21 साल बाद आई अयोध्या के लिए नई महायोजना
अयोध्या महायोजना-2031 के आधार पर ही पास होंगे मानचित्र
नगर निगम में समाहित 41 गांव नई महायोजना में अभी शामिल नहीं
अमृत विचार, अयोध्या। शासन से स्वीकृत अयोध्या महायोजना 2031 पिछले मास्टर प्लान के करीब 21 साल बाद आयी है। अभी तक अयोध्या व फैजाबाद शहर का विकास कार्य पुरानी महायोजना के अनुसार ही चल रहा था लेकिन अब नई महायोजना के शासन से स्वीकृत होकर आने के बाद शहर के विकास कार्यों का खाका इसी महायोजना के आधार पर खींचा जाएगा।
नई महायोजना के अनुसार ही शहरी क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के भू उपयोगों की क्रियाएं अनुमन्य की जाएंगी। आवासीय व अनावासीय मानचित्र भी इसी महायोजना के मद्देनजर स्वीकृत किये जाएंगे। इसे पहले अयोध्या का मास्टर प्लान वर्ष 1983 से 2001 तक के लिए आया था। उस समय अयोध्या विकास प्राधिकरण की क्षेत्रीय सीमा भी कम थी लेकिन अयोध्या जनपद की सीमा का विस्तार होने के साथ ही अयोध्या विकास प्राधिकरण की सीमा का भी विस्तार हो चुका है।
इस समय 133 वर्ग किलोमीटर में फैले शहरी क्षेत्र का विकास अयोध्या महायोजना 2031 के अनुसार किये जाने को लेकर एडीए की कवायद भी जल्द शुरू होगी। माना जा रहा है कि जल्द ही एडीएम आवासीय व अनावासीय मानचित्र की स्वीकृति भी देगा। महायोजना के इंतजार में ही शहर में मानचित्र की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही थी। भारत सरकार की अमृत योजना अन्तर्गत जीआईएस आधारित अयोध्या महायोजना 2031 भाग-क स्वीकृत की गयी है।
भाग क में अयोध्या व फैजाबाद शहर का 133 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल होगा। इस महायोजना में नगर निगम में शामिल 41 गांव अभी शामिल नहीं हैं। ग्रामीण एवं नगरीय नियोजन विभाग कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार नगर निगम में समाहित 41 सहित अन्य विस्तारित क्षेत्रों की महायोजना के लिए पहले अलग जीआईएस सर्वे कराया जायेगा। सर्वे के बाद ही महायोजना तैयार कर शासन को मंजूरी के लिए भेजी जाएगी।
फिलहाल नई स्वीकृत अयोध्या महायोजना 2031 के आधार पर शहर के विकास का खाका तैयार होगा। विभिन्न प्रकार के भू उपयोगों की क्रियाएं अनुमन्य की जाएंगी। शासन की ओर से महायोजना को पांच शर्तों पर स्वीकृति दी गयी है। इस महायोजना पर अमल इन्हीं शर्तों के आधार पर होगा।
महायोजना में अयोध्या शहर में काम बिल्डिंग कोट का प्रावधान किया जाएगा। महायोजना में प्रस्तावित रिस्ट्रिक्टेड टेम्पल जोन्स-2 के तहत धार्मिक भवनों को छोड़कर अन्य प्रस्तावित भवनों की अधिकतम ऊंचाई सिटल्ट सहित 17.5 मीटर तक ही हो सकेगी। महायोजना में अयोध्या की 84 कोसी शास्त्रीय सीमा को भी जोड़ा जाएगा।
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