बड़ा मुद्दा मिल गया।

जबलपुर के एक अस्पताल में अगस्त में आगजनी का मामला भी काफी चर्चा में रहा। इसमें 10 लोगों की झुलसने से मौत हो गई। इस घटना के बाद सरकार ने अस्पतालों को लेकर गाइडलाइन भी जारी की। मानसून के दौरान ही विदिशा जिले में आई बाढ़ ने भी अफरा-तफरी मचा दी। सुदूर क्षेत्रों के साथ ही विदिशा शहर में भी घरों में पानी भर गया, जिससे लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा।

बाढ़ के बाद कई दिन तक भरे पानी के चलते शहर में स्थितियां बिगड़ी रहीं। बोरवेल में बच्चों के गिरने से जुड़े हादसे भी इस बार राज्य में सुर्खियों में रहे। बैतूल में दिसंबर की शुरुआत में आठ साल का एक बच्चा तन्मय करीब 80 घंटे की मशक्कत के बाद भी बचाया नहीं जा सका। वहीं इसके पहले जून में छतरपुर में पांच साल का बच्चा दीपेंद्र यादव अपेक्षाकृत खुशकिस्मत रहा।

खेलते-खेलते खुले बोरवेल में गिरे दीपेंद्र को करीब सात घंटे के भीतर बोरवेल से निकाल लिया गया। जून के महीने में उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में एक बस के खाई से नीचे गिरने ने मध्यप्रदेश को एक बड़ा जख्म दे दिया। इस हादसे में पन्ना जिले के 26 यात्रियों की मौत हो गई।

हादसे की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री चौहान आनन-फानन में उत्तराखंड पहुंचे और वहां के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रशासनिक अमले के साथ मिल कर राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी के प्रयास किए। वर्ष 2022 में प्रदेश के कई जिलों में गोवंश में लंपी वायरस का आतंक सामने आया। हालांकि टीकाकरण ने इस वायरस के प्रकोप को काफी हद तक रोक कर रखा। कानून-व्यवस्था की दृष्टि से ये साल प्रदेश के लिए काफी अहम रहा।

अप्रैल में रामनवमी के अवसर पर खरगोन जिले में जुलूस पर पथराव और आगजनी के बाद तनाव फैल गया। उपद्रवियों ने स्थितियों पर नियंत्रण करने गए पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी पर भी गोली चला दी, जो उनके पैर में लगी। स्थितियों को देखते हुए प्रशासन ने फौरन कर्फ्यू लगा दिया। गुना जिले के आरोन में मई महीने में काले हिरण के शिकार की सूचना पर पहुंचे पुलिसकर्मियों पर शिकारियों ने गोलीबारी कर दी।

गोलीबारी में एक एसआई समेत तीन पुलिसकर्मी शहीद हो गए। मामले के दो आरोपियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया और वहीं एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार किया गया। मुख्यमंत्री चौहान ने इस दुखद घटना के बाद उच्‍चस्‍तरीय बैठक बुलाकर शिकारियों की गोली का शिकार हुए पुलिसकर्मियों के परिजन के लिए एक-एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया।

वहीं विदिशा जिले के लटेरी में अगस्त के महीने में वन विभाग के कर्मचारियों की गोलीबारी में एक आदिवासी की मौत ने सरकार की खासी किरकिरी की। वनकर्मियों ने आरोप लगाया कि लकड़ी चोरों ने सुरक्षा अमले पर पथराव किया, जिसके बाद वनकर्मियों ने गोलीबारी की, लेकिन आदिवासियों का आरोप था कि वनकर्मियों ने पहले उन्हें डंडों से पीटा और फिर गोलियां दागना शुरू कर दिया।

मामले के गंभीर रूप लेने के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने एकल सदस्य जांच आयोग का गठन कर इसकी जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को सौंप दी। ये साल नक्सलियों के सफाए के लिहाज से काफी अहम रहा। बालाघाट में दिसंबर की शुरुआत में 12 लाख रुपए के एक इनामी नक्सली काे हॉक फोर्स के जवानों ने मार गिराया। इसके अलावा नवंबर महीने में भी सुरक्षाकर्मियों ने दो इनामी नक्सलियों को ढेर करने में सफलता हासिल की।

प्रदेश में इस साल मुख्यमंत्री श्री चौहान की बुलडोजर कार्रवाई भी लगातार चर्चाओं में बनी रही। अपराध से जुड़े लगभग हर मामले में आरोपियों के अवैध अतिक्रमण और मकान आदि को बुलडोजर ये ढहाने की कार्रवाई की गई। खरगोन दंगों, आरोन मुठभेड़ से लेकर हाल ही में रीवा में एक युवती के साथ बर्बरता तक के आरोपियों पर प्रशासन ने त्वरित तौर पर बुलडोजर कार्रवाई की। हालांकि इस कार्रवाई को लेकर भी मुख्यमंत्री श्री चौहान लगातार विरोधियों के निशाने पर रहे। 

कांग्रेस ने इसे एक मुद्दा बनाते हुए इसे मानवाधिकारों से जोड़ दिया। धार्मिक-सामाजिक दृष्टि से इस साल द्वारका एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का देवलोकगमन मध्यप्रदेश के लिए एक बड़ा आघात रहा। सितंबर में शंकराचार्य ने अपने आश्रम नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर में अंतिम सांस ली। उनकी पार्थिव देह को उनके आश्रम में ही रखा गया, जहां वरिष्ठ राजनीतिक हस्तियों के अतिरिक्त देश-विदेश से आए उनके अनुयायियों ने उनके अंतिम दर्शन किए।

मध्य प्रदेश सरकार इस वर्ष वर्ष 2023 की शुरूआत में इंदौर में आयोजित होने वाले ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट और प्रवासी भारतीय सम्मेलन की तैयारियों में भी जुटी है। इस आयोजन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही देश विदेश की अनेक हस्तियां मौजूद रहेंगी। अगले साल जी-20 की भी आठ बैठकें मध्यप्रदेश में होंगी। 

खेलों की दृष्टि से भी राज्य में अनेक उपलब्धियां दर्ज हुयीं। राज्य के खिलाड़ियों ने अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अनेक उपलब्धियां हासिल कर मध्यप्रदेश का मान बढ़ाया। वहीं खेलो इंडिया यूथ गेम्स की मेजबानी का अवसर भी मध्यप्रदेश को इसी साल मिला। सरकार आयोजन की तैयारियों में जुटी है। ये आयोजन वर्ष 2023 की शुरूआत में राज्य के भोपाल समेत विभिन्न शहरों में होंगे।

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