मुरादाबाद : नये चेहरे को नगर निगम के वार्ड का सिरमौर चुनेंगे सिविल लाइंस के नागरिक
बदलाव : दो दशक से अधिक रहा भाजपा के वरिष्ठ नेता संजय सक्सेना और उनकी पत्नी का कार्यकाल, अब आरक्षण के पेच से दूसरों को मौका
मुरादाबाद,अमृत विचार। शहर का सबसे पॉश और अहम इलाका सिविल लाइंस है। नगर निगम के वार्ड नंबर 13 में दो दशक से अधिक समय बाद जनता नया सिरमौर चुनेगी। क्योंकि 2000 से लेकर 2022 तक यहां की जनता ने भाजपा के वरिष्ठों में शुमार संजय सक्सेना और उनकी पत्नी पर भरोसा जताया। 22 वर्ष के लंबे कार्यकाल के बाद अब आरक्षण के पेच से यहां नया चेहरा सामने आएगा। यह वार्ड मंडल और जिले के महत्वपूर्ण प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालय, न्याय पालिका, चिकित्सालय, पुलिस अस्पताल, पुलिस एकेडमी को समेटे है। नगर के विकास की धुरी यहां घूमती है।
पार्षद संजय सक्सेना को जनता ने 2000 में अवसर दिया तो फिर वह हर बार उनके भरोसे पर खरे उतरते रहे। 2012-2017 तक उनकी पत्नी रिचा सक्सेना पार्षद चुनी गईं। फिर अगले ही टर्म में 2017-22 में वह पार्षद बनकर सेवा को हाजिर रहे। पत्नी के पार्षद रहते हुए भी जनता के बीच उन्हीं का चेहरा आगे रहा। मगर इस बार आरक्षण सूची में वार्ड एससी के लिए आरक्षित हो गया है। ऐसे में वह चुनावी दौड़ से बाहर होंगे, नये को अवसर मिलेगा। अटल पथ, ग्रीन बेल्ट, ठंडी सड़कें, पुलिस लाइन से खरे चौराहे तक ग्रीन बेल्ट बना। जिससे इस क्षेत्र में शुद्ध पर्यावरण और हरियाली का फायदा लोगों को मिला। हालांकि उनके दावे से इतर वार्ड के कुछ नागरिक सफाई में कमी को टीस मानते हैं। उनका कहना है कि वार्ड में कई जगह कूड़ा समय से नहीं उठता।
पार्षद संजय कहते हैं कि शत प्रतिशत सफलता में हो सकता है कुछ कमी रही होगी, लेकिन जो भी चुनकर आएगा उसे पूरा सहयोग रहेगा। कयूम की फैक्ट्री के पास पुलिया के चोक होने की समस्या पर उनका कहना है कि इसे वार्ड 31 की पार्षद रूचि चौधरी के साथ मिलकर समाधान कराया है। पेयजल की कोई दिक्कत नहीं है। एमएल भारती कहते हैं कि सफाईकर्मी नियमित नहीं आते। कई बार खुद ही नाली साफ करना पड़ती है।
पार्षद से कहने पर भी समाधान नहीं हुआ। पीयूष बंसल भी सफाई कर्मियों के नियमित नहीं आने से नाराज हैं। कहते हैं कि यदि कभी कर्मचारी आए भी तो मुख्य सड़क साफ कर चल देते हैं, अंदर नहीं आते। वैसे अन्य कार्य तो बहुत हुए। विनीता गुप्ता भी सफाई की टीस बताती हैं। कहा कि सड़क थोड़ी टूटी थी उसे खुद ही सीमेंट डलवाकर सही कराया। शकुंतला कहती हैं कि पैसे लेने के बाद भी कर्मचारी सफाई नहीं करते।
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