बरेली: जलवायु परिवर्तन, जंगलों पर अतिक्रमण, एंटीबायोटिक का अधिक प्रयोग कोविड के प्रमुख कारक

विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारतीय प्रतिनिधि डा. चंद्रकांत लहरिया ने विद्यार्थियों से साझा की जानकारी, आईवीआरआई के 133वें स्थापना दिवस पर आयोजित हुआ व्याख्यान 

बरेली: जलवायु परिवर्तन, जंगलों पर अतिक्रमण, एंटीबायोटिक का अधिक प्रयोग कोविड के प्रमुख कारक

बरेली, अमृत विचार। भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के 133वें स्थापना दिवस व वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता के अंतिम दिन शुक्रवार को स्वामी विवेकानन्द सभागार में व्याख्यान का आयोजन किया गया।

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इस मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारतीय प्रतिनिधि व टिल वी विन: इंडियाज फाइट अगेंस्ट द कोविड-19 पैनडेमिक के प्रमुख लेखक डा. चंद्रकांत लहरिया ने वन हेल्थ इन पोस्ट कोविड-19 पैनडेमिक पीरियड विषय पर कहा कि जंगलों के विनाश और अतिक्रमण, जलवायु परिवर्तन, बढ़ता तापमान, ज्यादा मात्रा में एंटीबायोटिक दवाओं के प्रयोग आदि महामारी को उत्पन्न करने वाले प्रमुख कारक हैं।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 से पूर्व एक सदी में स्वाइन फ्लू जैसी छोटी महामारी दुनिया में कई बार आ चुकी है, ऐसी महामारी के पनपने का खतरा एशिया और अफ्रीकी देशों में सर्वाधिक है। यातायात के तीव्र साधन किसी भी महामारी के प्रसार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। संस्थान के निदेशक व कुलपति डा. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि हमें नई शिक्षा नीति के अनुरूप तथा वैश्विक परिदृश्य में संस्थान में शिक्षा का विकास करना है।

इसके लिए वैश्विक श्रेणी की आधारभूत सुविधाएं भी विकसित करना है। पशुचिकित्सा के स्नातक डिग्री में स्ववित्तपोषित और एनआरआई सीटों पर भी उम्मीदवारों को प्रवेश दें। संस्थान को अंतर राष्ट्रीय संस्थाओं से संपर्क साधने में आसानी हो रही है। भविष्य में हम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पशुचिकित्सा के स्नातक डिग्री महाविद्यालय खोलना चाहते हैं।

साथ ही डिस्टेंस व ऑनलाइन व्यवसायिक शिक्षा में डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कार्यक्रम भी प्रारंभ कर सकते हैं। हम डीएसटी. प्रोग्राम के तहत बीएसएल-3 प्रयोगशालाओं की स्थापना अपने क्षेत्रीय शोध केंद्रों में करना चाहेंगे।

इस दौरान बड़ी संख्या में संस्थान के छात्र-छात्राओं, वैज्ञानिकों, अधिकारियों के साथ डा. केपी सिंह, डा. एसके सिंह, डा. एसके मेंदीरत्ता, डा. महेश चन्द्र, राकेश कुमार आदि उपस्थित रहे। संचालन वैज्ञानिक डा. हिमानी धांजे व विकृति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. जीसाई कुमार ने आभार जताया। इससे पहले संस्थान के निदेशक एवं कुलपति डा. त्रिवेणी दत्त ने डा. लहरिया का स्वागत किया।

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