बरेली: आरक्षण ने बिगाड़ा कई दिग्गजों का खेल, राजनीति समाप्त होने का खतरा

कई कर सकते है दूसरे वार्ड का रूख, महापौर की सीट पर आरक्षण को लेकर फैसला आने का इंतजार

बरेली: आरक्षण ने बिगाड़ा कई दिग्गजों का खेल, राजनीति समाप्त होने का खतरा

बरेली, अमृत विचार। लंबे समय से आरक्षण का इंतजार कर रहे पार्षद प्रत्याशियों का गुरुवार की रात को इंतजार खत्म हो गया, लेकिन इस प्रोविजनल आरक्षण ने कई दिग्गज पार्षदों के सामने संकट पैदा कर दिया है। मौजूदा वार्ड का आरक्षण बदलने से अगर वह चुनाव मैदान में नहीं उतरते है तो उनकी राजनीति समाप्त मानी जा रही है। दूसरे वार्ड से चुनाव लड़ने पर जीतने की कोई उम्मीद नही हैं। इस संकट में नगर निगम के दस से अधिक दिग्गज पार्षद आ रहे हैं। 

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नगर निगम में उप सभापति रहे वरिष्ठ पार्षद छंगा मल मौर्य का वार्ड इस बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया है। ऐसे में अगर छंगामल चुनाव लड़ेंगे तो उन्हें किसी दूसरे वार्ड से चुनाव लड़ना पड़ेगा। लगातार कई बार के पार्षद छंगामल चुनाव जरूर लड़ेंगे, इतना तय है। लेकिन दूसरे वार्ड पर उन्हें उतना भरोसा नहीं है। बरेली जिस समय नगर पालिका थी, तब नगर पालिका के सबसे कम उम्र के चेयरमैन रहे वीर बहादुर सक्सेना के बेटे सौरभ सक्सेना के सामने भी इस बार पार्षदी बरकरार रखने को लेकर संकट खड़ा हो गया है।

तीसरी बार पार्षद सौरभ का वार्ड भी आरक्षित हो गया है। दीपक सक्सेना इस बार खुद पार्षद हैं तो पिछली बार उनकी पत्नी पार्षद थी। इस बार दीपक का वार्ड पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित हो गया है। ऐसे में दीपक को चुनाव लड़ने के लिए दूसरे वार्ड का रुख कर सकते हैं।

तीन बार से पार्षद अनुपम चमन का वार्ड भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया है। ऐसे में वो क्या करेंगी किसी को नहीं पता है। महिला के लिए वार्ड आरक्षित होने पर भाजपा के बागी पार्षद विपुल लाला अपनी पत्नी को चुनाव लड़ा सकते हैं तो ऊषा उपाध्याय और मुन्नेंद्र यादव को भी वार्ड का आरक्षण समीकरण बदलने से दूसरे वार्ड की तरफ रुख करना पड़ेगा । माडल टाउन के पार्षद सरदार हरनाम सिंह भी आरक्षण बदलने से इस बार चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। बिहारीपुर सिविल लाइन के पार्षद प्रेमचंद्र के पिता भगवत सरन भी तीन बार पार्षद रहे हैं।

पांच बार के पार्षद प्रेम चंद्र कभी निर्दल तो कभी बसपा से चुनाव लड़कर जीतते रहे हैं। पिछला चुनाव वो बसपा से जीते थे और बाद में भाजपा में शामिल हो गए। इस बार उनका वार्ड पिछड़ी महिला के लिए आरक्षित हो गया है। अब वो किसी आरक्षित वार्ड की तरफ रुख करेंगे या घर बैठ जाएंगे इस पर सबकी निगाह लगी हुई है।

पहली बार पार्षद बनने के बाद नगर निगम के उप सभापति रहे अतुल कपूर के वार्ड सौदागरान का आरक्षण बदले जाने की चर्चा तो कई दिनों से थीं। अब अतुल के जनकपुरी या किसी दूसरे वार्ड से चुनाव लड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। जिन मौजूदा पार्षदों के समीकरण आरक्षण बदलने से गड़बड़ा गए हैं वो दूसरे वार्ड की तरफ रुख कर सकते हैं ऐसा होने से इस वार्ड से तैयारी कर रहे नेताओं के सामने संकट खड़ा हो सकता है।

नगर निगम वार्डवार आरक्षण की स्थिति

पिछड़ा वर्ग- बिहारीपुर सिविल लाइंस, शुगर फैक्ट्री,  नवादा शेखान, कंजादासपुर, खलीलपुर, कांकर टोला, चौधरी मोहल्ला,गांधीपुरम, जोगी नवादा, रोहली टोला, सैदपुर हाकिंस, कुंवरपुर,सिकलापुर, बिहारीपुर सौदागरान।

पिछड़ा वर्ग महिला- आकाशपुरम, सहसवानी टोला, वनखंडीनाथ, नंदोसी, सुरेश शर्मा नगर, चकमूद नगर, एजाज नगर,

अनूसूचित जाती- बड़ी विहार, नेकपुर, कटरा चांद खां, वीर भट्टी,

अनूसूचित जाती महिला- छोटी विहार नेकपुर।

महिला- माडल टाउन, नौमहला, ब्रहमपुरा, हजियापुर, संजय नगर, हरूनगला, सुभाषनगर, मढ़ीनाथ, मथुरापुर, रहपुरा चौधरी, गुलाबनगर, शाहदाना, आवास विकास, नई बस्ती, सुफी टोला।

अनारक्षित- जाटवपुरा, शांति विहार, रेलवे कालोनी परतापुर, आजमनगर, इंदिरा नगर, मौलानगर, आईवीआरआई, गांधी उद्यान, फरीदापुर चौधरी, स्वाले नगर, नवदिया, रामपुर बाग, बिहारीपुर मेमरान, मलूकपुर, महेशपुर, अटरिया, किला छावनी, शास्त्रीनगर, जनकपुरी, नगरिया परिक्षित, बानखाना, भूड़, गाधीनगर आंशिका, फाल्तूनगंज सरनिया, कानूनगोायान, चकमहमूद, साहूकारा, बजरिया  पूरनमल, खन्नू मोहल्ला, शाहबाद, पीरबहोड़ा,आलमगिरी गंज,विधौलिया, घेर शेख,मिट्ठू, इंग्लिशगंज, रबड़ी टोला।

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