हिमाचल प्रदेश : 'शाही परिवार के सदस्यों' पर जनता ने नहीं जताया भरोसा, विधानसभा चुनाव में केवल दो सीट पर मिली जीत 

हिमाचल प्रदेश : 'शाही परिवार के सदस्यों' पर जनता ने नहीं जताया भरोसा, विधानसभा चुनाव में केवल दो सीट पर मिली जीत 

निर्दलीय के रूप में खड़े कुल्लू के पूर्व शाही परिवार के सदस्य हितेश्वर सिंह भी बंजार विधानसभा सीट भाजपा के सुरेंद्र शौरी से हार गए। हितेश्वर सिंह को 14,932 मत, शौरी को 24,241 मत और कांग्रेस के खिमी राम को 19,963 मत मिले।

शिमला/नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में किसी समय अहम स्थान रखने वाले राज्य के पूर्व शाही परिवारों के सदस्यों का मतदाताओं के बीच आकर्षण कम हो रहा है और इस बार विधानसभा चुनावों में उनमें से केवल दो सदस्यों ने चुनाव जीता, जबकि दो अन्य हार गए। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र और रामपुर बुशहर के पूर्व शाही परिवार के वंशज विक्रमादित्य सिंह ने शिमला ग्रामीण से 13,860 मतों के अंतर से जीत हासिल की, जबकि कोटी के पूर्व शाही परिवार के अनिरुद्ध सिंह कसुम्प्टी सीट से जीते। 

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वीरभद्र सिंह ने चार दशकों से अधिक समय तक राज्य की राजनीति में अपना दबदबा कायम रखा और उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला है। क्योंथल के पूर्व शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह वर्तमान में कांग्रेस की राज्य इकाई की प्रमुख हैं और मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं। 

विक्रमादित्य सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रवि मेहता को हराया, जबकि अनिरुद्ध सिंह ने निवर्तमान शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज को 8,865 मतों के अंतर से हराया। दूसरी ओर, चंबा के पूर्व शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली कांग्रेस की आशा कुमारी डलहौजी सीट 9,918 मतों के अंतर से हार गईं। इससे पहले वह लगातार छह बार यह सीट जीत चुकी थीं। 

निर्दलीय के रूप में खड़े कुल्लू के पूर्व शाही परिवार के सदस्य हितेश्वर सिंह भी बंजार विधानसभा सीट भाजपा के सुरेंद्र शौरी से हार गए। हितेश्वर सिंह को 14,932 मत, शौरी को 24,241 मत और कांग्रेस के खिमी राम को 19,963 मत मिले। पूर्व राजघराने के एक अन्य सदस्य एवं हितेश्वर के पिता महेश्वर सिंह को शुरुआत में भाजपा ने अपने आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया था, लेकिन उनके बेटे द्वारा बंजार निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करने के बाद उन्हें टिकट से वंचित होना पड़ा।

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