दुष्यंत कुमार की मशहूर नज्म-“ मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ, वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ’’ 

दुष्यंत कुमार की मशहूर नज्म-“ मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ, वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ’’ 

मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ 



मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ 
वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ 
एक जंगल है तेरी आँखों में 
मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ 
तू किसी रेल सी गुज़रती है 
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ 
हर तरफ़ एतराज़ होता है 
मैं अगर रौशनी में आता हूँ 
एक बाज़ू उखड़ गया जब से 
और ज़्यादा वज़न उठाता हूँ 
मैं तुझे भूलने की कोशिश में 
आज कितने क़रीब पाता हूँ 
कौन ये फ़ासला निभाएगा 
मैं फ़रिश्ता हूँ सच बताता हूँ 

 

दुष्यंत कुमार अपने जमाने के नए युवकों की आवाज़ हैं", ऐसा कहना था निदा फ़ाज़ली का। दुष्यंत कुमार ने अपनी ग़ज़लों से क्रान्ति ला दी थी, उनकी रचनाएं वो संचार थीं जिन्होंने समाज के पिछड़े वर्गों को जागरूक किया। पेश है दुष्यंत कुमार का चुनिंदा शेर....

वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है 
माथे पे उस के चोट का गहरा निशान है 

रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा है दुनिया 
इस बहकती हुई दुनिया को सँभालो यारों 

यह भी पढ़ें:-बहराइच : अब मेडिकल कॉलेज में नहीं लगेगी मरीजों की भीड़

 

ताजा समाचार

शाहजहांपुर: नशे में धुत पिता ने बेटे की गर्दन पर रखा पैर, मासूम की दर्दनाक मौत
IPL 2025, CSK vs SRH : सनराइजर्स हैदराबाद ने दमदार बल्लेबाजी कर चेन्नई को 5 विकेट से हराया, CSK ने गंवाया 7वां मुकाबला
Lucknow Crime News : झगड़े की सूचना पर पहुंची पीआरवी टीम पर हमला, दी धमकी
UP Board Exam Result 2025 : दसवीं में 96.67 प्रतिशत अंक पाकर आकांक्षा ने प्रदेश आठवें स्थान पर
होटल वियाना में बिना सूचना के रह रहे थे ओमान के पांच नागरिक : रूकने का नहीं बता सके कारण, होटल मालिक समेत दो पर रिपोर्ट दर्ज
Pahalgam Terror Attack : पांच पाकिस्तान भेजे गये, तीन नागरिकों को नोटिस, एलआईयू की टीम लगातार कर रही निगरानी