हल्द्वानी: थानेदार की सब्जी मत लाना, सिर्फ पुलिसिंग करना 

हल्द्वानी: थानेदार की सब्जी मत लाना, सिर्फ पुलिसिंग करना 

हल्द्वानी, अमृत विचार। पुलिसिंग जहां से शुरू होती है यानी कांस्टेबल... इन्हीं कांस्टेबल को डीआईजी डॉ.नीलेश आनंद भरणे ने मंगलवार को शुद्ध पुलिसिंग का पाठ पढ़ाया। कड़े शब्दों में डीआईजी ने कहा, आपको थानेदार की जी हुजूरी और उसकी सब्जी लाने में समय नहीं काटना है। आपको सिर्फ और सिर्फ पुलिसिंग करनी है। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिसिंग में कांस्टेबल किसी भी अन्य अधिकारी से अहम किरदार निभाता है। 

डीआईजी ने यह बातें कोतवाली सभागार में आयोजित सिम और बीट वितरण कार्यक्रम के दौरान बीट कांस्टेबल को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने थाना और चौकी स्तर पर बीट कांस्टेबल के दुरुपयोग पर कड़ी आपत्ति जाहिर की और कहा, आपको थानेदार की बटरिंग नही करनी है। आपको सिम और बीट बुक दिए गए हैं। कुमाऊं में 512 बीट और करीब 15 सौ बीट कर्मचारी है।

आपका नंबर अपने क्षेत्र के हर एक व्यक्ति के पास होना चाहिए। आपकी इतनी पैठ होनी चाहिए कि बीट में एक पत्ता भी गिरे तो सूचना आप तक आनी चाहिए। ये समझ लो कि आप बीट के मालिक हो। अगर आपके क्षेत्र में चरस, स्मैक या किसी भी तरह का अवैध नशा बिका तो आप पकड़े जाओगे और अगर नशा पकड़ोगे तो इसका इनाम भी आपको मिलेगा। कांस्टेबल को दिए सिम पर आने वाले सभी कॉल की डीआईजी कैंप कार्यालय पर मॉनिटरिंग की जाएगी। देखा जाएगी कि आपने कितनी कॉल रिसीव की। 

इसके अलावा बीट बुक में सब कुछ अंकित करना होगा। बीट बुक में जिसका काम अच्छा होगा, उसे मनमुताबिक पोस्टिंग, छुट्टी और इनाम मिलेगा और काम न करने वालों को यहां-वहां उठाकर फेंक दिया जाएगा। उन्होंने बीट कांस्टेबल को भरोसा दिया कि अगर उनके काम का इनाम न मिले तो कांस्टेबल सीधे उनसे संपर्क करें। उन्होंने बीट कांस्टेबल की हौसलाअफजाई करते हुए कहा, अधिकारी सिर्फ निर्देश देता है और असल में काम बीट कांस्टेबल करता है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि सारा खेल सूचनाओं का है और इसमें कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कार्यक्रम के दूसरे दिन में नैनीताल और ऊधमसिंहनगर के सौ कर्मियों को सिम और बीट बुक दी गई। कार्यक्रम में डीआईजी के अलावा एसएसपी नैनीताल पंकज भट्ट, एसएसपी ऊधमसिंह नगर टीसी मंजूनाथ, एसपी सिटी हरसंब सिंह, सीओ सिटी भूपेंद्र सिंह धौनी आदि थे।    

अगले हफ्ते से चलेगा कांस्टेबल फर्स्ट अभियान
डीआईजी ने कहा, अगले हफ्ते से कुमाऊं स्तर पर कांस्टेबल फर्स्ट अभियान चलाया जाएगा। कांस्टेबल को हर 15 दिन में अपना प्रफोर्मा भर कर देना है। इसी के आंकलन से सर्वोच्च काम करने वाले कांस्टेबल को चुना जाएगा। जिसके बाद कांस्टेबल को विभिन्न स्तर पर सिर्फ सम्मानित किया जाएगा, बल्कि उसके बीट क्षेत्र में उसकी होर्डिंग भी लगाई जाएगी। डीआईजी ने दावा किया कि अच्छा काम करने वालों को राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई जाएगी।

हल्का इंचार्ज सेटलमेंट करे तो अधिकारी को बताएं
डीआईजी ने बीट कांस्टेबल से कहाकि आपके पास आने वाली सूचना हल्का इंचार्ज (दरोगा) को देनी होगी। अगर सूचना पर दरोगा सेटलमेंट की कोशिश करता है तो इसकी सूचना अपने अधिकारी को दें। महिला कांस्टेबल से भी उन्होंने अपेक्षा जताई और कहाकि देहरादून का सारा यातायात महिला कांस्टेबल संभाल रही हैं। राज्य की मातृ शक्ति किसी से कम नहीं है और कुमाऊं में भी महिला कांस्टेबल को आगे आकर काम करना होगा। 

कर्नाटक और महाराष्ट्र पुलिस से उत्तराखंड पुलिस 20 साल पीछे
एसएसपी ऊधमसिंह नगर टीसी मंजूनाथ ने कहाकि उत्तराखंड पुलिस महाराष्ट्र और कर्नाटक पुलिस से 20 साल पीछे है। कर्नाटक में जब मेरे मम्मी-पापा शहर से बाहर जाते हैं तो अपने क्षेत्र के बीट कांस्टेबल को फोन कर बताते हैं। उन्हें तर्क दिया कि पहले पुलिस के पास हैंडसेट थे और अब मोबाइल हैं। वर्तमान में मोबाइल पावर फुल है। आने वाला वक्त भी एप पुलिसिंग का है। बीट पुलिसिंग नई नहीं है, लेकिन अब इसका डिजिटलीकरण हो रहा है। 

बीट कांस्टेबल को दिए जाएंगे विजिटिंग कार्ड
एसएसपी पंकज भट्ट ने बताया कि बीट पुलिसिंग को और प्रभावी बनाने के लिए जल्द ही बीट कांस्टेबल को विजिटिंग कार्ड जारी किए जाएंगे। जिसमें बीट कांस्टेबल के मोबाइल नंबर के साथ उसका फोटो भी अंकित होगा। इससे न सिर्फ लोगों तक बीट कांस्टेबल का नंबर पहुंचेगा, बल्कि लोग देखते ही अपने बीट कांस्टेबल को पहचान लेंगे। उन्होंने कहा, हर काम बीट से शुरू होता है और बीट पर खत्म होता है। ऐसे में बीट का मजबूत होना जरुरी है।

थर्ड पार्टी ऑडिट कराएंगे डीआईजी
कांस्टेबल को बताया कि कुछ समय बाद बीट में उनकी स्थिति भांपने के लिए थर्ड पार्टी ऑडिट कराया जाएगा। इस ऑडिट के दौरान 10 में से कम से कम पांच लोग आपको जानने वाले निकलने चाहिए। अपना नंबर घर-घर तक पहुंचाने के लिए चुनाव प्रचार की तरह स्टीकर घर-घर पर चस्पा करें। पोस्टर लगाएं और लाउड स्पीकर वाले ऑटो के जरिये नंबर का प्रचार करें। इसके लिए सोशल मीडिया का भी सहारा लें। एक-एक घर की लिस्ट बनाएं।