लखनऊ: स्क्रीनिंग बढ़ाने से रोक सकते हैं स्तन कैंसर के मामले
लखनऊ, अमृत विचार। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ 16 लाख से अधिक मरीज उठा चुके हैं। बीते चार सालों में कैंसर से पीड़ित मरीजों को बड़े पैमाने पर इस योजना से इलाज मिला है। इससे पहले महिलाओं को स्तन कैंसर का समुचित इलाज नहीं मिल पाता था, क्योंकि सर्जरी कराने की उनकी क्षमता नहीं होती थी। अब आयुष्मान योजना के तहत बिना किसी खर्च के सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है।
यह कहना है स्टेट एजेंसी फॉर कम्प्रेहेंसिव हेल्थ एंड इंटिग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) की सीईओ संगीता सिंह का। वह शुक्रवार को कार्यशाला को संबोधित कर रही थी। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) स्थित शताब्दी फेज -2 में आयोजित कार्यशाला में उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना के तहत स्तन कैंसर की जांच, इलाज और देखभाल से जुड़े अस्पतालों की क्षमता और गुणवत्ता दोनों बढ़ानी होगी। जिससे कैंसर से पीड़ित मरीजों को और बेहतर इलाज मिल सके।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए केजीएमयू के कुलपति ले. जन. डॉ. बिपिन पुरी ने कहा कि भारत में स्तन कैंसर के मामले कम पर मृत्यु दर अधिक है। इसका प्रमुख कारण समय से कैंसर की स्क्रीनिंग का न हो पाना है। उन्होंने कहा कि कैंसर स्क्रीनिंग को बढ़ाने की जरूरत है। केजीएमयू के एंडोक्राइन एंड ब्रेस्ट डिजीज के हेड डॉ. आनंद मिश्रा ने स्तन कैंसर की शीघ्र जांच और सर्जरी की जरूरत के बारे में चिकित्सकों को जानकारी दी। हेमेटोलाजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एके त्रिपाठी, राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉ. मधुप रस्तोगी, एसजीपीजीआई के डॉ. गौरव अग्रवाल और केजीएमयू की डॉ. ईशा जफा भी मौजूद रहीं।
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