गुजरात: हार्दिक पटेल के लिए पहले विधानसभा चुनाव में वीरमगाम सीट से जीत आसान नहीं!
वीरमगाम और 92 अन्य सीटों पर दूसरे चरण में पांच दिसंबर को मतदान होगा।
वीरमगाम। गुजरात में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हाल में उसके खेमे में शामिल हुए युवा पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को कांग्रेस से वीरमगाम विधानसभा सीट छीनने के लिए मैदान में उतारा है। इस सीट को जाति की राजनीति से मुक्त माना जाता है क्योंकि अल्पसंख्यक समुदाय समेत विभिन्न जातियों व धर्मों के नेता इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पाटीदार समुदाय से आने वाले 29 वर्षीय पटेल अहमदाबाद के वीरमगाम तालुका के चंद्रनगर गांव के रहने वाले हैं।
अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे पटेल का पालन-पोषण वीरमगाम में ही हुआ है। इस सीट पर उनका मुख्य मुकाबला निवर्तमान कांग्रेस विधायक लाखाभाई भारवाड़ से होगा जिन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की तेजश्री पटेल को 6500 से अधिक मतों के अंतर से हराया था। वीरमगाम विधानसभा क्षेत्र में अहमदाबाद का वीरमगाम, मंडल और देतरोज तालुका शामिल हैं। इस सीट पर पिछले 10 वर्षों से कांग्रेस का कब्जा है।
विरमगाम विधानसभा में पशुपालकों से संवाद किया। भाजपा सरकार ने डेरी उद्योग को मज़बूत किया है और इसी कारण पशुपालकों के जीवन में आर्थिक सुधार आया हैं। pic.twitter.com/XeWlk1rgP8
— Hardik Patel (@HardikPatel_) November 21, 2022
वीरमगाम और 92 अन्य सीटों पर दूसरे चरण में पांच दिसंबर को मतदान होगा। दिलचस्प बात यह है कि 2012 के विधानसभा चुनावों में तेजश्री पटेल ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और भाजपा के प्रागजी पटेल को 16,000 से अधिक मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। कांग्रेस विधायक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह सत्तारूढ़ भाजपा की तीखी आलोचना करके अपनी छाप छोड़ी।
सभी को हालांकि उस वक्त हैरानी हुई जब उन्होंने पाला बदलकर 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। उस चुनाव में मतदाताओं ने उन्हें खारिज कर दिया और कांग्रेस के लाखाभाई भारवाड़ को चुना, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से थे। कुछ मतदाताओं को लगता है कि भारवाड़ अब सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे हैं, जबकि कुछ अन्य मानते हैं कि वह एक विधायक के रूप में सक्रिय रहे हैं और स्थानीय मुद्दों के समाधान के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है। इसलिए हार्दिक पटेल के लिए उन्हें हराना आसान नहीं होगा।
आज विभिन्न गाँवों में चुनाव प्रचार किया। एक समय हुआ करता था जब गुजरात में हर महीने दंगे हुआ करते थे लेकिन पिछले बीस साल से एक भी दंगा नही हुआ। भाजपा सरकार ने गुजरात में सुशासन के साथ साथ भाईचारा भी क़ायम किया हैं। गुजरात में सालों पहले सबका साथ सबका विश्वास का मंत्र सफल हुआ हैं। pic.twitter.com/QNulllCRIW
— Hardik Patel (@HardikPatel_) November 21, 2022
वीरमगाम में लगभग तीन लाख मतदाता हैं, जिनमें 65,000 ठाकोर (ओबीसी) मतदाता, 50,000 पाटीदार या पटेल मतदाता, लगभग 35,000 दलित, 20,000 भारवाड़ और रबारी समुदाय के मतदाता, 20,000 मुस्लिम, 18,000 कोली सदस्य और 10,000 कराडिया (ओबीसी) राजपूत शामिल हैं। इस सीट ने हालांकि अब तक विभिन्न जातियों के विधायक दिए हैं, जिनमें तेजश्री पटेल (पाटीदार), 1980 में दाउदभाई पटेल (मुस्लिम), 2007 में कामाभाई राठौड़ (कराडिया राजपूत) और लाखाभाई भारवाड़ (ओबीसी) शामिल हैं।
