बरेली: रूई की रजाई पर भारी भेड़ की ऊन से बने कंबल, जमकर हो रही खरीदारी
लुधियाना पानीपत के कंबल से गुलजार हुआ रामपुर गार्डन रोड पर गर्म कपड़ों का बाजार
बरेली, अमृत विचार। किसी समय में जाड़ों में रूई की रजाई की ज्यादा डिमांड रहती थी। लेकिन अब लोगों का रूई के लिहाफ व व रजाई से मोह भंग होता नजर आ रहा है। रूई की रजाई को छोड़कर अब रेशम और भेड़ की ऊन से बने कंबल की डिमांड ज्यादा हो रही है। ॉ
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चटकदार रंगबिरंगे कंमल व गर्म चादरों से गांधी उद्यान रोड पर लगी बाजार गुलजार हो गई है। अब लोग कंबल की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। इन कंबलों के चलते से रूई की रजाई का चलन 40 प्रतिशत हुआ है तो कंबल का चलन अब 60 प्रतिशत तक हो गया है।
दस साल के गाधी उद्यान रोड पर कंबल की दुकान लगाने वाले ताहीर ने बताया पहले के मुकाबले कंबल ज्यादा प्रचलन में है। इस समय बाजार में गुलीबर कंबल, सुपर सौफ्ट बेस्ट, मिंक आदि कंबल की बैरायटी मौजूद हैं। पहले के मुकाबले जाड़ों में अब कंबल की डिमांड ज्यादा बड़ी है। हालाकि अभी सर्दी कम पड़ने के कारण दुकानदारी में बड़ोत्तरी नहीं हुई है। लेकिन जाड़ा बढ़ते ही इसकी ग्राहक भारी सख्या में इसकी खरीदारी करते हैं।
दुकानदा इरफान ने बताया इस बार सिंगल व डबल बेड के कंबल दोनों की डिमांड है। सिंगल और डबल फर दोनों तरह के कंबल उनके पास मौजूद हैं। गुलीबर कंबल की कीमत 16 सौ रुपये से शुरू होकर 25 सौ रूपये तक है। इसके साथ सिंगल व डबल बेड की चादरों की कीमत तीन सौ रूपये से शुरू होकर चार सौ रूपये तक है। यह कंबल रेशम के धागे व भेड़ की ऊन से बने होतै हैं। इनकी खासियत है कि यह धुलाई के बाद सिकुड़ते और खराब नहीं होते हैं।
बच्चों की पसंद के करेक्टर के टोपों की बड़ी मांग
ठंड से बचने के लिए बाजार में गर्म दस्ताने, टोपी आदि बच्चों के लिए ज्यादा कारगर रहते है। इस बार बाजार में बच्चों के पसंदीदा कार्टनू कैरेंटर जैसे भालू हाथी, घोड़ा आदि बनी हुई कैप की डिमाडं ज्यादा है। बच्चे इन्हें काफी पसंद कर रहे हैं।दस रुपये से शुरू होकर इनकी कीमत दो सौ रुपये तक है।
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