पंजाब: पुरानी पेंशन बहाली और ठेका कर्मियों को नियमित करने की मांगों को लेकर होगा राष्ट्रव्यापी आंदोलन

पंजाब: पुरानी पेंशन बहाली और ठेका कर्मियों को नियमित करने की मांगों को लेकर होगा राष्ट्रव्यापी आंदोलन

जालंधर। पुरानी पेंशन बहाली और अनुबंध कर्मचारियों की रेगुलराइजेशन आदि की सात सूत्री मांगों को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन का एलान किया है। यह एलान बृहस्पतिवार को ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन और कनफरडेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स के तालकटोरा स्टेडियम नयी दिल्ली में आयोजित संयुक्त राष्ट्रीय सम्मेलन में किया गया।

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ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने गुरुवार को बताया सम्मेलन में देश भर से दोनों संगठनों के पांच हजार से ज्यादा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

सम्मेलन की अध्यक्षता ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा और कन्फेेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवींद्रन नायर ने संयुक्त रूप से की।

सम्मेलन में लिए गए आंदोलन के निर्णय की जानकारी देते हुए ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि केन्द्र सरकार के कर्मचारी विरोधी रवैए के खिलाफ आगामी बजट सत्र में केन्द्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारी संसद पर सामूहिक धरना देंगे। दिसंबर महीने में सभी राज्यों में राज्य स्तरीय संयुक्त सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।

सितम्बर, 2023 में ससंद पर पहुंचेंगे और नयी दिल्ली में विशाल रैली की जाएगी। रैली में देशव्यापी हड़ताल का एलान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में बैंक, बीमा, रेलवे और पीएसयू के कर्मचारियों को भी शामिल करने के गंभीर प्रयास करने का फैसला किया गया है। दोनों संगठनों के महासचिव ए श्री कुमार और आर एन पाराशर ने आंदोलन का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि केंद्र एवं अधिकतर राज्य सरकारें कर्मचारियों की लंबित मांगों का समाधान करने को लेकर गंभीर नहीं है।

स्थाई प्रकृति के काम पर भी ठेके पर कर्मियों को तैनात किया जा रहा है, जहां उनका आर्थिक शोषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि देश भर में चलाए जा रहे निरंतर संघर्षों के बावजूद केन्द्र सरकार पीएफआरडीए एक्ट को रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली की मांग को मानने को तैयार नहीं है।

बड़े पूंजीपतियों को लाखों करोड़ रुपए टैक्स में छूट दी जा रही है और उनके कर्जों को माफ किया जा रहा है, लेकिन सरकार 18 महीने के बकाया डीए का भुगतान करने को तैयार नहीं है। सरकारी विभागों और पीएसयू को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है, जिसको लेकर कर्मचारियों को आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

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