गोरखपुर: भारतीय सैनिकों की बहादुरी और साहस के प्रतीक शौर्य यात्रा में उमड़ा जनसैलाब, बलिदानियों को किया नमन
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गोरखपुर, अमृत विचार। अखिल भारतीय क्रांतिकारी संघर्ष मोर्चा व गुरुकृपा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को तिरंगे के साथ भव्य मशाल शौर्य यात्रा निकाली गई।यात्रा हरिओम नगर तिराहा स्थित पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा के पास से शुरू होकर बाल विहार, चेतना तिराहा, कचहरी चौक, गणेश चौक से होते हुए काली मंदिर चौक स्थित वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति के पास जाकर सभा के रूप में परिवर्तित हो गई जहां पर एसएसबी के बैंड द्वारा जुलूस का स्वागत किया गया। बच्चों, पुरुष, महिला और वरिष्ठ नागरिकों के बीच युवाओं के हुजूम को एनसीसी व एनएसएस कैडेट्स यात्रा की शोभा बढ़ा रहे थे। देश के लिए बलिदान देने वाले वीर सैनिकों तथा स्वतंत्रता सेनानीयों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
मुख्य अतिथि एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट विवेक ओझा ने देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले जवानों को नमन करते हुए कहा कि हमारे जवान देश का गौरव हैं। भारतीय सैनिकों की सेना बहादुरी और साहस का प्रतीक हैं। इनके बलिदान के कारण ही हम सुरक्षित हैं।16 दिसंबर 1971 को भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में हराया था। भारत की सेना के आगे पाकिस्तान की फौज ने घुटने टेक दिए थे और बांग्लादेश को आजादी मिली थी।
प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा ने कहा कि देश की जल, थल और वायु सेना के जवान दृढ़ता और समर्पण की मिसाल हैं। पहाड़ से मजबूत उनके हौसलों के सामने जब भी कोई आया, उसे घुटने टेकने पड़े। लेफ्टीनेंट डा अनुपम सिंह ने कहा कि सैनिकों से अनुशासन का पाठ सीखना चाहिए जो कि हर परिस्थिति में देश को गर्व की अनुभूति कराते है।
विशिष्ट अतिथि डा संजयन त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय सेना के अद्वितीय पराक्रम व साहस को नमन कर, उन वीर सपूतों को स्मरण करता हूँ जिन्होंने अपना सर्वस्व अर्पण कर देश का गौरव बढ़ाया। शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान के चिकित्सक डा योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि 'विजय दिवस' भारतीय सेना के अनुशासन, अदम्य साहस एवं अद्भुत पराक्रम की ऐतिहासिक उपलब्धि है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
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