भारवाड़ से जब पूछा गया कि क्या इस बार हार्दिक के नामांकन से उनके लिये मुश्किलें पैदा होंगी, उन्होंने कहा, वीरमगाम के लोग कभी भी जाति के आधार पर वोट नहीं देते। यही कारण है कि दशकों से विभिन्न जातियों के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। इस सीट के मतदाता केवल लोगों और पार्टी के प्रति प्रदर्शन और प्रतिबद्धता देखते हैं। मुझे इस सीट को बरकरार रखने का भरोसा है। भारवाड़ अपने पिछले प्रदर्शन और लोगों के लिए किए गए कार्यों पर भरोसा कर रहे हैं या कम से कम मुद्दों को विधानसभा के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर भी हल करने के लिए उठा रहे हैं। वीरमगाम नगर पालिका और तालुका पंचायत दोनों पर ही भाजपा काबिज है।
मैंने मेरी विधानसभा के लिए विकास और प्रगति के अनेक सपने देखे है और वह सपने प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व और भाजपा सरकार में पूरे होंगे। pic.twitter.com/6GkSslu1G9
— Hardik Patel (@HardikPatel_) November 20, 2022
भारवाड़ ने कहा, पहले, निर्वाचन क्षेत्र में सड़कों की स्थिति खराब थी क्योंकि वे सात साल तक फिर से नहीं बनी थीं। लेकिन मेरे लगातार प्रयासों के कारण, वे फिर से बन गई हैं। हालांकि, वीरमगाम शहर के लोग परेशान हो रहे हैं क्योंकि भाजपा नगरपालिका पर शासन कर रही है। लोग जानते हैं कि गलती किसकी है और किसने उनका काम किया है।
विधायक के तौर पर किए गए काम के बारे में भारवाड़ के दावों का कुछ स्थानीय लोग समर्थन करते हैं। एक ऑटोचालक कांतिलाल परमार कहते हैं, इसमें कोई शक नहीं कि पटेल अधिक लोकप्रिय हैं। लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि भारवाड़ एक विधायक के रूप में सक्रिय थे और उन्होंने हमारे मुद्दों को हल करने के लिए कड़ी मेहनत की, चाहे वह खराब सड़कें हों या बहते गटर हों। हमने उन्हें जमीन पर देखा है। हालांकि वह सभी मुद्दों को हल करने में सक्षम नहीं थे, लेकिन लोग जानते हैं कि उन्होंने कोशिश की थी।
आज विरमगाम विधानसभा के नलकाँठा विस्तार में विभिन्न गाँवों में नुक्कड़ सभाओं को संबोधित किया एवं भाजपा और विकास के लिए वोट माँगा। सभी समुदाय के लोग भाजपा के साथ जुड़ रहे है, जनता का भाजपा के प्रति जो उत्साह है वही भाजपा को विजयी दिलाएगा। pic.twitter.com/fNGaPIHdP6
— Hardik Patel (@HardikPatel_) November 18, 2022
एक अन्य मतदाता ने दावा किया कि भारवाड़ के पुन: नामांकन से हार्दिक के जीतने की संभावना बढ़ गई है। उन्होंने कहा, “भारवाड़ सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे हैं। जातिगत समीकरणों को देखते हुए, कांग्रेस को ठाकोर समुदाय से किसी को मैदान में उतारना चाहिए था। अब, भारवाड़ के नामांकन के साथ हार्दिक की संभावना बढ़ गई है।
आम आदमी पार्टी भी मैदान में है, जिसने शुरुआत में कुंवरजी ठाकोर को टिकट दिया था, लेकिन अचानक उनकी जगह अमरसिंह ठाकोर को मैदान में उतार दिया। कुंवरजी इससे खुश नहीं हैं। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। 2017 में उन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था और 10,800 मतों के साथ चौथे स्थान पर रहे थे। वीरमगाम के जाने माने दलित कार्यकर्ता किरीट राठौड़ भी निर्दलीय के रूप में मैदान में हैं। कई लोगों का मानना है कि यह तिकड़ी, अगर मैदान में रहती है तो मतदान समीकरणों को गड़बड़ा सकती हैं और अप्रत्याशित परिणाम दे सकती है। नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 21 नवंबर है।
