बहराइच : विधायक बोले, पराली को जलाने के बजाए बनाएं खाद

अमृत विचार, बहराइच। कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच प्रथम द्वारा संचालित परियोजना इन सीटू-फसल अवशेष प्रबंधन के तत्वाधान में जनपद स्तरीय जागरुकता अभियान के तहत फसल अवशेष प्रबंधन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि सदर बिधायक अनुपमा जयसवाल रहीं।
कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों को सम्बोधित करते हुए विधायक ने कहा पराली को खेत में न जलाए बल्कि पराली को खाद बनाने में और गौशालाओं में बेचकर भी अपनी आय बढ़ा सकते हैं। कार्यक्रम में 20 किसानों को पराली प्रबंधन के लिए डी कंपोजर किट और मसूर किट जनपद के प्रगतिशील कृषक एवं कृषक महिलाओं को वितरित किया गया।
जिला कृषि अधिकारी सतीश कुमार पांडेय ने किसानो से अहवान करते हुए कहा कि आने वाले समय में मोटे अनाज की जरूरत होने वाली है। आप सभी मोटे अनाज की खेती को भी शुरु करे, और साथ ही बताया कि रबी की बुवाई शुरु हो गई। जिला उद्यान अधिकारी पारस नाथ ने बताया कि जिन किसानों को मशरूम का प्रशिक्षण लेना हो तो पंजीकरण समयानुसार करा ले एवं उधान विभाग में संचालित होने वाली योजनाओं के तथ्यों से अवगत कराया।
एस. डी. ओ. सदर उदय शंकर ने बताया कि सरकारी केंद्रों पर खाद और बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्र के वैज्ञानिक डा. बीपी. शाही ने बताया कि पराली जलाने से उत्पन्न होने वाली गैसों से मनुष्यो में सांसों से संबन्धित रोग हो जाते है। ऐसे में किसान फसल अवशेष प्रबन्धन करें।
इसलिए करना चाइए क्यों कि धान की फसल द्वारा मिट्टी से ली गई 25 प्रतिशत नाइट्रोजन फास्फोरस एवं 50 प्रतिशत गंधक व 75 प्रतिशत पोटाश फसल अवशेषों में शेष रह जाती है। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. पीके सिंह ने बताया कि धान की पराली को जलाने से गैसे निकलती हैं, जो वायुमंडल एवं मानव जीवन को प्रदूषित करती हैं।
केंद्र के वैज्ञानिक डा. शैलेन्द्र सिंह, सुनील कुमार और केंद्र के सभी कर्मचारी उपस्थित रहे। जिसमे अनिल पाण्डे, श्री राजीव कुमार, संजय पांडे, कुशाग्र सिंह, रहीस खान, चंद्र प्रकाश, बागेश्वरी आदि मौजूद रहे।