लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश, रिजिजू बोले- वक्फ बिल का धार्मिक व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं

नई दिल्ली, अमृत विचार। लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश कर दिया गया है। यह विधेयक संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पेश किया है। इस विधेयक पर चर्चा के लिए 8 घंटे का समय तय किया गया है। इस विधेयक को चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड का समर्थन मिला है।
लोकसभा में विधेयक के पेश होते ही विपक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। जिस पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि इस विधेयक का धार्मिक व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने वक्फ कानून में बदलावों के जरिये इसे अन्य कानूनों से ऊपर कर दिया था, इसलिए इसमें नए संशोधनों की जरूरत पड़ी। रिजिजू ने सदन में विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि आपने उन मुद्दों पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की, जो वक्फ विधेयक का हिस्सा नहीं हैं।
उन्होंने विधेयक को लेकर विपक्षी दलों द्वारा जताई जा रही चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा कि सरकार किसी भी धार्मिक संस्था में हस्तक्षेप नहीं करने जा रही। मंत्री ने कहा कि इस संसद भवन पर भी वक्फ का दावा किया जा रहा था और पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने तो काफी संपत्ति गैर-अधिसूचित करके दिल्ली वक्फ बोर्ड को दे दी थी। पिछले साल विधेयक पेश करते समय सरकार ने इसे दोनों सदनों की एक संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव किया था। समिति द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद, उसकी सिफारिश के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मूल विधेयक में कुछ बदलावों को मंजूरी दी थी।
गरीब मुसलमानों की तकदीर बदलेगा नया वक्फ कानून
किरेन रिजिजू ने कहा कि इस विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति ने पूरे देश में तमाम वर्ग के लोगों के साथ व्यापक चर्चा के बाद अपनी रिपोर्ट दी थी और उसके आधार पर यह विधेयक पारित कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जेपीसी ने इस विधेयक के बारे में अभूतपूर्व परिश्रम किया है। करीब 97 लाख, 27 हजार 772 सुझावों, अपीलों, ज्ञापनों एवं सिफारिशों का निस्तारण किया है। सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों, अलग-अलग संगठनों, धार्मिक समुदायों, शोधकर्ताओं आदि ने अपने विचार साझा किए हैं। उन्हें पूरा विश्वास है कि जो लोग इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं, इसके तथ्यों के बारे में जानकर उनका दिल बदलेगा और वे सब समर्थन करेंगे।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक शुद्ध रूप से संपत्ति के प्रबंध का मामला है और इससे किसी धर्म के कार्यकलाप में कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। उन्होंने कहा कि सरकार किसी धार्मिक कार्य में हस्तक्षेप नहीं कर रही है। यह कोई मंदिर, मस्जिद का विषय नहीं है। उन्होंने कहा कि वक्फ की संपत्तियों का प्रबंध मुतव्वली करता है और यह विधेयक उसी प्रबंध से संबंधित है। संसदीय कार्य मंत्री ने इस संबंध में केरल और इलाहाबाद उच्च न्यायालयों तथा उच्चतम न्यायालय के तीन निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि तीनों ही निर्णयों में न्यायालयों ने स्पष्ट किया है कि मुस्लिम वक्फ या हिन्दू मंदिरों की संपत्तियों के प्रबंध का काम स्वाभाविक रूप से सेक्युलर (गैरधार्मिक प्रकृति का काम) है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी के खिलाफ नहीं है, बल्कि मुसलमानों के हित में है और तमाम मुसलमान चाहते हैं कि वक्फ की संपत्तियों का कायदे से प्रबंध हो।
मंत्री ने कहा कि इसमें वक्फ़ प्रबंधन समिति में 22 लोगों में से 10 मुस्लिम समाज के लोग, दो पूर्व न्यायाधीश, एडवोकेट, मुस्लिम महिलाएं, और दो गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे। उन्होंने कहा कि वक्फ़ संशोधन विधेयक में देश के कानूनों को जगह देकर ट्रिब्यूनल में लंबित हजारों केसों को निस्तारित करने का रास्ता खोजा है। उन्होंने कहा कि यह कहा जा रहा है कि सेना एवं रेलवे के बाद वक्फ़ के पास सबसे ज़्यादा ज़मीन है। तो यह समझना चाहिए कि रेलवे की जमीन पर पटरी बिछी है और उस पर देश की जनता चलती है। इसलिए रेलवे की ज़मीन देश की ज़मीन है। इसी तरह से सेना की जमीन भी देश की जमीन है। लेकिन वक्फ़ की संपत्ति निजी संपत्ति है। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे ज़्यादा वक्फ़ संपत्ति भारत में है, लेकिन हमारा गरीब मुसलमान परेशान क्यों है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के गरीब मुसलमानों के अधिकारों के लिए किए जा रहे काम का विरोध क्यों किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चंद वोटों के लिए देश की इतनी वक्फ़ संपत्ति यूं ही नहीं पड़ी रह सकती है। इसे गरीब मुसलमानों के उपयोग में लाना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2004 में जिस वक्फ़ संपत्ति से 163 करोड़ रुपए की आमदनी हुई थी, उससे अधिक संपत्ति होने के बावजूद वर्ष 2013 में आमदनी 166 करोड़ रुपए हुई। जबकि सच्चर कमेटी ने कहा कि इससे 12 हजार करोड़ रुपए की आमदनी हो सकती थी। मतलब साफ है कि यदि वक्फ़ संपत्ति का ढंग से उपयोग होता तो मुसलमानों की तकदीर बदल जाती।
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