विरमगाम विधानसभा में मांडल तहसील के विभिन्न गाँवों में चुनाव प्रचार कर भारतीय जनता पार्टी के लिए वोट माँगे। गुजरात को श्रेष्ठ बनाने में भाजपा सरकार का महत्वपूर्ण योगदान है, गुजरात मॉडल को वैश्विक पहचान प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने दिलाई है जिस बात को कोई ठुकरा नही सकता। pic.twitter.com/kwwrPH6wyb
— Hardik Patel (@HardikPatel_) November 17, 2022
पाटीदार जाति को ओबीसी का दर्जा दिलाने के लिए पाटीदार आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व करने के बाद सुर्खियों में आए हार्दिक, लगभग दो साल तक कांग्रेस के साथ रहने के बाद जून में भाजपा में शामिल हो गए थे। वह अब क्षेत्र के गांवों का दौरा कर रहे हैं। उनके द्वारा जारी वादों की सूची में, पहले वादे में कहा गया है कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि वीरमगाम को एक जिले का दर्जा मिले और ग्रामीण लोग पहले से ही इस मुद्दे को उठाने के लिए पटेल को धन्यवाद दे रहे हैं।
एक स्थानीय किसान अमर पटेल कहते हैं, वीरमगाम एक अलग जिला घोषित किए जाने के लिहाज से काफी बड़ा है। लोग पिछले कुछ समय से इसकी मांग कर रहे हैं। इससे हमारी कई समस्याओं का समाधान हो जाएगा क्योंकि कलेक्टर कार्यालय से संबंधित विभिन्न कार्यों के लिए या अदालत से संबंधित मामलों के लिए हमें अहमदाबाद जाना पड़ता है। हार्दिक ने इस मुद्दे को सही उठाया है।
प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी और भाजपा सरकार पर जनता का भरोसा मज़बूत हुआ है, उम्मीदवार बनना मेरे लिए उत्साह से ज़्यादा महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी हैं। pic.twitter.com/D8Ua8WJWMl
— Hardik Patel (@HardikPatel_) November 15, 2022
अन्य प्रमुख वादों में एक आधुनिक खेल परिसर, स्कूल, मंडल तालुका, देतरोज तालुका और नल सरोवर के पास 50-शैय्या का अस्पताल, वीरमगाम शहर में 1,000 सरकारी घर, औद्योगिक एस्टेट, उद्यान आदि शामिल हैं। गौतलब है कि चार पन्नों वाली वादों की फेहरिस्त में पाटीदार शब्द का उल्लेख नहीं है। उनके संक्षिप्त परिचय में, यह उल्लेख किया गया है कि उनका जन्म गुजरात में एक हिंदू परिवार में हुआ था और उनके दिवंगत पिता भरतभाई इस क्षेत्र के एक सक्रिय भाजपा कार्यकर्ता थे।
आरक्षण के लिए उनके आंदोलन के बाद गुजरात में शुरू किए गए ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) कोटे की ओर इशारा करते हुए कहा गया है कि हार्दिक के ऐतिहासिक आंदोलन ने न केवल एक बल्कि कई समुदायों को कई लाभ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हार्दिक के प्रचार अभियान का प्रबंधन देखने वाले दीपक पटेल ने कहा, हमारा अभियान बहुत मजबूत चल रहा है और लोग हार्दिक पर अपना आशीर्वाद बरसा रहे हैं। लोग कांग्रेस विधायक से खुश नहीं हैं और वे इस बार बदलाव चाहते हैं। हमें विश्वास है कि वीरमगाम सीट के लोग हार्दिक को वोट देंगे और एक बार फिर राज्य में भाजपा को सत्ता में लाएंगे।
ये भी पढ़ें : Gujarat Election: चुनाव से पहले बीजेपी की बड़ी कार्रवाई, सात बागी नेताओं को किया निलंबित