Chhath Pooja 2022: सुहागिनों ने अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य, घाटों दिखा आस्था का उल्लास

Chhath Pooja 2022: सुहागिनों ने अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य, घाटों दिखा आस्था का उल्लास

अमृत विचार, कानपुर। सिर पर फल, फूल, सब्जियों से भरी डलिया, जुबां पर लोक गीत, हाथों में टिमटिमाता आस्था का दीपक और गूंजता भगवान सूर्य और छठ मइया का जयघोष । यह मनोहारी दृश्य था छठ पूजन के के घाटों की ओर जाने वाले रास्तों का। नंगे पांव ही हजारों महिलाएं, पुरुष और बच्चे आस्था …

अमृत विचार, कानपुर। सिर पर फल, फूल, सब्जियों से भरी डलिया, जुबां पर लोक गीत, हाथों में टिमटिमाता आस्था का दीपक और गूंजता भगवान सूर्य और छठ मइया का जयघोष । यह मनोहारी दृश्य था छठ पूजन के के घाटों की ओर जाने वाले रास्तों का। नंगे पांव ही हजारों महिलाएं, पुरुष और बच्चे आस्था लिए उल्लास और उमंग के साथ बढ़े जा रहे थे।

किसी को इस बात की चिंता नहीं थी कि उनके पांव में कंकड़ चुभ जाएगा। घाटों पर पहुंचने के बाद सबने पहले जल को प्रणाम किया और फिर वेदी का पूजन कर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। इस दौरान अब लीहीं सुरुज मल अरघिया आके करीं न दया… जैसे लोकगीत वातावरण में गूंजते रहे।

अर्मापुर स्थित नहर घाट पर हजारों श्रद्धालुओं ने एक साथ जल में खड़े होकर छठ मइया की उपासना की और भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। न कोई आचार्य न ही कोई वैदिक मंत्र सिर्फ लोकगीतों के जरिए मां की महिमा का बखान करतीं व्रती महिलाओं ने मां की कथाएं भी सुनीं। छठी मइया की महिमा के गीत कबहू ना छूटी छठ मइया, हमनी से वरत तोहार…, ले ले अईहा हो भैया गेहूं के मोटरिया… और घरे घरे होता माई के बरतिया… जैसे गीत देर रात तक गूंजते रहे। छठी मइया की महिमा वाले गीतों पर श्रद्धालुओं ने नृत्य भी किया।

बैंडबाजे की धुन पर क्या बच्चे, बूढ़े और युवा सभी भक्ति रस की गंगा में गोते लगाते हुए नृत्य किया। लोग एक दूसरे को गले लगाते रहे और पर्व की बधाई देने से नहीं चूके। ऐसी ही स्थिति पनकी नहर घाट, सीटीआई घाट , गंगा बैराज, गोला घाट, मैस्कर घाट, शास्त्री नगर सेंट्रल पार्क , नमक फैक्ट्री चौराहा ग्रीन बेल्ट में बने कृत्रिम तालाब की रही। वहां भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने छठ मइया का पूजन किया और उनकी आरती कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया।

नहर और नदी ने ओढ़ी दीपों की झिलमिल चादर

अर्मापुर , पनकी, सीटीआई नहर और गंगा में श्रद्धालुओं दीपदान किया। एक साथ असंख्य दीप जब जल में तैरे तो ऐसा लगा कि नहर और नदी ने दीपों की झिलमिल चादर ओढ़ ली हो। रंग बिरंगी झिलमिलाती झालरों को देख कर भी ऐसा लगा मानो छठ मइया के स्वागत को धरा पर तारे उतर आए हों। श्रद्धालुओं ने दीपदान से पहले दूध, दही, घृत, शहद आदि से अभिषेक भी किया।

आज उदयगामी सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य

कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर सुबह श्रद्धालु उदय होते सूर्य को अर्घ्य देंगे और इसी के साथ ही छठ पूजन उत्सव का समापन हो जाएगा। अर्घ्य के बाद ही प्रसाद ग्रहण कर सुहागिनें 36 घंटे के अखंड निर्जला व्रत का पारण करेंगी। श्रद्धालु रात में तीन बजे ही घाटों पर पहुंचकर वेदी पूजन शुरू कर देंगी और जल में खड़े होकर सूर्य के उदय होने का इंतजार करेंगी।

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